1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध: गढ़वाल राइफल्स की वीरता और संघर्ष (1965 India-Pakistan War: The bravery and struggle of the Garhwal Rifles)

1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध: गढ़वाल राइफल्स की वीरता और संघर्ष

1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध भारतीय सेना के शौर्य, साहस और वीरता का प्रतीक बना। इस युद्ध में गढ़वाल राइफल्स ने अपनी अद्वितीय बहादुरी का प्रदर्शन किया और विभिन्न सेक्टरों में कई महत्वपूर्ण लड़ाइयों में भाग लिया। राजस्थान, पंजाब, और सियालकोट के विभिन्न क्षेत्रों में गढ़वाल राइफल्स के सैनिकों ने शत्रु के खिलाफ कठिन परिस्थितियों में बहादुरी दिखाई। इस युद्ध में रेजिमेंट की पहली, दूसरी, छठी और आठवीं बटालियनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए।

1. गदरा रोड - पहली बटालियन का अद्वितीय योगदान

भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पहली बटालियन ने राजस्थान के बाड़मेर सेक्टर में गदरा शहर की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस लड़ाई के दौरान बटालियन ने रेगिस्तानी इलाके में बिना तोपखाने के समर्थन के पैदल सेना की रणनीति का बेहतरीन प्रदर्शन किया। बटालियन ने जेसी के पार, नवा ताला और मियाजलार पर कब्जा किया और गदरा रोड पर ऑपरेशन में सफलता प्राप्त की।

बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल केपी लाहिड़ी को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस संघर्ष में बटालियन को बैटल ऑनर "गदरा रोड" और थिएटर ऑनर "राजस्थान 1965" से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, कैप्टन नरसिंह बहादुर सिंह को 'सेना पदक' से सम्मानित किया गया। कुल मिलाकर, पहली बटालियन ने तीन वीर चक्र, पांच मेंशन-इन-डिस्पैच और अन्य वीरता पुरस्कार प्राप्त किए।

2. ऑपरेशन हिल - दूसरी बटालियन का साहसिक प्रयास

दूसरी बटालियन ने ऑपरेशन हिल के दौरान 'ओपी हिल' पर दो हमलों में भाग लिया। कैप्टन चंद्र नारायण सिंह, जो मुख्यालय 120 इन्फैंट्री ब्रिगेड से जुड़े थे, ने गलुथी क्षेत्र में दुश्मन के हमलावरों के खिलाफ वीरतापूर्वक रात को हमले का नेतृत्व किया। इस हमले में छह दुश्मन मारे गए, जबकि बाकी भाग गए। हालांकि, इस कार्रवाई में कैप्टन सीएन सिंह को मशीन गन की गोली लगी और उन्होंने अपनी जान दे दी। उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। दूसरी बटालियन को बैटल ऑनर "ओपी हिल" और थिएटर ऑनर "पंजाब 1965" प्राप्त हुआ।

3. सियालकोट - छठी और आठवीं बटालियनों की वीरता

छठी बटालियन सियालकोट सेक्टर में स्थित थी और युद्ध के सबसे भीषण लड़ाइयों में से एक को लड़ा। बटालियन ने पहले चरवा पर कब्ज़ा किया और फिर फिल्लौरा पर डटकर कब्जा किया, जहाँ उसने दुश्मन के कई हमलों को नाकाम किया। इसके बाद, आठवीं बटालियन ने बुटूर डोगरांडी की भयंकर लड़ाई लड़ी। इस दो दिनों की भीषण लड़ाई में कमांडिंग ऑफिसर और 2IC सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों को खो दिया गया।

आठवीं बटालियन को बैटल ऑनर "बुटूर डोगरांडी" और थिएटर ऑनर "पंजाब 1965" प्राप्त हुआ। इस संघर्ष में बटालियन को एक वीर चक्र, एक सेना पदक और छह मेंशन-इन-डिस्पैच मिले। इन बटालियनों की वीरता ने गढ़वाल राइफल्स को सम्मानित किया और उनके योगदान को अमर कर दिया।

4. वीरता पुरस्कारों का सम्मान

इस युद्ध के दौरान गढ़वाल राइफल्स के सैनिकों ने अद्वितीय वीरता का परिचय दिया और इसके लिए उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हुए। 1965 के युद्ध में गढ़वाल राइफल्स को निम्नलिखित पुरस्कार मिले:

  • वीर चक्र: 3
  • सेना पदक: 1
  • महावीर चक्र: 1 (मरणोपरांत)
  • मेंशन-इन-डिस्पैच: 5
  • बैटल ऑनर: गदरा रोड, बुटूर डोगरांडी
  • थिएटर ऑनर: पंजाब 1965, राजस्थान 1965

5. निष्कर्ष

1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध गढ़वाल राइफल्स के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था। इस युद्ध में उनके सैनिकों ने बहादुरी, साहस और वीरता की मिसाल पेश की। गढ़वाल राइफल्स की बटालियनों ने राजस्थान, पंजाब और सियालकोट के विभिन्न सेक्टरों में शानदार लड़ाई लड़ी और अपने देश के लिए अमूल्य योगदान दिया। इन वीरता की कहानियों को हमेशा याद रखा जाएगा, क्योंकि उन्होंने न केवल युद्ध में जीत दिलाई, बल्कि भारतीय सेना की शक्ति और साहस को भी दुनिया के सामने लाया।

1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध: गढ़वाल राइफल्स की वीरता पर एफक्यूसी (Frequently Asked Questions)

  1. 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में गढ़वाल राइफल्स ने किस प्रमुख भूमिका का निर्वहन किया था?
    गढ़वाल राइफल्स ने राजस्थान, पंजाब और सियालकोट के विभिन्न सेक्टरों में महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ीं और कई वीरतापूर्ण कार्यों में भाग लिया। इन बटालियनों ने बैटल ऑनर और थिएटर ऑनर प्राप्त किए, जिनमें गदरा रोड, बुटूर डोगरांडी और पंजाब 1965 शामिल हैं।

  2. गदरा रोड की लड़ाई में गढ़वाल राइफल्स की पहली बटालियन ने क्या प्रदर्शन किया था?
    पहली बटालियन ने राजस्थान सेक्टर के गदरा शहर में बिना तोपखाने के समर्थन के रेगिस्तानी इलाके में पैदल सेना की रणनीति का बेहतरीन प्रदर्शन किया और महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे जेसी के पार, नवा ताला और मियाजलार पर कब्जा किया। इस वीरता के लिए बटालियन को बैटल ऑनर "गदरा रोड" और थिएटर ऑनर "राजस्थान 1965" प्राप्त हुआ।

  3. दूसरी बटालियन ने ऑपरेशन हिल के दौरान किस तरह की वीरता का प्रदर्शन किया?
    दूसरी बटालियन ने ओपी हिल पर दो हमलों में भाग लिया। कैप्टन चंद्र नारायण सिंह के नेतृत्व में बटालियन ने दुश्मन के हमलावरों को हराया और छह दुश्मनों को मार गिराया, हालांकि इस दौरान कैप्टन सीएन सिंह मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित हुए।

  4. गढ़वाल राइफल्स की छठी और आठवीं बटालियनों ने सियालकोट सेक्टर में क्या संघर्ष लड़ा?
    छठी बटालियन ने सियालकोट में युद्ध की भीषण लड़ाइयों में भाग लिया, जिसमें उसने चरवा और फिल्लौरा पर कब्जा किया। आठवीं बटालियन ने बुटूर डोगरांडी की भीषण लड़ाई लड़ी, जिसमें उसे भारी क्षति झेलनी पड़ी, लेकिन इस संघर्ष में भी बटालियन को बैटल ऑनर "बुटूर डोगरांडी" और थिएटर ऑनर "पंजाब 1965" मिला।

  5. 1965 के युद्ध में गढ़वाल राइफल्स को कौन-कौन से वीरता पुरस्कार प्राप्त हुए?
    गढ़वाल राइफल्स को युद्ध में 3 वीर चक्र, 1 महावीर चक्र (मरणोपरांत), 1 सेना पदक, 5 मेंशन-इन-डिस्पैच और बैटल ऑनर "गदरा रोड", "बुटूर डोगरांडी" जैसे सम्मान मिले।

  6. क्या गढ़वाल राइफल्स के किसी सैनिक को मरणोपरांत पुरस्कार मिला था?
    हां, कैप्टन चंद्र नारायण सिंह को ऑपरेशन हिल के दौरान मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, कई अन्य वीरता पुरस्कार भी सैनिकों को मरणोपरांत दिए गए थे।

  7. 1965 के युद्ध में गढ़वाल राइफल्स की वीरता से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ क्या थीं?
    गढ़वाल राइफल्स की वीरता से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं में सियालकोट सेक्टर में दुश्मन के कई हमलों को नाकाम करना, बटालियनों द्वारा दुश्मन के खिलाफ सफल आक्रमण, और युद्ध में सैनिकों की अद्वितीय साहसिकता शामिल हैं।

  8. 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में गढ़वाल राइफल्स का योगदान भारतीय सेना के लिए क्यों महत्वपूर्ण था?
    गढ़वाल राइफल्स ने इस युद्ध में साहस, धैर्य और वीरता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उनके योगदान ने भारतीय सेना को नई शक्ति दी और भारतीय सशस्त्र बलों के बीच उनकी महिमा को और बढ़ाया। उनकी वीरता की कहानियाँ आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

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