श्री कुष्माण्डा महामन्त्र जप विधि
अस्य श्री कूष्माण्डा महामन्त्रस्य:
- ब्रह्मा ऋषिः
- अनुष्टुप् छन्दः
- श्री कूष्माण्डा देवता
- क्लीं बीजं
- ह्रीं शक्तिः
- ॐ कीलकं
- नमो दिग्बन्धनं
- श्री कूष्माण्डा प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।

कर न्यासः
- कां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः।
- क्रीं तर्जनीभ्यां नमः।
- कूं मध्यमाभ्यां नमः।
- कैं अनामिकाभ्यां नमः।
- क्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
- क्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
अङ्ग न्यासः
- क्रां हृदयाय नमः।
- क्रीं शिरसे स्वाहा।
- कूं शिखायै वषट्।
- के कवचाय हूं।
- कौं नेत्रत्रयाय वौषट्।
- क्रः अस्त्राय फट्।
ॐ भूर्भुवसुवरों इति दिग्बन्धः।

ध्यानम्
उद्यदात्रीशाननां चन्द्रचूडां पंचास्यस्थां त्रीक्षणां सुप्रसन्नाम्।
शखाब्जेपद्मासनैः शोभिहस्तां श्रीकूष्माण्डां हृदसरोजे भजेऽहम्॥
पञ्चपूजा
- लं पृथिव्यात्मिकायै गन्धं कल्पयामि।
- हं आकाशात्मिकायै पुष्पाणि कल्पयामि।
- यं वाय्वात्मिकायै धूपं कल्पयामि।
- रं अग्न्यात्मिकायै दीपं कल्पयामि।
- वं अमृतात्मिकायै अमृतं महानैवेद्यं कल्पयामि।
- सं सर्वात्मिकायै ताम्बूलादि समस्तोपचारान् कल्पयामि।
पीठ पूजा
ॐ मण्डूकादि परतत्त्वाय नमः।
प्रीं पृथिव्यै नमः
सौः सुधार्णवाय नमः
रां रत्नद्वीपाय नमः
क्रीं सौः सरोवराय नमः
क्लीं कल्पवनाय नमः
पद्मवनाय नमः
कल्पवल्ली मूलवेद्यै नमः
यं योगपीठाय नमः

श्री कूष्माण्डा आवाहनम्
उद्यद्रान्त्रीशाननां चन्द्रचूडां पंचास्यस्थां त्रीक्षणां सुप्रसन्नाम्।
शखाब्जेपद्मासनैः शोभिहस्तां श्रीकूष्माण्डां हृदसरोजै भजेऽहम्॥
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं कूष्माण्डायै नमः।
श्री कूष्माण्डा ध्यायामि आवाहयामि नमः (आवाहन मुद्रां प्रदर्श्य)।
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं कूष्माण्डायै नमः।
श्री कूष्माण्डा स्थापिता भव।
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं कूष्माण्डायै नमः।
श्री कूष्माण्डा संस्थितो भव।
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं कूष्माण्डायै नमः।
श्री कूष्माण्डा सम्मुखी भव।
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं कूष्माण्डायै नमः।
श्री कूष्माण्डा अवकुण्ठितो भव।
पूजा के विविध अर्पण
- पाद्यं: श्री कूष्माण्डायै नमः। पादयोः पाद्यं कल्पयामि।
- आसनं: श्री कूष्माण्डायै नमः। आसनं कल्पयामि।
- अध्यकल्पयामि: श्री कूष्माण्डायै नमः। हस्तयोः अध्य कल्पयामि।
- मुख आचमनी: श्री कूष्माण्डायै नमः। मुखे आचमनीयं कल्पयामि।
- स्नानं: श्री कूष्माण्डायै नमः। शुद्धोदक स्नानं कल्पयामि।
- वस्त्र: श्री कूष्माण्डायै नमः। वस्त्राणि कल्पयामि।
- आभरण: श्री कूष्माण्डायै नमः। आभरणानि कल्पयामि।
- गन्ध: श्री कूष्माण्डायै नमः। दिव्यपरिमल गन्धं कल्पयामि।
- पुष्प: श्री कूष्माण्डायै नमः। पुष्पाक्षतान् कल्पयामि।
- धूप: श्री कूष्माण्डायै नमः। धूपं कल्पयामि।
- दीप: श्री कूष्माण्डायै नमः। दीपं कल्पयामि।
- नैवेद्य: श्री कूष्माण्डायै नमः। नैवेद्यं कल्पयामि।
- ताम्बूल: श्री कूष्माण्डायै नमः। सुगन्ध ताम्बूलं कल्पयामि।

अंतिम चरण
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं कूष्माण्डायै नमः। कर्पूर नीराजनं कल्पयामि नमः।
प्रदक्षिण नमस्कार: ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं कूष्माण्डायै नमः। प्रदक्षिण नमस्कारान् कल्पयामि नमः।
प्रार्थना:
सन्विन्मये परे देवी परामृत रुचि प्रिये।
अनुज्ञां कूष्माण्डां देहि परिवार्चनाय मे॥
यह श्री कूष्माण्डा महामन्त्र जप क्रम न केवल भक्तों के मन को शांति और शक्ति प्रदान करता है, बल्कि दिव्य शक्ति का आह्वान कर उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
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