भरत सिंह बगड़वाल: एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी (Bharat Singh Bagadwal: A great freedom fighter and social worker)

भरत सिंह बगड़वाल: एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी

जन्म और प्रारंभिक जीवन
भरत सिंह बगड़वाल का जन्म 25 दिसम्बर, 1920 को उत्तरकाशी जनपद के गमरी पट्टी के बगोड़ी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री धन सिंह था। बचपन से ही उनमें राष्ट्र सेवा और साहस का गुण दिखाई देने लगा था।

सैन्य जीवन की शुरुआत
सन् 1938 में भरत सिंह बगड़वाल रॉयल गढ़वाल रायफल्स की 5वीं बटालियन में एक सिपाही के रूप में भर्ती हुए। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, उन्हें भारतीय सेना के साथ दक्षिण-पूर्व एशिया में जापानी आक्रमण का सामना करने के लिए मलाया और सिंगापुर भेजा गया। वहां पर युद्ध के दौरान जापानी सेना ने उन्हें बंदी बना लिया।

आजाद हिन्द फौज में योगदान
युद्धबंदी के रूप में, भरत सिंह बगड़वाल सुभाष चन्द्र बोस से प्रेरित हुए और भारत की आजादी के संघर्ष में शामिल होने के लिए उन्होंने आजाद हिन्द फौज में प्रवेश किया। आजाद हिन्द फौज में रहते हुए उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अंग्रेजी सेना द्वारा बंदी और स्वतंत्रता के बाद का जीवन
युद्ध में जापान की हार के बाद, अंग्रेजी सेना ने भरत सिंह बगड़वाल को बंदी बना लिया और उन्हें भारत की विभिन्न जेलों में रखा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, सन् 1948 में उन्हें भारतीय सेना में आजाद हिन्द फौज के अन्य सैनिकों की तरह सम्मानपूर्वक नियुक्ति मिली। सन् 1951 में वे अपने पारिवारिक दायित्वों को पूरा करने के लिए सेवानिवृत्त होकर गांव लौट आए।

दूसरी बार सेना में योगदान
हालांकि, देश सेवा की भावना से प्रेरित होकर, सन् 1958 में उन्होंने पुनः भारतीय सेना में प्रवेश किया और 24 अगस्त, 1964 तक सेना में सेवारत रहे। उनकी इस सेवा और समर्पण के लिए उन्हें 19 अप्रैल, 1976 को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

सेवानिवृत्ति और समाजसेवा
सेवानिवृत्ति के बाद, भरत सिंह बगड़वाल समाजसेवा से जुड़ गए और अपने गांव व आसपास के क्षेत्र के लोगों की सेवा में योगदान दिया। उन्होंने समाज के विकास में सक्रिय भूमिका निभाई और लोगों के बीच एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बने रहे।

मृत्यु और स्मृति
भरत सिंह बगड़वाल का निधन सन् 2002 में हुआ। उनकी बहादुरी और देश के प्रति समर्पण आज भी हमें प्रेरणा देता है। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने जीवन को देश के नाम कर दिया और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए।

निष्कर्ष
भरत सिंह बगड़वाल जैसे महान व्यक्तित्वों के बलिदान और संघर्ष के कारण ही आज हमारा देश स्वतंत्र और सुरक्षित है। उनके साहस और त्याग की गाथा हमें बताती है कि देशभक्ति और समाजसेवा का सच्चा अर्थ क्या होता है। उनके जीवन से हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने और देशसेवा के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा मिलती है।

भरत सिंह बगड़वाल: एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी

प्रमुख तथ्य:

  • नाम: भरत सिंह बगड़वाल
  • जन्म: 25 दिसम्बर, 1920, बगोड़ी गांव, गमरी पट्टी, उत्तरकाशी
  • मृत्यु: सन् 2002

प्रारंभिक जीवन:

  • पिता का नाम: श्री धन सिंह
  • बचपन से ही राष्ट्र सेवा और साहस का गुण था।

सैन्य जीवन:

  • सेना में भर्ती: 1938, रॉयल गढ़वाल रायफल्स की 5वीं बटालियन में सिपाही
  • युद्ध के दौरान भूमिका: द्वितीय विश्वयुद्ध में जापानी सेना के साथ दक्षिण-पूर्व एशिया के मोर्चे पर सेवा
  • युद्ध में जापानी सेना द्वारा बंदी बनाए गए

आजाद हिन्द फौज में योगदान:

  • प्रेरणा: सुभाष चन्द्र बोस से प्रेरित होकर आजाद हिन्द फौज में शामिल हुए
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान

बंदी और स्वतंत्रता के बाद का जीवन:

  • जापान की हार के बाद अंग्रेजी सेना ने उन्हें बंदी बनाया
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1948 में भारतीय सेना में पुनः शामिल हुए
  • सेवानिवृत्ति: 1951, पारिवारिक दायित्वों के लिए गांव लौटे

दूसरी बार सेना में योगदान:

  • पुनः सेना में प्रवेश: 1958
  • अवधि: 24 अगस्त, 1964 तक सेवा
  • सम्मान: 19 अप्रैल, 1976 को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया

समाजसेवा:

  • सेवानिवृत्ति के बाद समाजसेवा में योगदान
  • गांव और आसपास के क्षेत्रों में समाज के विकास के लिए सक्रिय भूमिका निभाई

प्रेरणादायक व्यक्तित्व:

  • उनकी वीरता और त्याग नई पीढ़ियों को देशभक्ति और सेवा की प्रेरणा देता है

निष्कर्ष:

भरत सिंह बगड़वाल का जीवन एक आदर्श है, जिसने देश और समाज के प्रति समर्पण के सच्चे अर्थ को परिभाषित किया। उनके साहस और सेवा ने उन्हें इतिहास में अमर बना दिया है।

भरत सिंह बगड़वाल: एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी - सामान्य प्रश्न

  1. भरत सिंह बगड़वाल कौन थे?

    • भरत सिंह बगड़वाल एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय सेना में भी सेवा दी और बाद में समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाई।
  2. भरत सिंह बगड़वाल का जन्म कब और कहां हुआ था?

    • भरत सिंह बगड़वाल का जन्म 25 दिसम्बर, 1920 को उत्तरकाशी जिले के गमरी पट्टी के बगोड़ी गांव में हुआ था।
  3. भरत सिंह बगड़वाल को सेना में शामिल होने के लिए किसने प्रेरित किया?

    • भरत सिंह बगड़वाल बचपन से ही देश सेवा के प्रति प्रेरित थे। उन्होंने 1938 में रॉयल गढ़वाल राइफल्स की 5वीं बटालियन में सिपाही के रूप में भर्ती होकर अपनी सेना जीवन की शुरुआत की।
  4. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भरत सिंह बगड़वाल की भूमिका क्या थी?

    • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भरत सिंह बगड़वाल को जापानी आक्रमण का सामना करने के लिए मलाया और सिंगापुर भेजा गया। युद्ध में जापानी सेना द्वारा उन्हें बंदी बना लिया गया था।
  5. भरत सिंह बगड़वाल ने आज़ाद हिंद फौज में कैसे योगदान दिया?

    • जापानी बंदी के रूप में रहते हुए, भरत सिंह बगड़वाल सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित होकर आज़ाद हिंद फौज में शामिल हुए और भारत की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  6. भरत सिंह बगड़वाल के जेल से रिहा होने के बाद क्या हुआ?

    • जापान की हार के बाद, अंग्रेजी सेना ने उन्हें बंदी बना लिया और भारत की विभिन्न जेलों में रखा। स्वतंत्रता के बाद, 1948 में उन्हें भारतीय सेना में सम्मानपूर्वक नियुक्ति मिली।
  7. भरत सिंह बगड़वाल ने सेना में अपनी सेवा क्यों छोड़ी थी?

    • 1951 में, भरत सिंह बगड़वाल ने पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण सेना से सेवानिवृत्त होकर अपने गांव लौटने का निर्णय लिया।
  8. भरत सिंह बगड़वाल ने दूसरी बार सेना में क्यों योगदान दिया?

    • देश सेवा की भावना से प्रेरित होकर, उन्होंने 1958 में पुनः भारतीय सेना में शामिल होकर 24 अगस्त, 1964 तक अपनी सेवा जारी रखी। इस सेवा के लिए उन्हें 1976 में प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुआ।
  9. भरत सिंह बगड़वाल के समाजसेवा के योगदान के बारे में क्या कहा जा सकता है?

    • सेवानिवृत्ति के बाद, भरत सिंह बगड़वाल ने समाजसेवा में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने अपने गांव और आसपास के क्षेत्र में सामाजिक विकास के लिए कार्य किया और एक प्रेरणास्त्रोत बने।
  10. भरत सिंह बगड़वाल का निधन कब हुआ और उनकी विरासत क्या है?

  • भरत सिंह बगड़वाल का निधन 2002 में हुआ। उनकी वीरता, साहस और देश के प्रति समर्पण की गाथा आज भी हमें प्रेरित करती है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि देशभक्ति और समाजसेवा का सच्चा अर्थ क्या होता है।

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