माता कूष्माण्डा पूजा विधि: नवरात्रि की चतुर्थी पर विशेष - Mata Kushmanda Puja Vidhi: Special on Navratri Chaturthi

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माता कूष्माण्डा पूजा विधि: नवरात्रि की चतुर्थी पर विशेष

मां दुर्गा के नौ रूपों में चौथा रूप है माता कूष्माण्डा का। नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को देवी कूष्माण्डा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इनकी पूजा से भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है। यहां माता कूष्माण्डा की पूजा विधि विस्तार से बताई जा रही है, जिसे आप नवरात्रि या किसी विशेष शुभ अवसर पर कर सकते हैं।

पूजन सामग्री:

माता कूष्माण्डा की पूजा में निम्नलिखित सामग्री का उपयोग किया जाता है:

  • माता कूष्माण्डा की प्रतिमा या चित्र
  • लाल चंदन
  • लाल पुष्प
  • गौखुरी (गाय का गोबर)
  • धूप
  • लाल वस्त्र
  • अक्षत (चावल)
  • नैवेद्य (भोग)
  • घी का दीपक

पूजा विधि:

  1. प्रतिमा स्थापना: पूजा के शुभारंभ में माता कूष्माण्डा की प्रतिमा या चित्र को किसी पवित्र स्थान पर स्थापित करें।

  2. दीप प्रज्वलन: घी का दीपक जलाएं और उसमें लाल चंदन या सिंदूर से रंगी हुई रूई का उपयोग करें। उसके बाद, तेल का दीपक भी जलाएं।

  3. आचमन: पूजा में आचमन का विशेष महत्व है। निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए आचमन करें:

    • "ॐ भीमायै नमः"
    • "ॐ दुर्गायै नमः"
    • "ॐ कूष्माण्डायै नमः"
  4. ध्यान: माता कूष्माण्डा का ध्यान करते हुए लाल पुष्प हाथ में लेकर इस मंत्र का उच्चारण करें:

    • "अणिमादि गुणौदारां मकराकार चक्षुषाम्। अनन्त शक्ति भेदां तां कामाक्षीं प्रणमाम्यहम्॥"
    • "ॐ भूर्भुवः स्वः कूष्माण्डायै नमः।"
  5. आवाहन (मंत्रोच्चारण द्वारा माता को आमंत्रित करना):

    • "हे ब्रह्मवादिनी कूष्माण्डा, आओ वरदान प्रदान करो। हे महादेवि, हे कल्याणी! भक्तों को जीवन दान करो।"
    • "ॐ भूर्भुवः स्वः कूष्माण्डायै नमः। आवाहनं समर्पयामि।"
  6. आसन समर्पण: सफेद या क्रीम रंग के वस्त्र पर मूंग की दाल या हरे रंग के चावल से वृत्ताकार आकृति बनाएं और माता को बैठने के लिए निवेदन करें:

    • "रत्नों और मणियों से मण्डित अर्पण करना चाहूं मैं आसन। ग्रहण करो हे कुष्माण्डे तुम, स्वर्णमण्डित दिव्यासन॥"
    • "ॐ भूर्भुवः स्वः भगवत्यै कूष्माण्डायै नमः। आसनार्थे अक्षतान् समर्पयामि॥"
  7. पाद्य अर्पण (चरण स्नान): माता के चरणों को जल से धोते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें:

    • "जिसकी भक्ति से परमानंद सम्भव हो जाता है, पाद्य अर्घ्य उस कूष्माण्डे को अर्पित करता हूं।"
    • "ॐ भूर्भुवः स्वः कूष्माण्डायै नमः। पादयोः पाद्यं समर्पयामि॥"
  8. अर्घ्य समर्पण: कुशा, दूर्वा, तिल से युक्त जल से माता को अर्घ्य अर्पित करें:

    • "कुशा दूर्वा तिल सर्वपयुत, यह अर्घ्य समर्पित करता हूं। ग्रहण करें देवी कूष्माण्डा जी।"
    • "ॐ भूर्भुवः स्वः कूष्माण्डायै नमः। अर्घ्यं समर्पयामि॥"
  9. स्नान (अभिषेक): पवित्र जल से माता कूष्माण्डा को स्नान कराएं। इसके लिए गंगा जल या किसी तीर्थ स्थल का जल उपयोग करें और निम्न मंत्र पढ़ें:

    • "गंगा का पावन जल लाया हूं, स्नान हेतु माँ स्वीकार करो।"
    • "ॐ भूर्भुवः स्वः कूष्माण्डायै नमः। स्नानार्थे जलं समर्पयामि॥"
  10. मधुपर्क अर्पण: माता को उड़द की दाल, दही, शहद, और घी से युक्त मधुपर्क अर्पित करें:

  • "दही और शहद से युत मधुपर्क, यह भोजन तुम्हारे चरणों में अर्पित करता हूं।"
  • "ॐ भूर्भुवः स्वः कूष्माण्डायै नमः। मधुपर्क समर्पयामि॥"
  1. पंचामृत स्नान: माता को दूध, दही, घी, शहद और बूरा (चीनी) के पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत स्नान के बाद जल से पुनः स्नान कराएं।
  • दूध से स्नान:

    • "धेनु के पवित्र दूध से स्नान कराता हूं।"
    • "ॐ भूर्भुवः स्वः कूष्माण्डायै नमः। पयः स्नानं समर्पयामि॥"
  • दही से स्नान:

    • "स्वच्छ दही से माता के चरणों का अभिषेक करता हूं।"
    • "ॐ भूर्भुवः स्वः कूष्माण्डायै नमः। दधिस्नानं समर्पयामि॥"

घृत स्नान:

मंत्र:
आग को यौवन देने वाला द्विज देव बना जो गोघृत है। शक्ति वर्धक गोघृत ये कूष्माण्डे तुमको अर्पित है।।
ॐ भूर्भुवः स्वः भगवत्यै कूष्माण्डादेव्यै नमः घृतस्नानं समर्पयामि।

विधि:
घी-स्नान के बाद जल से स्नान करायें।


मधु स्नान:

मंत्र:
फूलों-फूलों से चुन-चुनकर, मक्खी ने शहद बनाया है। सुंदर स्वादिष्ट मधुर वरेण्य स्नानार्थ तुम्हें यह आया है।।
ॐ भूर्भुवः स्वः भगवत्यै कूष्माण्डायै नमः मधुस्नानं समर्पयामि।

विधि:
शहद से स्नान कराके जल से स्नान करायें।


शर्करा स्नान:

मंत्र:
गन्ने की ओटी पोनी से मीठा-मीठा रस बरसा। शर्करा बना कूष्माण्डा तुमको अर्पण करने को मन तरसा।।
ॐ भूर्भुवः स्वः भगवत्यै कूष्माण्डायै नमः शर्करास्नानं समर्पयामि।

विधि:
बूरा या शक्कर से स्नान कराके जल से स्नान करायें।


गन्धोदक-इत्र (सैन्ट):

मंत्र:
इत्र चंदन मौलश्री युत कस्तूरी गंध भरा है। गंधोदक तुमको देकर माँ तन-मन हरा-भरा है।
ॐ भूर्भुवः स्वः भगवत्यै कूष्माण्डादेव्यै नमः गंधोदकस्नानं समर्पयामि।

विधि:
चंदन जल में डालकर भगवती को पुनः स्नान करायें। स्वच्छ वस्त्र से प्रोक्षण (पौंछना) करना चाहिए।


वस्त्रार्पण:

मंत्र:
चित्र-विचित्र वर्णों से युत वस्त्र तुम्हें अर्पण करता हूं। हे मात कूष्माण्डे देवी सयि समर्पित करता हूं।।
ॐ भूर्भुवः स्व भगवत्यै श्रीगायत्रीदेव्यै नमः उपवस्त्रसहितं वस्त्रं समर्पयामि।


अलंकार:

कंगन या चूड़ी:

मंत्र:
माणिक्य मुक्ता मणिखंडो से सुनार ने इसे बनाया है। सुंदर से सोने के कंगनों को ये भक्त पहनाने आया है।।

कुण्डल:

मंत्र:
पूनो के चाँद से गोल बने माणिक्य खण्ड से शोभित हैं। स्वर्णसूत्र से निर्मित ये कूष्माण्डे तुमको अर्पित हैं।

अंगुद (बाजूबंद):

मंत्र:
जानु ग्रंथि तक फैली तेरी बाहु पर अंकित करने को। सुंदर चित्रित अंकित ये अंकित तव धारण करने को।।

हार (माला):

मंत्र:
कल कंठ का भूषण बनने को मणि-मानिक इसमें पिरोए हैं। धारण करो माँ कूष्माण्डा सुवासित जल बिच धोए हैं।।

अंगूठी:

मंत्र:
हेममयी मनोहारी ये मुदरिका मनमोहक प्यारी है। स्वर्ण मणि के खंडों से शोभित महिमा तेरी न्यारी है।

काँधनी:

मंत्र:
धरती धरती जिस तरह शेषनाग की बनी मेखला। कूष्माण्डा तुम भी धारण कर लो स्वर्ण तन्तु की बनी श्रृंखला।।

रुनझुन (नूपुर):

मंत्र:
रुनझुन रुनझुन ध्वनि मरोहर। पद पंकज में नूपुर के स्वर ।। कूष्माण्डा तुम देवि अति पावन। बने हैं नूपुर स्वर के सावन ।। मातु हमारी जय जगदम्बे । नूपुर लीजै है माँ अम्बे ।। रुनझुन रुनझुन करते तव घुंघरु ।। नाचे उठे शिव लेके डमरू ।।

मुकुट:

मंत्र:
स्वर्ण युत हीरक जडित मात तुम्हारे अर्पण करने आया हूं दीजो मेरा माथ ।। साथ ।।

गंध:

मंत्र:
श्री खंड चंदन-सा है तेरा रूप सलौना। श्वेत चंदन को अर्पण करने आया तेरा छौना।।

बुधकुम:

मंत्र:
कुमकुम कामिनी के मस्तक पर जो कुमकुम शोभित होता है। उसको कूष्माण्डा अर्पण करे ये भक्त उपस्थित होता है।।

केशपाश संस्करण (कंघी):

मंत्र:
सूर्यकांति की किरणों सम तेरे सुंदर बालों में। चंपक वेला कनक सूत्र युत गूंथने तेरे बालों में। अगणित दांतों वाला माते, तेरे दर पर कंघा लाया हूं। इसके सम दोष दूर करो माँ यह अर्ज साथ में लाया हूं।

सौवीराञ्जनम् (सुरमा):

मंत्र:
काजल ग्रहण करो कूष्माण्डे, जो है शान्ति का कारक। कर्पूर ज्योति से उत्पन्न हुआ बना हमेशा ज्योतिवर्धक।।

निष्कर्ष:

माता कूष्माण्डा की पूजा के दौरान उपरोक्त विधियों का पालन करके देवी की कृपा प्राप्त की जा सकती है। मां कूष्माण्डा अपने भक्तों को निरोगी काया, दीर्घायु, और समृद्धि का वरदान प्रदान करती हैं। श्रद्धा और समर्पण से की गई यह पूजा नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करके जीवन में सकारात्मकता का संचार करती है।

जय माता कूष्माण्डा!

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