नंतराम नेगी: मुगल सेना को पराजित करने वाले वीर योद्धा (Nantaram Negi: The brave warrior who defeated the Mughal army)
नंतराम नेगी: मुगल सेना को पराजित करने वाले वीर योद्धा
वीर नंतराम नेगी की वीरता की कहानी उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के इतिहास का अहम हिस्सा है। वह जौनसार-बावर क्षेत्र के निवासी थे, और उनकी साहसिकता ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया। नंतराम नेगी ने मुग़ल सेनापति अब्दुल कादिर को पराजित किया और उनका सिर काटकर सिरमौर के राजा को भेज दिया, फिर खुद इस्लामिक जिहादियों की विशाल सेना से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
वीर नंतराम नेगी का जन्म और संघर्ष
नंतराम नेगी का जन्म 1725 में जौनसार-बावर के मलेथा गांव में हुआ। वह बचपन से ही साहसिक खेलों और तलवारबाजी के शौक़ीन थे, और सिरमौर रियासत की सेना में भर्ती हो गए। उस समय सिरमौर रियासत के राजा शमशेर प्रकाश थे और नंतराम उनकी सेना में सिपाही थे।
मुग़ल सेना का आक्रमण
मुगल काल में अब्दुल कादिर नामक एक आक्रामक सेनापति ने देहरादून, सहारनपुर और हरिद्वार जैसे क्षेत्रों में तबाही मचाई थी। उसने देहरादून को बर्बाद कर दिया था और नाहन रियासत पर आक्रमण करने का प्लान बनाया था। सिरमौर के राजा और उनकी मां ने नंतराम को युद्ध के लिए भेजने का निर्णय लिया, क्योंकि उन्हें पता था कि नंतराम के नेतृत्व में ही इस कठिन समय से उबरा जा सकता है।
युद्ध की कथा
नंतराम ने नाहन के राजा से एक विशेष राजसी तलवार और ढाल प्राप्त की और दुश्मन पर हमला करने के लिए निकले। उन्होंने यमुना नदी के किनारे मुग़ल सेना को पूरी तरह से हैरान कर दिया। नंतराम ने अचानक हमला करते हुए मुग़ल सेनापति अब्दुल कादिर का सिर काट लिया। इससे मुग़ल सेना में भगदड़ मच गई और वे जल्द ही भाग खड़े हुए।
वीर नंतराम की वीरगति
लेकिन युद्ध के दौरान नंतराम का घोड़ा घायल हो गया, जिससे वह अपनी सेना से बिछुड़ गए। इस अवसर का फायदा उठाते हुए मुग़ल सेना ने नंतराम पर हमला कर दिया, और 14 फरवरी 1746 को युद्ध करते हुए उन्होंने वीरगति को प्राप्त किया। नंतराम के बलिदान ने उनकी सेना को प्रेरित किया और उनकी छोटी सी टुकड़ी ने मुग़ल सेना को हराकर जीत हासिल की।
"गुलदार" की उपाधि
उनकी वीरता को देखते हुए, सिरमौर के राजा ने नंतराम के परिवारजनों को "गुलदार" की उपाधि से सम्मानित किया। उनके परिवार को तीन जागीरें दी गईं और उनके वंशजों के लिए विशेष सम्मान और पदों की व्यवस्था की गई। आज भी उनके वंशज मलेथा और मोहराड में रहते हैं और उन्हें गुलदार, चाक्करपूत जैसे सम्मानजनक उपनामों से जाना जाता है।
लोककाव्य और नंतराम की विरासत
वीर नंतराम की वीरगाथा आज भी जौनसारी लोकगीत हारुल के रूप में जीवित है, जो उनके साहस और बलिदान को गाता है। उनकी वीरता का एक चित्र भी तैयार किया गया था, जो उनकी वीरता और संघर्ष को नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।
नंतराम नेगी ने अपने अदम्य साहस और पराक्रम से इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराया। उनका बलिदान आज भी जौनसार-बावर क्षेत्र में लोगों को प्रेरित करता है। वीर नंतराम नेगी का जीवन एक प्रेरणा है, जो यह बताता है कि अपने देश और संस्कृति के लिए बलिदान देने वाला योद्धा कभी नहीं मरता, बल्कि वह हमेशा अपनी वीरता के साथ अमर रहता है।
नंतराम नेगी: मुगल सेना को पराजित करने वाले वीर योद्धा
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के इतिहास में वीर नंतराम नेगी का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। जौनसार-बावर क्षेत्र के इस साहसी योद्धा ने मुगल सेनापति अब्दुल कादिर को हराकर अपने अदम्य साहस का परिचय दिया और अमर हो गए।
वीर नंतराम का प्रारंभिक जीवन
- जन्म: 1725, मलेथा गांव, जौनसार-बावर क्षेत्र
- रुचि: साहसिक खेलों और तलवारबाजी में बचपन से रुचि
- सेना में शामिल: सिरमौर रियासत की सेना में भर्ती, राजा शमशेर प्रकाश के अधीन
मुगल सेना का आक्रमण और नंतराम का मुकाबला
- आक्रमण का नेतृत्व: अब्दुल कादिर, जिसने देहरादून, सहारनपुर, और हरिद्वार को तबाह किया
- नंतराम की भूमिका: सिरमौर के राजा ने उन्हें मुग़ल सेना का मुकाबला करने के लिए चुना
युद्ध की कथा
- यमुना नदी के किनारे युद्ध: नंतराम ने मुग़ल सेना पर अचानक हमला किया
- अब्दुल कादिर का अंत: वीरता से अब्दुल कादिर का सिर काट कर दुश्मन को पराजित किया
वीरगति और बलिदान
- अंतिम संघर्ष: 14 फरवरी 1746 को युद्ध के दौरान घायल घोड़े के कारण बिछड़ गए
- वीरगति: घिर कर मुग़ल सेना से युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की
उनकी वीरता का सम्मान
- "गुलदार" की उपाधि: सिरमौर के राजा ने उनके परिवार को यह उपाधि दी
- सम्मान और जागीरें: परिवार को तीन जागीरें और विशेष सम्मान दिए गए
नंतराम की अमर विरासत
- लोककाव्य: वीरगाथा जौनसारी लोकगीत हारुल के रूप में गाई जाती है
- प्रेरणा का स्रोत: उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए बलिदान और साहस की प्रेरणा है
वीर नंतराम नेगी का जीवन यह संदेश देता है कि सच्चा योद्धा अपनी वीरता और देश के प्रति प्रेम से हमेशा जीवित रहता है।
उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और परंपरा का उत्सव।
उत्तराखंड दिवस पर हमारे पहाड़ी राज्य का जश्न।
उत्तराखंड की पहचान और गौरव पर आधारित लेख।
उत्तराखंड की विविधता पर आधारित कविताओं का संग्रह।
उत्तराखंड की गौरवशाली धरती को समर्पित कविताएँ।
उत्तराखंड की अनमोल धरोहर पर केंद्रित कविताएँ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें