चन्द्र सिंह राही: एक महान गायक की महान पहचान (Chandra Singh Rahi: The Great Identity of a Great Singer)
चन्द्र सिंह राही: एक महान गायक की महान पहचान
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चन्द्र सिंह राही, ग्रामोफोन, कैसट, और सी.डी. दौर के पहले पिढ़ी के गढ़वाली लोकगायकों में एक प्रसिद्ध नाम थे। उनका जन्म 28 मार्च 1942 को हुआ और 10 जनवरी 2016 को वे इस दुनिया को अलविदा कह गए। राही जी बेहतरीन आवाज के स्वामी थे, और उनकी आवाज का जादू आज भी सुनने वालों के दिलों में बसा हुआ है।
मुख्य बिंदु:
- चन्द्र सिंह राही का संगीत, उनके क्षेत्रीय लोकगीतों और कुमाउनी-गढ़वाली गीतों के बीच की संस्कृति को संजोने का प्रयास था।
- उन्होंने भारतीय लोक संस्कृति और संगीत को अपनी गायकी से नया रूप दिया।
- राही जी का गायन परंपरा और क्षेत्रीय संस्कृति को न सिर्फ संरक्षित करता था, बल्कि उसे नया जीवन भी प्रदान करता था।
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1. चन्द्र सिंह राही कौन थे?
चन्द्र सिंह राही उत्तराखंड के प्रसिद्ध गायक और लोक संगीत के अद्भुत कलाकार थे। उन्होंने गढ़वाली और कुमाउनी लोकसंगीत को अपने गीतों के माध्यम से राष्ट्रीय पहचान दिलाई।
2. चन्द्र सिंह राही का जन्म और मृत्यु कब हुई?
चन्द्र सिंह राही का जन्म 28 मार्च 1942 को हुआ था, और उनका निधन 10 जनवरी 2016 को हुआ।
3. चन्द्र सिंह राही की गायकी की क्या विशेषता थी?
उनकी आवाज का सुरीलापन और लहराते हुए अलाप लेने की कला जैसे "आँ...हाँ..हाँ..हो" सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती थी। वे जागर, प्रेमगीत और हर प्रकार के गीत सहजता से गाते थे।
4. चन्द्र सिंह राही को कौन-कौन से वाद्य यंत्र बजाने में महारत हासिल थी?
राही जी डौंर-थकुली, सिणाई (शहनाई), बांसुरी, ढोल, हारमोनियम, और हुड़का जैसे वाद्य यंत्रों में निपुण थे।
5. चन्द्र सिंह राही का कौन-कौन सा लोकप्रिय गीत है?
उनके प्रसिद्ध गीतों में "हिलमा चांदी को बटना", "सौली घुरा घुर दगड़्या", "मेरो फ्वां बाघ रे", और "रूप की खाज्यानी" शामिल हैं।
6. राही जी ने गढ़वाली-कुमाउनी एकता पर कौन सा गीत गाया?
उन्होंने "न गढ़वाली, न कुमाउनी, हम उत्तराखंडी छों" जैसे गीत गाए, जो गढ़वाल और कुमाऊं की एकता को दर्शाते हैं।
7. चन्द्र सिंह राही ने पहाड़ों की प्रकृति और समाज को कैसे चित्रित किया?
उनके गीतों में पहाड़ों की खेती, जानवरों जैसे स्याल, सौली, बाघ और सामुदायिक जीवन की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
8. राही जी के गीतों में हास्य और सरलता कैसे झलकती है?
गीत "सर मुंगा पंथ्येणी मुंगा" जैसे हास्य गीत, जिनमें पहाड़ी अंग्रेजियत का भोला-पन दिखता है, उनके गीतों की सरलता को प्रदर्शित करते हैं।
9. चन्द्र सिंह राही का राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण कैसा था?
वे शुरुआत में कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े थे, लेकिन बाद में कांग्रेस का प्रचार किया। उनका मानना था कि क्षेत्रीय लोकसंस्कृति को बचाना भारत को मजबूत करने के लिए अनिवार्य है।
10. चन्द्र सिंह राही का योगदान लोकगीतों के संकलन में क्या है?
उन्होंने न केवल लोकगीतों का संरक्षण किया, बल्कि कई जनगीतों को भी संग्रहीत किया, जो आज भी सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं।
11. राही जी ने गायन के अलावा क्या किया?
रोजगार की तलाश में राही जी ने बांसुरी बेचने जैसे कई छोटे-बड़े काम किए, लेकिन संगीत हमेशा उनकी प्राथमिकता रहा।
12. राही जी का कौन सा गीत प्राकृतिक संघर्ष और सामुदायिक जीवन को दर्शाता है?
"सौली घुरा घुर दगड़्या" और "मेरो फ्वां बाघ रे" जैसे गीत उनके समय के पहाड़ी ग्रामीण जीवन और सामूहिकता को दिखाते हैं।
13. चन्द्र सिंह राही की विरासत को कैसे संजोया जा सकता है?
उनके गीतों और संकलित संगीत को संरक्षित कर, नए कलाकारों को प्रेरित कर और क्षेत्रीय लोकसंस्कृति को बढ़ावा देकर उनकी विरासत को जीवंत रखा जा सकता है।
14. चन्द्र सिंह राही को उनकी संस्कृति और परंपरा से इतना लगाव क्यों था?
उनका लोकसंगीत से लगाव उनकी जागरी पृष्ठभूमि और पहाड़ों के प्रति प्रेम के कारण था।
15. चन्द्र सिंह राही को श्रद्धांजलि क्यों महत्वपूर्ण है?
वे न केवल एक महान गायक थे, बल्कि पहाड़ों की संस्कृति और लोककला को नई पहचान देने वाले अद्वितीय कलाकार भी थे। उनकी स्मृति हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देती है।
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