सूर्य के 108 नाम और उनका महत्व (108 names of the sun and their significance)

सूर्य के 108 नाम और उनका महत्व

सूर्य उपासना भारत की प्राचीन परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई है। महाभारत, पुराणों, और अन्य वैदिक ग्रंथों में भगवान सूर्य को संपूर्ण जगत का आधार बताया गया है। भगवान सूर्य के 108 नामों का उच्चारण स्वर्ग, मोक्ष, धन, संतान, और इच्छित फलों की प्राप्ति में सहायक माना गया है। यह नाम न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करते हैं, बल्कि मानसिक, शारीरिक, और सामाजिक समृद्धि का भी मार्ग प्रशस्त करते हैं।

भगवान सूर्य के 108 नाम

  1. सूर्य
  2. अर्यमा
  3. भग
  4. त्वष्टा
  5. पूषा
  6. अर्क
  7. सविता
  8. रवि
  9. गभस्तिमान (किरणों से युक्त)
  10. अज (अजन्मा)
  11. काल (समय)
  12. मृत्यु
  13. धाता (धारण करने वाले)
  14. प्रभाकर (प्रकाश फैलाने वाले)
  15. पृथ्वी
  16. आप (जल)
  17. तेज
  18. (आकाश)
  19. वायु
  20. परायण (सर्वोच्च शरण)
  21. सोम
  22. बृहस्पति
  23. शुक्र
  24. बुध
  25. अंगारक (मंगल)
  26. इंद्र
  27. विवस्वान
  28. दीप्तांशु (ज्योतिर्मय)
  29. शुचि (पवित्र)
  30. शौरि (वीर)
  31. शनैश्चर (शनि)
  32. ब्रह्मा
  33. विष्णु
  34. रुद्र
  35. स्कंद (कार्तिकेय)
  36. वैश्रवण (कुबेर)
  37. यम
  38. वैद्युत (विद्युत के रूप में)
  39. जठराग्नि
  40. ऐंधन (ईंधन के रूप में)
  41. तेजःपति
  42. धर्मध्वज
  43. वेदकर्ता
  44. वेदांग
  45. वेदवाहन
  46. कृत (सत्ययुग)
  47. त्रेता
  48. द्वापर
  49. कलि
  50. सर्वामराश्रय
  51. कला
  52. काष्ठा
  53. मुहूर्त
  54. क्षपा (रात्रि)
  55. याम (प्रहर)
  56. क्षण
  57. संवत्सरकर
  58. अश्वत्थ
  59. कालचक्र
  60. विभावसु (अग्नि)
  61. पुरुष
  62. शाश्वत (अनंत)
  63. योगी
  64. व्यक्ताव्यक्त (प्रकट और अप्रकट)
  65. सनातन
  66. कालाध्यक्ष
  67. प्रजाध्यक्ष
  68. विश्वकर्मा
  69. तमोनुद (अंधकार को नष्ट करने वाले)
  70. वरुण
  71. सागर
  72. अंश
  73. जीमूत (मेघ)
  74. अलोलुप (निर्लोभ)
  75. अनंत
  76. कपिल
  77. भानु
  78. कामद
  79. सर्वतोमुख (सर्वदिशाओं में मुख वाले)
  80. जय
  81. विशाल
  82. वरद
  83. सर्वभूतनिषेवित
  84. मनः
  85. सुपर्ण (गरुड़)
  86. भूतादि
  87. शीघ्रग (शीघ्र गति वाले)
  88. प्राणधारक
  89. धन्वंतरि
  90. धूमकेतु
  91. आदिदेव
  92. अदितिपुत्र
  93. द्वादशात्मा
  94. रवि
  95. दक्ष
  96. पिता
  97. माता
  98. पितामह
  99. स्वर्गद्वार
  100. प्रजाद्वार
  101. मोक्षद्वार
  102. त्रिविष्टप
  103. चराचरात्मा
  104. सूक्ष्मात्मा
  105. मैत्रेय
  106. करुणान्वित
  107. प्रशांतात्मा
  108. विश्वात्मा

सूर्य स्तुति का महत्व

महाभारत में महर्षि धौम्य और व्यास जी ने कहा है कि भगवान सूर्य के 108 नामों का पाठ करने से:

  • सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
  • धन, यश, और संतान की प्राप्ति होती है।
  • मन की शांति और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • मोक्ष और स्वर्ग के द्वार खुलते हैं।

पाठ विधि

सुबह सूर्य उदय के समय या संध्याकाल में शुद्ध होकर भगवान सूर्य की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर ध्यानमग्न होकर इन नामों का पाठ करें। इसे करते समय पूर्ण एकाग्रता और श्रद्धा रखें।

स्रोत:
यह स्तोत्र ब्रह्म-पुराण और महाभारत में विस्तृत रूप से वर्णित है। इसकी विधिवत पूजा और पाठ से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

निष्कर्ष:
भगवान सूर्यदेव के 108 नामों का यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि का द्वार खोलता है। नियमित रूप से इसका पाठ करके आप अपने जीवन को नई ऊर्जा और सकारात्मकता से भर सकते हैं।

सूर्य के 108 नाम और उनका महत्व" FQCs (Frequently Asked Questions) 

1. सूर्य के 108 नामों का क्या महत्व है?

  • सूर्य के 108 नामों का उच्चारण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह नाम पापों के नाश, धन, यश, संतान, और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होते हैं। यह सूर्यदेव की उपासना का प्रभावी तरीका है जो जीवन में समृद्धि और शांति लाता है।

2. सूर्य के 108 नामों का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

  • सूर्य के 108 नामों का पाठ करने से पापों का नाश, धन और यश की प्राप्ति, संतान सुख, मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।

3. सूर्य के 108 नामों का जप कैसे करना चाहिए?

  • सूर्य के 108 नामों का जप सुबह सूर्य उदय के समय या संध्याकाल में शुद्ध होकर भगवान सूर्य की मूर्ति या चित्र के सामने ध्यानमग्न होकर करना चाहिए। इसे करते समय एकाग्रता और श्रद्धा का ध्यान रखें। जल अर्पित करते हुए इन नामों का जप करना अधिक फलदायी होता है।

4. सूर्य के 108 नामों का पाठ किस समय करना चाहिए?

  • सूर्य के 108 नामों का पाठ सूर्योदय के समय या संध्या समय में करना चाहिए। इन समयों में विशेष रूप से ध्यान और साधना की प्रभावशीलता बढ़ जाती है।

5. सूर्य के 108 नामों का जप किस ग्रंथ में वर्णित है?

  • सूर्य के 108 नामों का स्तोत्र ब्रह्म-पुराण और महाभारत में वर्णित है। इन ग्रंथों में भगवान सूर्य के नामों के साथ उनकी महिमा और महत्व का वर्णन किया गया है।

6. क्या सूर्य के 108 नामों का जप मोक्ष प्राप्ति में सहायक है?

  • हां, सूर्य के 108 नामों का जप मोक्ष प्राप्ति में सहायक माना जाता है। यह व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करता है और उसके जीवन के सभी पापों का नाश करता है, जिससे मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

7. क्या सूर्य के 108 नामों का जप स्वास्थ्य लाभ देता है?

  • सूर्य के 108 नामों का जप शारीरिक स्वास्थ्य को भी लाभकारी होता है। यह रोगों से मुक्ति, मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

8. क्या सूर्य के 108 नामों का जप धन और यश में वृद्धि करता है?

  • हां, सूर्य के 108 नामों का जप धन, यश, और समृद्धि में वृद्धि करता है। यह व्यक्ति को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता और समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करता है।

9. सूर्य के 108 नामों का पाठ करने से कौन से पापों का नाश होता है?

  • सूर्य के 108 नामों का पाठ मानसिक, वाचिक, और कर्मजनित सभी पापों का नाश करता है। यह व्यक्ति को शुद्ध करता है और उसकी आत्मा को प्रकाश से भर देता है।

10. क्या सूर्य के 108 नामों का पाठ घर में करना चाहिए?

  • हां, सूर्य के 108 नामों का पाठ घर में भी किया जा सकता है। इसे घर के किसी शांत स्थान पर एकाग्रता के साथ किया जा सकता है, ताकि घर के सदस्य भी लाभान्वित हो सकें।

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