लीलाधर जगूड़ी: समकालीन कविता के अद्वितीय हस्ताक्षर - Leeladhar Jaguri: Unique signature of contemporary poetry

लीलाधर जगूड़ी: समकालीन कविता के अद्वितीय हस्ताक्षर

मूल नाम: लीलाधर जगूड़ी
जन्म: 1 जुलाई 1940
जन्म स्थान: टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड

लीलाधर जगूड़ी समकालीन हिंदी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर हैं, जिनकी कविताएँ भाषा, अनुभव और संवेदना के नए आयाम प्रस्तुत करती हैं। उनका जीवन संघर्ष, सृजन और सफलता की प्रेरणादायक गाथा है।


जीवन परिचय

1 जुलाई 1940 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में जन्मे लीलाधर जगूड़ी ने ग्यारह वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया। उनका जीवन संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा। उन्होंने आजीविका के लिए सेना में सिपाही की नौकरी की और बाद में उत्तर प्रदेश की सूचना सेवा से जुड़े। वहाँ उन्होंने सरकारी पत्रिकाओं का संपादन किया। सेवानिवृत्ति के बाद वे उत्तराखंड के पहले सूचना सलाहकार और संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद के उपाध्यक्ष बने।

उनका जुड़ाव केंद्रीय साहित्य अकादेमी के सामान्य सभा से भी रहा। उनके अनुभव और साहित्यिक दृष्टि ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया।


काव्य यात्रा

ओम निश्चल के शब्दों में, "लीलाधर जगूड़ी ने अनुभव और भाषा के बीच कविता को जीवित रखा है। उनकी कविताएँ संवेदनाओं और भाषा में नवीनता का अनूठा मेल हैं।" उनकी कविताओं में प्रयोगशीलता और सृजनात्मकता का गहरा प्रभाव देखा जाता है।

उनकी कविताएँ अनुभव के आकाश में उड़ान भरती हैं और भावनाओं की गहराई में उतरती हैं। उनकी भाषा में नवीनता और कथ्य में स्पष्टता उनकी कविताओं को विशिष्ट बनाते हैं।


प्रमुख कृतियाँ

लीलाधर जगूड़ी के साहित्यिक योगदान में उनके काव्य-संग्रह, निबंध और नाटक शामिल हैं। उनके प्रमुख काव्य-संग्रह हैं:

  • शंखमुखी शिखरों पर (1964)
  • नाटक जारी है (1972)
  • इस यात्रा में (1974)
  • रात अब भी मौजूद है (1976)
  • बची हुई पृथ्वी (1977)
  • घबराए हुए शब्द (1981)
  • भय भी शक्ति देता है (1991)
  • अनुभव के आकाश में चाँद (1994)
  • महाकाव्य के बिना (1995)
  • ईश्वर की अध्यक्षता में (1999)
  • जितने लोग उतने प्रेम (2013)
  • ख़बर का मुँह विज्ञापन से ढका है (2014)

उनके गद्य साहित्य में प्रमुख कृतियाँ:

  • पाँच बेटे (नाटक)
  • रचना प्रक्रिया से जूझते हुए (निबंध-संग्रह)

सम्मान एवं पुरस्कार

लीलाधर जगूड़ी को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:

  • साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1997): कविता-संग्रह अनुभव के आकाश में चाँद के लिए।
  • पद्मश्री (2004): साहित्य और कला में योगदान के लिए।
  • व्यास सम्मान (2018): कविता-संग्रह जितने लोग उतने प्रेम के लिए।

विशेषताएँ और साहित्यिक दृष्टिकोण

लीलाधर जगूड़ी की कविताएँ गहन अनुभूतियों और सामाजिक यथार्थ का संगम हैं। उनकी रचनाएँ पाठक को संवेदनाओं की गहराई में ले जाती हैं और यथार्थ से जोड़ती हैं। वे शब्दों को केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि अनुभव की गहराई तक पहुँचने का साधन मानते हैं।

उनकी कविताओं में सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवेश की झलक मिलती है। भाषा और कथ्य में नवीनता उनकी कविताओं की पहचान है।


निष्कर्ष

लीलाधर जगूड़ी हिंदी साहित्य के उन महान कवियों में से हैं, जिन्होंने कविता को एक नया आयाम दिया। उनका जीवन संघर्ष और साहित्यिक यात्रा आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी कविताएँ भावनाओं और भाषा के स्तर पर साहित्य को समृद्ध करती हैं।

“लीलाधर जगूड़ी: अनुभव, भाषा और संवेदना की कविता के अग्रदूत।”

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