उत्तराखंड की तरह हिमाचल प्रदेश भी छोटा सा खूबसूरत राज्य( Like Uttarakhand, Himachal Pradesh is also a small beautiful state)

उत्तराखंड की तरह हिमाचल प्रदेश: छोटे मगर खूबसूरत राज्य और देवभूमि की गरिमा

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश, दोनों ही छोटे मगर अत्यंत खूबसूरत राज्य हैं, जिन्हें देवभूमि के नाम से जाना जाता है। इन हिमालयी राज्यों की प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व इन्हें भारत का एक अमूल्य हिस्सा बनाते हैं। इन दोनों राज्यों में वेद, उपनिषद, और पुराण जैसे धर्मग्रंथों की जड़ें पाई जाती हैं। इन स्थानों पर अनेक तीर्थस्थल और सांस्कृतिक केंद्र हैं, जो अध्यात्म, चिंतन, और साधना का आधार रहे हैं। न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि ये राज्य पर्यटन और तीर्थाटन के भी मुख्य आधार हैं।

भारत के पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए यह राज्य महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, क्योंकि ये देश को आवश्यक ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। हिमाचल और उत्तराखंड का यह योगदान उन्हें न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि भौतिक रूप से भी महत्वपूर्ण बनाता है।

मंडी और कंगना रनौत: महिला शक्ति का सम्मान

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले को मंदिरों का गढ़ कहा जाता है, और यह क्षेत्र अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में, जब किसी महिला, विशेषकर मंडी की बेटी और बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की जाती है, तो यह न केवल उनके व्यक्तित्व पर आघात करता है बल्कि पूरे क्षेत्र की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।

कंगना रनौत ने अपने अभिनय करियर में कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन उनके चरित्र और प्रतिष्ठा पर कभी कोई सवाल नहीं उठा। वे भारतीय सिनेमा की सबसे सफल और सम्मानित अभिनेत्रियों में से एक हैं। किसी भी महिला पर इस प्रकार की घटिया टिप्पणी करना न केवल उनके आत्म-सम्मान पर हमला है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण और समाज में उनकी भूमिका के प्रति एक संकीर्ण मानसिकता का प्रदर्शन है।

महिला के सम्मान पर आघात: सवाल कांग्रेस पार्टी पर

हाल ही में, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने X (पूर्व ट्विटर) पर एक अपमानजनक पोस्ट डाली, जिसमें कंगना रनौत का एक चित्र डालकर "मंडी में क्या भाव चल रहा है" पूछा गया। यह टिप्पणी केवल एक अभिनेत्री पर ही नहीं, बल्कि समस्त नारी जाति पर एक हमला था। यह महिला के सम्मान और गरिमा को चोट पहुंचाने वाली मानसिकता को दर्शाता है।

यह दुख की बात है कि एक महिला नेता होते हुए भी सुप्रिया श्रीनेत ने इस प्रकार की टिप्पणी की। नारी का अपमान किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है, चाहे वह राजनीति हो या व्यक्तिगत जीवन। कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी को इस प्रकार की टिप्पणियों से दूरी बनानी चाहिए और अपनी महिला नेताओं को भी यह सिखाना चाहिए कि महिलाओं के सम्मान का ध्यान रखना आवश्यक है।

नारी सम्मान की रक्षा: समाज की जिम्मेदारी

आज के समय में, महिलाएं अपने अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ रही हैं और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। चाहे वह राजनीति हो, सिनेमा हो, या अन्य किसी भी क्षेत्र में, महिलाएं हर जगह अपनी सफलता की कहानियां लिख रही हैं। ऐसे में, किसी भी महिला का अपमान केवल एक व्यक्ति का अपमान नहीं है, बल्कि यह पूरे महिला समाज का अपमान है।

कंगना रनौत के साथ हुआ यह घटनाक्रम हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारी राजनीतिक पार्टियां और समाज वास्तव में महिला सम्मान की रक्षा कर रहे हैं?

निष्कर्ष

इस प्रकार की घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि महिलाओं का सम्मान समाज की जिम्मेदारी है। महिलाओं की उड़ान को रोकने की बजाय हमें उनके योगदान को सराहना चाहिए। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्य, जो अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर के लिए जाने जाते हैं, हमें यह सिखाते हैं कि नारी का सम्मान हमारी सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।

महिला शक्ति का सम्मान हर हाल में होना चाहिए, और जो भी इस सम्मान को ठेस पहुंचाए, उसे समाज और राजनीति दोनों से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। कंगना रनौत से नहीं, नारी जाति से माफी मांगी जानी चाहिए।

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