1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध: गढ़वाल राइफल्स की वीरता पर एक नज़र - 1971 India-Pakistan War: A glimpse of the bravery of the Garhwal Rifles.

1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध: गढ़वाल राइफल्स की वीरता पर एक नज़र

1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण और साहसिक संघर्ष था। इस युद्ध में गढ़वाल राइफल्स की विभिन्न बटालियनों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और भारतीय सशस्त्र बलों के लिए अपने साहसिक कार्यों से कई वीरता पुरस्कार जीते। युद्ध में गढ़वाल राइफल्स के योगदान ने न केवल पाकिस्तान के खिलाफ भारत की रणनीति को मजबूती दी, बल्कि बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

5वीं बटालियन की वीरता
5वीं बटालियन ने बांग्लादेश की मुक्ति के लिए ऑपरेशन के दौरान शानदार प्रदर्शन किया। इस बटालियन ने न केवल दुश्मन की सेना को पराजित किया, बल्कि युद्ध के दौरान अपनी वीरता के लिए बैटल ऑनर 'हिल्ली' और थिएटर ऑनर 'ईस्ट पाकिस्तान (1971)' प्राप्त किया। बटालियन को तीन वीर चक्र, तीन सेना पदक और सात मेंशन-इन-डिस्पैच मिले।

12वीं बटालियन की साहसिक कार्रवाई
12वीं बटालियन अक्टूबर 1971 से ही युद्धरत थी और सक्रिय शत्रुता के शुरू होने पर, उसने हतिबंधा पर कब्जा कर लिया और दिनाजपुर के पूर्व में ऑपरेशन में भाग लिया। बटालियन के वीरता पुरस्कारों में कई मेडल शामिल थे, जो उनकी शौर्य और संघर्ष को दर्शाते हैं।

तीसरी बटालियन का शकरगढ़ सेक्टर में योगदान
तीसरी बटालियन शकरगढ़ सेक्टर में तैनात थी और उसने अपने प्रारंभिक लक्ष्य धांदर और मुखवाल (सुचेतगढ़ के दक्षिण) हासिल किए। इसके बाद बटालियन दुश्मन के इलाके में बैरी और लैसर कलां तक ​​पहुंच गई। युद्ध विराम के समय तक बटालियन चक्रा के उत्तर में रामरी तक पहुँच चुकी थी। बटालियन को एक वीर चक्र और एक सेना पदक से सम्मानित किया गया।

चौथी बटालियन की झंगर सेक्टर में वीरता
चौथी बटालियन झंगर सेक्टर में तैनात थी और उसने अपनी जमीन पर कब्जा करते हुए दुश्मन की चौकियों पर छापे मारे। बटालियन को भी वीरता पुरस्कारों में एक वीर चक्र और दो मेंशन-इन-डिस्पैच मिले।

6वीं बटालियन की सियालकोट सेक्टर में सफलता
6वीं बटालियन सियालकोट सेक्टर में तैनात थी। इस बटालियन ने नवांपिंड पर फिर से कब्जा किया और दुश्मन के इलाके में रक्षात्मक लड़ाई जारी रखते हुए अपने क्षेत्र के सामने दुश्मन की चौकियों पर तीन मजबूत छापे मारे। बटालियन को वीर चक्र और दो मेंशन-इन-डिस्पैच मिले।

8वीं बटालियन की पंजाब में भूमिका
मेजर एचएस रौतेला एसएम (अब लेफ्टिनेंट कर्नल) की कमान में 8वीं बटालियन ने पंजाब में एक होल्डिंग भूमिका निभाई और दुश्मन की चौकी घुरकी पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वे इस पोस्ट पर डटे रहे, जबकि युद्ध विराम तक जारी गोलाबारी से स्थिति कठिन हो गई। बटालियन को दो सेना मेडल से सम्मानित किया गया।

10वीं बटालियन की संघर्षशील कार्रवाई
10वीं बटालियन ने मेजर महाबीर नेगी के नेतृत्व में अखनूर-जौरियां सेक्टर में रायपुर क्रॉसिंग पर कब्ज़ा करते हुए एक उल्लेखनीय लड़ाई लड़ी। कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल ओंकार सिंह ने व्यक्तिगत रूप से एक हमले का नेतृत्व किया, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। यह संघर्ष उनके शौर्य और बलिदान का प्रतीक बना।

वीरता पुरस्कार और सम्मान
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में गढ़वाल राइफल्स की बटालियनों ने अपार वीरता दिखाई और अपने कार्यों के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए। इनमें वीर चक्र, सेना पदक, और मेंशन-इन-डिस्पैच जैसे सम्मान शामिल हैं। गढ़वाल राइफल्स की बटालियनों ने न केवल युद्ध की कठिन परिस्थितियों का सामना किया, बल्कि भारतीय सेना की गौरवमयी परंपराओं को भी बढ़ाया।

निष्कर्ष
1971 का युद्ध भारत की जीत के रूप में समाप्त हुआ, और इसमें गढ़वाल राइफल्स की वीरता का बड़ा योगदान था। बांग्लादेश की मुक्ति में उनकी अहम भूमिका आज भी याद की जाती है। गढ़वाल राइफल्स के सैनिकों ने भारतीय सेना को शौर्य और संघर्ष के नए आयाम दिए, और उनके द्वारा दिखाई गई वीरता हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई।

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से जुड़े कुछ सामान्य प्रश्न (FAQs)

1. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत कब और क्यों हुई?

  • उत्तर: 1971 का युद्ध 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमा पर हमले के बाद शुरू हुआ। इस युद्ध की मुख्य वजह बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम था, जिसमें भारत ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्रता दिलाने के लिए समर्थन दिया था।

2. भारत ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता में कैसे मदद की?

  • उत्तर: भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य अभियान चलाकर बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्रता दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्रामियों को समर्थन दिया और युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लिया।

3. 1971 के युद्ध में गढ़वाल राइफल्स की भूमिका क्या थी?

  • उत्तर: गढ़वाल राइफल्स की विभिन्न बटालियनों ने इस युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बटालियनों ने दुश्मन की चौकियों पर कब्जा किया, ऑपरेशनों में भाग लिया और कई वीरता पुरस्कारों से सम्मानित हुईं। उनकी वीरता के लिए उन्हें वीर चक्र, सेना पदक और मेंशन-इन-डिस्पैच जैसे पुरस्कार प्राप्त हुए।

4. 5वीं बटालियन को कौन से पुरस्कार मिले थे?

  • उत्तर: 5वीं बटालियन को 'बैटल ऑनर हिल्ली' और 'थिएटर ऑनर ईस्ट पाकिस्तान (1971)' से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा बटालियन को तीन वीर चक्र, तीन सेना पदक और सात मेंशन-इन-डिस्पैच भी मिले।

5. 12वीं बटालियन ने किस ऑपरेशन में भाग लिया था?

  • उत्तर: 12वीं बटालियन ने अक्टूबर 1971 से सक्रिय शत्रुता के दौरान हतिबंधा पर कब्जा किया और दिनाजपुर के पूर्व में ऑपरेशन में भाग लिया।

6. 1971 युद्ध के दौरान गढ़वाल राइफल्स की बटालियनों को कितने वीरता पुरस्कार मिले?

  • उत्तर: गढ़वाल राइफल्स की बटालियनों को कुल मिलाकर कई वीरता पुरस्कार मिले, जिनमें वीर चक्र, सेना पदक और मेंशन-इन-डिस्पैच शामिल थे।

7. 8वीं बटालियन के मेजर एचएस रौतेला की क्या भूमिका थी?

  • उत्तर: 8वीं बटालियन के मेजर एचएस रौतेला ने पंजाब में दुश्मन की चौकी घुरकी पर कब्जा किया और बटालियन को सेना मेडल से सम्मानित किया गया।

8. किस बटालियन ने रायपुर क्रॉसिंग पर कब्जा किया था?

  • उत्तर: 10वीं बटालियन ने मेजर महाबीर नेगी के नेतृत्व में अखनूर-जौरियां सेक्टर में रायपुर क्रॉसिंग पर कब्जा किया और युद्ध के दौरान उल्लेखनीय लड़ाई लड़ी।

9. 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने कितने वीरता पुरस्कार जीते?

  • उत्तर: 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने वीरता पुरस्कारों की कई श्रेणियाँ जीतीं, जिनमें वीर चक्र, सेना पदक, और मेंशन-इन-डिस्पैच शामिल हैं।

10. 1971 के युद्ध का परिणाम क्या था?

  • उत्तर: 1971 का युद्ध भारत की विजय के रूप में समाप्त हुआ। पाकिस्तान को पराजित किया गया और बांग्लादेश को स्वतंत्रता मिली। इस युद्ध के परिणामस्वरूप बांग्लादेश का गठन हुआ और भारतीय सेना ने अपने शौर्य और साहस को प्रदर्शित किया।

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