उत्तराखंड की महान विभूतियां: हरिद्वार में आजादी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कृष्णलाल ढींगड़ा - Great personalities of Uttarakhand: Krishnalal Dhingra, who led the freedom movement in Haridwar

हरिद्वार में आजादी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कृष्णलाल ढींगड़ा

उत्तराखंड की भूमि न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों का स्थल रही है, बल्कि यह वीरों और वीरांगनाओं की जन्मभूमि भी है, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और शौर्य से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया। इनमें एक नाम कृष्णलाल ढींगड़ा का है, जिन्होंने हरिद्वार में स्वतंत्रता संग्राम को तेज किया और भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जन्म – 20 अप्रैल 1919, कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड
देहावसान – 23 अगस्त 2016, कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड

कृष्णलाल ढींगड़ा का जन्म 20 अप्रैल 1919 को हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में हुआ था। मात्र 16 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई छोड़कर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की जो लहर पूरे देश में चल रही थी, उसे कृष्णलाल ढींगड़ा ने हरिद्वार में पूरी ताकत से फैलाया। वह न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समर्थक थे, बल्कि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलन में अलख जगाने का काम भी किया।

कृष्णलाल ढींगड़ा ने भारत छोड़ो आंदोलन के समय जेल की सजा भी भुगती, जो उनके स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है। उनका नेतृत्व हरिद्वार में क्रांतिकारी गतिविधियों के संचालन में अत्यधिक प्रभावशाली था और उनके मार्गदर्शन में बहुत से लोग स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए थे।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कृष्णलाल ढींगड़ा ने पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य किया। वह हरिद्वार प्रेस क्लब के संरक्षक मंडल के सदस्य रहे। इसके अलावा, उन्हें उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने उनके स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और राष्ट्रवादी पत्रकारिता के लिए सम्मानित किया।

कृष्णलाल ढींगड़ा को उत्तराखंड सरकार ने 26 जनवरी 2016 को उनके देशभक्ति और समाज सेवा के योगदान के लिए सम्मानित किया। वे हरिद्वार में संत समाज के साथ मिलकर सेवा कार्यों में भी लगे रहे।

कृष्णलाल ढींगड़ा का जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में और पत्रकारिता के क्षेत्र में अमूल्य रहेगा। 23 अगस्त 2016 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनका नाम हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा।

समाज और राष्ट्र के प्रति उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।


कृष्णलाल ढींगड़ा के जीवन से हम सभी को यह सिखने को मिलता है कि राष्ट्र के प्रति समर्पण, कड़ी मेहनत और संघर्ष से ही स्वतंत्रता मिलती है और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी निभाई जा सकती है।

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