आजाद हिंद फौज में उत्तराखंड का योगदान
भारत की स्वतंत्रता संग्राम में आजाद हिंद फौज (INA) का योगदान ऐतिहासिक और प्रेरणादायक रहा है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित इस फौज का उद्देश्य ब्रिटिश हुकूमत को भारत से हटाना था। इस फौज में उत्तराखंड के वीर सपूतों का अतुलनीय योगदान रहा, जिन्होंने अपनी साहसिकता और देशप्रेम से स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। नेताजी की आजाद हिंद फौज में उत्तराखंडियों का योगदान बहुत अहम था आजाद हिंद फौज के कुल सैनिकों में से लगभग 12 प्रतिशत लगभग 2500 सैनिक उत्तराखंडी थे। बुद्धिशरण रावत रावत जी के निजी सहायक तथा पितृशरण रतूड़ी कर्नल थे। सूबेदार लेफ्टिनेंट चंद्र सिंह नेगी जी को सिंगापुर ऑफिसर ट्रेनिंग का कमांडर नियुक्त किया गया था। जबकि मेजर देव सिंह दानू नेताजी के अंगरक्षक बटालियन गढ़वाली बटालियन के कमांडर थे। ज्ञान सिंह बिष्ट तथा महेंद्र सिंह जैसे वीर युद्ध मे शहीद हो गए थे।।
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उत्तराखंड के वीरों का योगदान
- चंद्र सिंह नेगीउत्तराखंड के चंद्र सिंह नेगी का आजाद हिंद फौज में अहम योगदान था। उन्हें सिंगापुर में आजाद हिंद फौज के ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल का कमांडर नियुक्त किया गया था। उनकी नेतृत्व क्षमता और साहसिकता ने फौज को नई ऊर्जा दी।
- मेजर देव सिंह दानूसुभाष चंद्र बोस के पर्सनल एडजुटैन्ट (अंगरक्षक) के रूप में मेजर देव सिंह दानू ने नेताजी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। उनकी बहादुरी और समर्पण ने आजाद हिंद फौज में एक महत्वपूर्ण स्थान अर्जित किया।
- कैप्टन बुद्धि सिंह रावतनेताजी ने कैप्टन बुद्धि सिंह रावत को अपना निजी सहायक नियुक्त किया था। रावत जी ने नेताजी के निर्देशों का पालन करते हुए देश की आजादी के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए।
- कर्नल पितृशरण रतूड़ीकर्नल पितृशरण रतूड़ी को आजाद हिंद फौज की "सुभाष रेजीमेंट" की प्रथम बटालियन का कमांडर नियुक्त किया गया था। उन्होंने बर्मा अभियान (Burma Campaign) में अदम्य शौर्य का प्रदर्शन किया, जिसके लिए नेताजी ने उन्हें "सरदार-ए-जंग" की उपाधि से सम्मानित किया।
- मेजर पदम सिंहमेजर पदम सिंह को सुभाष रेजीमेंट की तीसरी बटालियन का कमांडर नियुक्त किया गया था। उनके कुशल नेतृत्व में उनकी बटालियन ने कई महत्वपूर्ण युद्धों में भाग लिया और अपनी बहादुरी का परिचय दिया।
गढ़वाल रायफल्स का योगदान
21 सितंबर 1942 को गढ़वाल रायफल्स की 2/18 और 5/18 बटालियन आजाद हिंद फौज में शामिल हो गई। इन दोनों बटालियनों में 2500 सैनिक शामिल थे, जिनमें से 800 वीर सैनिक देश के लिए शहीद हो गए।
उत्तराखंड का योगदान प्रतिशत में
आजाद हिंद फौज में कुल 23,266 भारतीय सैनिक शामिल थे, जिनमें से लगभग 12 प्रतिशत उत्तराखंड से थे। यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि उत्तराखंड के वीर सपूतों ने देश की स्वतंत्रता में कितना अहम योगदान दिया।
निष्कर्ष
उत्तराखंड के वीरों का यह योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। आजाद हिंद फौज में उनके द्वारा दिखाए गए साहस, त्याग और देशभक्ति की भावना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नई ऊर्जा का संचार किया। उत्तराखंड के इन वीर सैनिकों की गाथा हमें यह सिखाती है कि देश के लिए समर्पण और निस्वार्थ सेवा सबसे बड़ा धर्म है
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