पर्यावरणविद् धूम सिंह नेगी: जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित - Environmentalist Dhoom Singh Negi: Honoured with Jamnalal Bajaj Award
पर्यावरणविद् धूम सिंह नेगी: जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित
धूम सिंह नेगी: परिचय
धूम सिंह नेगी का जन्म टिहरी जिले के नरेंद्रनगर प्रखंड स्थित पिपलेथ कठियागांव में हुआ। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी विद्यालय से प्राप्त की और उच्च शिक्षा टिहरी से ग्रहण की। 1964 में, उन्होंने सरकारी शिक्षक के रूप में अपनी सेवा शुरू की और चार वर्षों तक नरेंद्रनगर के दोगी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षण कार्य किया।
हालांकि, क्षेत्र में उच्च शिक्षा के साधन न होने के कारण उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और जाजल में एक निजी जूनियर हाईस्कूल की स्थापना की। दस वर्षों तक शिक्षण कार्य करने के बाद, उन्होंने इसे भी त्याग दिया और सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी शुरू की।
चिपको आंदोलन में भूमिका
1970 के दशक में उत्तराखंड के ऐतिहासिक चिपको आंदोलन ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक नई जागरूकता फैलाई। धूम सिंह नेगी इस आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने चमोली, लासी, बडियारगढ़, और नरेंद्रनगर के जंगलों को बचाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई।
विशेष रूप से, 9 फरवरी 1978 को नरेंद्रनगर में वनों की नीलामी का विरोध करते हुए, उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 14 दिनों के बाद रिहा होकर उन्होंने फिर से आंदोलन की कमान संभाली। उनकी निडरता और संकल्प ने वनों की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अन्य सामाजिक और पर्यावरणीय आंदोलन
चिपको आंदोलन के बाद, धूम सिंह नेगी ने कई अन्य आंदोलनों में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाई:
- शराबबंदी आंदोलन:उत्तराखंड में शराब की बढ़ती समस्या के खिलाफ उन्होंने कई वर्षों तक नेतृत्व किया।
- खनन विरोधी आंदोलन:1980 में देहरादून के निकट सिनस्यारु खाला में खनन गतिविधियों के खिलाफ उन्होंने आंदोलन चलाया। इसके बाद कटाल्डी खनन विरोधी आंदोलन में भी उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई।
- भूदान आंदोलन:विनोबा भावे के नेतृत्व में चलाए गए इस आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भागीदारी की।
- बीज बचाओ आंदोलन:1994 से, धूम सिंह नेगी पारंपरिक बीजों को संरक्षित करने के लिए बीज बचाओ आंदोलन में जुट गए।
- पैदल यात्राएं:पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने कश्मीर से कोहिमा और गंगोत्री से गंगासागर तक की पैदल यात्राएं कीं।
जमनालाल बजाज पुरस्कार
जमनालाल बजाज फाउंडेशन की ओर से दिया जाने वाला यह पुरस्कार सामाजिक कार्यकर्ताओं को उनके अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित करता है। धूम सिंह नेगी को इस पुरस्कार से नवाजे जाने पर उनके साथी पर्यावरणविद् विजय जड़धारी, दयाल भाई, और सुदेशा बहन ने इसे एक सच्चे समाजसेवी का सम्मान बताया।
वर्तमान जीवन
आज भी धूम सिंह नेगी प्रचार-प्रसार से दूर अपने गांव पिपलेथ में रहते हैं। वे नई पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण और समाज सेवा के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। उनकी सरल जीवनशैली और महान कार्य उन्हें एक सच्चे समाजसेवी के रूप में स्थापित करती है।
निष्कर्ष
धूम सिंह नेगी की कहानी हमें सिखाती है कि दृढ़ संकल्प, निस्वार्थ सेवा, और पर्यावरण के प्रति समर्पण से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। उनका जीवन न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित होकर उन्होंने यह साबित किया कि समाज और प्रकृति के लिए किए गए कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाते।
"हम सबकी जिम्मेदारी है कि पर्यावरण को बचाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और हरा-भरा भविष्य मिले।"
संभावित FQCs (Frequently Queried Content)
धूम सिंह नेगी और उनके योगदान पर आधारित ब्लॉग के लिए यहां कुछ FQCs हैं:
1. धूम सिंह नेगी कौन हैं?
धूम सिंह नेगी एक पर्यावरणविद् और सर्वोदयी नेता हैं, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक उत्थान के लिए कई ऐतिहासिक आंदोलनों का नेतृत्व किया।
2. धूम सिंह नेगी को जमनालाल बजाज पुरस्कार क्यों दिया गया?
उन्हें पर्यावरण और समाज के प्रति उनके 40 वर्षों के योगदान के लिए 2018 में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया गया।
3. धूम सिंह नेगी का जन्म और शिक्षा कहां हुई?
उनका जन्म टिहरी जिले के नरेंद्रनगर प्रखंड के पिपलेथ कठियागांव में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की और टिहरी से स्नातक की पढ़ाई की।
4. धूम सिंह नेगी का चिपको आंदोलन में क्या योगदान रहा?
उन्होंने चमोली, लासी, और नरेंद्रनगर जैसे क्षेत्रों में वनों की कटाई रोकने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई। 1978 में उन्होंने वनों की नीलामी का विरोध करते हुए जेल भी गए।
5. उन्होंने शराबबंदी आंदोलन में कैसे योगदान दिया?
उन्होंने उत्तराखंड में शराब के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए कई वर्षों तक शराबबंदी आंदोलन का नेतृत्व किया।
6. धूम सिंह नेगी ने 'बीज बचाओ आंदोलन' क्यों शुरू किया?
1994 में उन्होंने पारंपरिक बीजों को संरक्षित करने और जैव विविधता बचाने के लिए 'बीज बचाओ आंदोलन' शुरू किया।
7. धूम सिंह नेगी किन अन्य आंदोलनों में सक्रिय रहे?
- भूदान आंदोलन
- खनन विरोधी आंदोलन
- शिक्षा जागरण आंदोलन
- गंगोत्री से गंगासागर तक की पर्यावरण जागरूकता यात्रा
8. जमनालाल बजाज पुरस्कार में क्या दिया जाता है?
पुरस्कार के तहत ₹10 लाख की धनराशि, सम्मान पत्र, ट्रॉफी, और शॉल प्रदान किए जाते हैं।
9. वर्तमान में धूम सिंह नेगी क्या कर रहे हैं?
वे अपने गांव पिपलेथ में रहते हैं और नई पीढ़ी को पर्यावरण और समाज सेवा के प्रति प्रेरित कर रहे हैं।
10. धूम सिंह नेगी से समाज को क्या सीख मिलती है?
उनका जीवन समाज सेवा, पर्यावरण संरक्षण, और निस्वार्थ समर्पण का प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को प्रेरणा देता है।
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