चण्डी प्रसाद भट्ट: पर्यावरण संरक्षण के अग्रदूत - Chandi Prasad Bhatt: Pioneer of environmental protection

चण्डी प्रसाद भट्ट: पर्यावरण संरक्षण के अग्रदूत

परिचय

चण्डी प्रसाद भट्ट (जन्म: 23 जून 1934) उत्तराखंड के गोपेश्वर क्षेत्र में जन्मे एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद्, गांधीवादी विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे 'चिपको आंदोलन' के प्रणेता के रूप में जाने जाते हैं, जिसने भारत में पर्यावरण जागरूकता की अलख जगाई। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई।


जीवन परिचय

चण्डी प्रसाद भट्ट का जन्म गोपेश्वर (उत्तराखंड) में हुआ। उनके पिता का नाम गंगा राम भट्ट और माता का नाम महेशी देवी था। सरल और साधारण परिवेश में पले-बढ़े भट्ट जी ने पर्यावरण और समाज के प्रति बचपन से ही गहरी रुचि दिखाई।

उन्होंने 1964 में 'दशोली ग्राम स्वराज्य संघ' की स्थापना की, जो कालांतर में 'चिपको आंदोलन' की मातृ-संस्था बनी। उनकी विचारधारा महात्मा गांधी से प्रेरित थी, जिसने उन्हें ग्राम स्वराज्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया।


चिपको आंदोलन का नेतृत्व

चण्डी प्रसाद भट्ट ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में वनों की कटाई और पर्यावरण असंतुलन के खिलाफ संघर्ष किया। 'चिपको आंदोलन' के तहत उन्होंने ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं को संगठित किया। इस आंदोलन के दौरान स्थानीय लोग पेड़ों से चिपक गए, जिससे वनों की कटाई को रोका गया।

उनके नेतृत्व में चिपको आंदोलन ने न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में पर्यावरण जागरूकता के लिए मिसाल कायम की।


पुरस्कार और सम्मान

चण्डी प्रसाद भट्ट को उनके असाधारण कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया:

  • 1982: रेमन मैग्सेसे पुरस्कार
  • 1983: पद्म श्री
  • 1991: इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार
  • 2005: पद्म भूषण

विशेष योगदान

  1. पर्यावरण संरक्षण: चिपको आंदोलन के जरिए वनों की कटाई पर रोक लगाई।
  2. सामाजिक उत्थान: ग्राम स्वराज्य की अवधारणा को बढ़ावा दिया।
  3. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच: भट्ट जी ने कई देशों जैसे रूस, अमेरिका, जर्मनी, जापान, नेपाल, और फ्रांस में पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।

दशोली ग्राम स्वराज्य संघ

1964 में स्थापित यह संघ ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बना। यह संघ न केवल रोजगार सृजन में सहायक रहा, बल्कि उसने ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी दी।


चण्डी प्रसाद भट्ट की विरासत

चण्डी प्रसाद भट्ट का जीवन पर्यावरण संरक्षण, समाज सेवा, और आत्मनिर्भरता का संदेश देता है। उनका कार्य हमें सिखाता है कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।


निष्कर्ष

चण्डी प्रसाद भट्ट भारतीय समाज के ऐसे प्रेरणास्त्रोत हैं, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जागरूकता के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया। उनके कार्यों की गूंज आज भी दुनिया भर में सुनाई देती है।

चण्डी प्रसाद भट्ट जैसे महान व्यक्तित्व हमें प्रेरणा देते हैं कि हम प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाएं।

चंडी प्रसाद भट्ट पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1: चंडी प्रसाद भट्ट कौन हैं?
Ans: चंडी प्रसाद भट्ट एक प्रसिद्ध भारतीय पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे चिपको आंदोलन के प्रणेता और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं।

Q2: चंडी प्रसाद भट्ट का जन्म कब और कहां हुआ था?
Ans: चंडी प्रसाद भट्ट का जन्म 23 जून 1934 को उत्तराखंड के चमोली जिले के गोपेश्वर में हुआ था।

Q3: चंडी प्रसाद भट्ट को कौन-कौन से पुरस्कार मिले हैं?
Ans: उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1982)
  • पद्म भूषण (2005)
  • गांधी शांति पुरस्कार (2013)

Q4: चिपको आंदोलन क्या है और इसमें चंडी प्रसाद भट्ट की भूमिका क्या थी?
Ans: चिपको आंदोलन पर्यावरण संरक्षण का एक अहिंसक आंदोलन था, जो 1973 में उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में शुरू हुआ। इसका उद्देश्य वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना था। चंडी प्रसाद भट्ट ने ग्रामीणों को संगठित किया और इस आंदोलन का नेतृत्व किया।

Q5: चंडी प्रसाद भट्ट ने दशोली ग्राम स्वराज्य संघ (DGSS) की स्थापना क्यों की?
Ans: उन्होंने 1964 में दशोली ग्राम स्वराज्य संघ की स्थापना की ताकि स्थानीय ग्रामीणों को वन-आधारित रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकें और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सके।

Q6: चंडी प्रसाद भट्ट का पर्यावरण संरक्षण में क्या योगदान है?
Ans: उन्होंने हिमालयी क्षेत्र में वनों और जल संसाधनों के संरक्षण के लिए काम किया। उनके नेतृत्व में शुरू किए गए चिपको आंदोलन ने भारत में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूकता बढ़ाई।

Q7: चंडी प्रसाद भट्ट की शिक्षा और प्रारंभिक जीवन कैसा था?
Ans: उनका पालन-पोषण गोपेश्वर में हुआ, जहां उनके पिता मंदिर के पुजारी और किसान थे। स्कूली शिक्षा रुद्रप्रयाग और पौड़ी में पूरी की, लेकिन डिग्री प्राप्त करने से पहले पढ़ाई छोड़ दी।

Q8: चंडी प्रसाद भट्ट का जीवन दर्शन क्या है?
Ans: चंडी प्रसाद भट्ट गांधीवादी विचारों के अनुयायी हैं। उनका जीवन दर्शन पर्यावरण संरक्षण, सामुदायिक सेवा और ग्रामीण विकास पर आधारित है।

Q9: चंडी प्रसाद भट्ट ने किन देशों की यात्राएं की हैं?
Ans: उन्होंने अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस, जर्मनी, चीन, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, स्पेन और अन्य कई देशों की यात्रा की है।

Q10: चंडी प्रसाद भट्ट आजकल क्या कर रहे हैं?
Ans: वे सामाजिक पारिस्थितिकी और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेते हैं और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाते हैं।

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