इन्द्रमणि जी! तुम अग्रदूत थे: उत्तराखण्ड के नायक की श्रद्धांजलि (Indramani ji! You were a pioneer: tribute to the hero of Uttarakhand.)

इन्द्रमणि जी! तुम अग्रदूत थे: उत्तराखण्ड के नायक की श्रद्धांजलि


स्व. इन्द्रमणि बडोनी जी, जिनके जीवन और संघर्ष ने उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण के लिए अनगिनत बलिदानों को प्रेरित किया, वह एक अद्वितीय नेता और जननायक थे। उनकी निष्ठा, संघर्ष और नेतृत्व ने उत्तराखण्ड के लोगों को जागरूक किया और उन्हें एकजुट किया। उनकी अडिग इच्छाशक्ति और उनके विचारों ने पहाड़ों की आवाज को बुलंद किया और राज्य निर्माण की प्रक्रिया को तेज किया।

यह कविता उनके जीवन के इसी संघर्ष, समर्पण और दृढ़ता को श्रद्धांजलि अर्पित करती है।


कविता:

इन्द्रमणि जी! तुम अग्रदूत थे
इन्द्रमणि जी ! तुम अग्रदूत थे,
देवभूमि के सच्चे सपूत थे,
उत्तराखंड की अस्मिता के लिए,
तुम तो मानो "देवदूत" थे।

उत्तराखंड की, एक तुम गाथाऐं नित गाते,
देश-विदेश तक रुबरु कराते,
सादा जीवन संस्कार "देवभूमि" के,
किए प्रचार "देवसंस्कृति" को घूम-घूम के।

राजनीतिज्ञ नहीं, तुम तो जनन्नितिज्ञ थे,
उत्तराखंड के चप्पे-चप्पे से विज्ञ थे,
शैल-शिखर, वन, सब नदी और नाले,
इस "धर्म धरा" के थे तुम सच्चे रखवाले।

उत्तराखंड, आन्दोलन के महानायक सौम्य,
सरल उत्तराखण्डियों के सहायक,
संकल्प एक था, पृथक उत्तराखंड बन जाए,
बलिदान इसके लिए चाहे मेरा तन हो जाए।

भले ही विरोधी, तुम्हारी इस हठ पर हंसते थे,
पर तुम तो उत्तराखंड के जन मन में बसते थे,
तुम्हारी पुकार से उत्तराखंड चल पड़ता था,
तुम्हारी हुकार से समूचा देश जल पड़ता था।

अडिग उत्तराखंडी, उत्तराखंड की आस में सो गए,
उत्तराखंड के लिए ही बलिदान हो गए,
विकल शरीर पर विचारों में थी आंधी,
सत् सत् नमन तुम्हें युगपुरुष पहाड़ के गांधी।


विश्लेषण:

यह कविता स्व. इन्द्रमणि बडोनी जी के महान संघर्ष और उनकी नेतृत्व क्षमता को सलाम करती है। उनके योगदान को "अग्रदूत" और "देवदूत" के रूप में व्यक्त किया गया है, जो उत्तराखण्ड के लिए समर्पित थे। उनका जीवन एक प्रेरणा था, जिसने न केवल उत्तराखण्ड के लोगों को जागरूक किया, बल्कि उनकी संस्कृति, परंपराओं और अस्मिता को भी जीवित रखा।

कविता में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि इन्द्रमणि जी न केवल एक राजनीतिज्ञ थे, बल्कि उन्होंने समाज की सेवा की और उत्तराखण्ड के हर छोटे-बड़े इलाके में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनका संघर्ष, बलिदान और संकल्प उनके विचारों को क्रियान्वित करने में मददगार साबित हुआ, जिसने उत्तराखण्ड के राज्य निर्माण की प्रक्रिया को गति दी।

निष्कर्ष:

स्व. इन्द्रमणि बडोनी जी का योगदान उत्तराखण्ड के इतिहास में सदैव अमर रहेगा। उनका जीवन, संघर्ष और विचार न केवल उत्तराखण्ड के लिए, बल्कि समूचे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके कार्यों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प लेते हैं।

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