पदम सिंह: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आज़ाद हिन्द फौज के योद्धा - Padam Singh: Freedom fighter and fighter of the Indian National Army

पदम सिंह: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आज़ाद हिन्द फौज के योद्धा

पदम सिंह का जन्म 25 मार्च, 1917 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ग्राम तल्ला धनेटा में हुआ था। उनके पिता का नाम माधो सिंह रावत था। बचपन में ही उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय तमाकोट से प्राप्त की और फिर मिडिल की परीक्षा पाली के जूनियर हाईस्कूल से पास की। वे अपने परिवार के साथ अल्मोड़ा जिले के रानीखेत क्षेत्र में रहते थे। उनकी पत्नी का नाम प्रतिमा देवी था, और उनके परिवार में पाँच पुत्र और एक पुत्री थी।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

पदम सिंह का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा। 5 अक्टूबर, 1941 को उन्होंने आज़ाद हिन्द फौज में भर्ती होकर सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में युद्ध में भाग लिया। सुभाष चंद्र बोस के साथ उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में भाग लिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया।

युद्ध के दौरान, भारी गोलीबारी के कारण उनके बांए हाथ में गोली लग गई। इसके बावजूद, उनका हौसला नहीं टूटा और वे संघर्ष में शामिल रहे। 23 जनवरी, 1942 से 14 फरवरी, 1942 तक उन्हें समुद्र पार कालापानी की सजा दी गई। लेकिन सुभाष चंद्र बोस के प्रयासों से वे कालापानी से बाहर निकाले गए और पुनः द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया।

सिंगापुर जेल और सम्मान

15 अप्रैल, 1942 से 4 अप्रैल, 1945 तक उन्हें सिंगापुर जेल में रखा गया। यहां भी उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी। 1946 में आज़ाद हिन्द फौज द्वारा उन्हें मेडल से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने 1948 में उन्हें 4 एकड़ भूमि दूनागिरी में दी, ताकि उनकी सेवाओं की सराहना की जा सके।

स्वतंत्रता संग्राम के बाद का जीवन

1972 में, भारत की स्वतंत्रता के 25वें वर्ष में, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें ताम्र पत्र भेंट किया। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने भी उन्हें सम्मानित किया। यह सभी पुरस्कार और सम्मान उनके जीवन और संघर्ष के प्रति देश की श्रद्धा और आभार को दर्शाते हैं।

निधन और अंतिम संस्कार

18 अक्टूबर, 1983 को उनका निधन उत्तराखंड के दुधोली में हुआ। उनके योगदान और बलिदान को आज भी याद किया जाता है, और उनकी वीरता की कहानी हमें प्रेरणा देती है।

पदम सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी वीरता ने देश के लिए नई दिशा दी और हमें स्वतंत्रता की कीमत समझाई।

Frequently Asked Questions (FQCs) 

पदम सिंह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने आज़ाद हिन्द फौज में सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में भाग लिया। उनका जन्म 25 मार्च, 1917 को अल्मोड़ा जिले के ग्राम तल्ला धनेटा में हुआ था।

2. पदम सिंह ने आज़ाद हिन्द फौज में कब और क्यों भर्ती हुए थे?

पदम सिंह ने 5 अक्टूबर, 1941 को आज़ाद हिन्द फौज सेन्टर, साउथ पूना में सुभाष चंद्र बोस के सानिध्य में भर्ती होकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। उनका लक्ष्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त कराना था।

3. पदम सिंह को कौन से सम्मान प्राप्त हुए थे?

पदम सिंह को 1946 में आज़ाद हिन्द फौज द्वारा मेडल से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, भारत सरकार ने उन्हें 1948 में 4 एकड़ भूमि दूनागिरी दी। 1972 में उन्हें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी द्वारा ताम्र पत्र भेंट किया गया।

4. पदम सिंह ने कौन से युद्धों में भाग लिया?

पदम सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया और सुभाष चंद्र बोस के साथ कई महत्वपूर्ण अभियानों में शामिल रहे। इसके बाद उन्हें सिंगापुर जेल में भी बंद रखा गया।

5. पदम सिंह को कालापानी की सजा क्यों दी गई थी?

पदम सिंह को 23 जनवरी, 1942 से 14 फरवरी, 1942 तक कालापानी की सजा दी गई थी क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया था। हालांकि, सुभाष चंद्र बोस के प्रयासों से उन्हें कालापानी से मुक्त किया गया।

6. पदम सिंह की मृत्यु कब और कहां हुई?

पदम सिंह का निधन 18 अक्टूबर, 1983 को उत्तराखंड के दुधोली में हुआ।

7. पदम सिंह की पत्नी का नाम क्या था?

पदम सिंह की पत्नी का नाम प्रतिमा देवी था। उनके पांच पुत्र और एक पुत्री थीं।

8. पदम सिंह को भारत सरकार से क्या पुरस्कार मिला था?

भारत सरकार ने 1948 में उन्हें 4 एकड़ भूमि दूनागिरी पुरस्कार स्वरूप दी थी और 1972 में उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के 25 वर्ष पूरे होने पर ताम्र पत्र से सम्मानित किया।

9. पदम सिंह का योगदान भारत की स्वतंत्रता संग्राम में क्या था?

पदम सिंह का योगदान आज़ाद हिन्द फौज में महत्वपूर्ण था, जहां उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए बलिदान दिया। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के साथ युद्ध में भाग लिया और भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए संघर्ष किया।

10. पदम सिंह के बारे में कोई महत्वपूर्ण संस्मरण या किस्सा क्या है?

पदम सिंह के जीवन में एक महत्वपूर्ण किस्सा यह है कि उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षों में हिस्सा लिया, और युद्ध में घायल होने के बाद भी उनका हौसला कभी कमजोर नहीं हुआ।

इन FQCs को आप अपने ब्लॉग में शामिल कर सकते हैं, ताकि पाठकों को पदम सिंह के जीवन और उनके योगदान के बारे में अधिक जानकारी मिल सके।

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