कूष्माण्डा देवी पूजा विधि: षडङ्ग और लयाङ्ग तर्पणम् -Kushmanda Devi Puja Vidhi: Shadang and Layang Tarpanam
कूष्माण्डा देवी पूजा विधि: षडङ्ग और लयाङ्ग तर्पणम्
कूष्माण्डा देवी, जो माता दुर्गा के चौथे स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं, उनकी पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। कूष्माण्डा देवी का संबंध शक्तियों से है, और उनकी उपासना करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस ब्लॉग में हम कूष्माण्डा देवी की पूजा में प्रयोग होने वाली षडङ्ग तर्पणम्, लयाङ्ग तर्पणम्, और अवरण पूजन की विधि को विस्तार से समझेंगे।
षडङ्ग तर्पणम् (षड अंग पूजा):
षडङ्ग तर्पणम् में देवी के शरीर के छह महत्वपूर्ण अंगों की पूजा की जाती है। यह पूजा देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
मंत्र और पूजा विधि:
क्रां हृदयाय नमः
हृदय शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
(हृदय की शक्ति की पूजा)क्रीं शिरसे स्वाहा
शिरो शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
(शिर की शक्ति की पूजा)कूं शिखायै वषट्
शिखा शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
(शिखा की शक्ति की पूजा)के कवचाय हूं
कवच शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
(कवच की शक्ति की पूजा)क्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्
नेत्र शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
(नेत्र की शक्ति की पूजा)कः अस्त्राय फट्
अस्त्र शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
(अस्त्र की शक्ति की पूजा)
यह तर्पण देवी की आंतरिक शक्तियों को जागृत करने के लिए किया जाता है, जिससे उपासक को शक्ति, बुद्धि और साहस की प्राप्ति होती है।
लयाङ्ग तर्पणम्:
मंत्र और पूजा विधि:
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं कूष्माण्डायै नमः।
कूष्माण्डा श्री। (१० बार) पूजयामि तर्पयामि नमः।
यह तर्पणम देवी के दिव्य स्वरूप की आराधना और तर्पण के माध्यम से उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
प्रथमावरणम् (पहले आवरण की पूजा):
प्रथमावरणम् में देवी के आस-पास की दिव्य शक्तियों की पूजा की जाती है। यह पूजा देवी की सुरक्षा और उनकी दिव्य सेना की शक्तियों को समर्पित होती है।
मंत्र और पूजा विधि:
- ॐ सौः क्लीं ऐं सर्वाशापरिपूरकायन नमः
- ॐ ऐं इन्द्राय नमः - इन्द्र श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
- ॐ धं धर्मराजाय नमः - धर्मराज श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
- ॐ वं वरुणाय नमः - वरुण श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
- ॐ क्रीं कुबेराय नमः - कुबेर श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
इन मंत्रों के माध्यम से इन्द्र, धर्मराज, वरुण, और कुबेर जैसे प्रमुख देवताओं की आराधना की जाती है, जो कूष्माण्डा देवी के आशीर्वाद से संसार की रक्षा और संतुलन को बनाए रखते हैं।
ॐ एताः प्रथमावरण देवताः साङ्गाः सायुधाः सशक्तिकाः सवाहनाः सपरिवाराः सर्वोपचारैः सम्पूजिताः सन्तर्पिताः सन्तुष्टाः सन्तु नमः।
यहाँ प्रथमावरण देवताओं की पूजा होती है, जिससे उपासक को देवी की कृपा और संतोष प्राप्त होता है।
द्वितीयावरणम् (दूसरे आवरण की पूजा):
इस चरण में देवी के अन्य स्वरूपों और शक्तियों की पूजा की जाती है।
मंत्र और पूजा विधि:
- ॐ कामेश्वर्यै नमः - कामेश्वरी श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
- ॐ कान्तायै नमः - कान्ता श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
- ॐ कृशोदर्यै नमः - कृशोदरी श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
- ॐ कलावत्यै नमः - कलावती श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
- ॐ काल्यै नमः - काली श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
- ॐ चण्डिन्यै नमः - चण्डी श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
- ॐ तन्त्रिकायै नमः - तन्त्रिका श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
- ॐ परस्परायै नमः - परस्परा श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
ॐ एताः द्वितीयावरण देवताः साङ्गाः सायुधाः सशक्तिकाः सवाहनाः सपरिवाराः सर्वोपचारैः सम्पूजिताः सन्तर्पिताः सन्तुष्टाः सन्तु नमः।
यह द्वितीयावरण की पूजा देवी के सहयोगी देवताओं और उनकी शक्तियों की आराधना के लिए की जाती है।
अभिष्ट सिद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें:
पूजन के अंत में, भक्त देवी से अभिष्ट सिद्धि की प्रार्थना करता है, अर्थात उनकी कृपा से सभी इच्छाओं की पूर्ति की प्राप्ति होती है।
ॐ अभीष्टसिद्धि में देहि शरणागत वत्सले। भक्त्या समर्पये तुभ्यं द्वितीयावरणार्चनम्।
अनेन द्वितीयावरणार्चनेन श्री कूष्माण्डाम्बा प्रीयथाम्।
इस प्रकार, इस विशेष पूजा विधि के माध्यम से आप कूष्माण्डा देवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। षडङ्ग तर्पणम्, लयाङ्ग तर्पणम्, और अवरण पूजा के माध्यम से देवी की विभिन्न शक्तियों की आराधना करने से जीवन में शांति, समृद्धि, और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
जय माँ कूष्माण्डा!
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