नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र: नेत्रों की ज्योति और स्वास्थ्य के लिए (Netra Upanishad Stotra: For the light and health of the eyes)

नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र: नेत्रों की ज्योति और स्वास्थ्य के लिए

नेत्रों का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है। इनकी ज्योति से ही हम इस खूबसूरत दुनिया को देख पाते हैं। वेदों में नेत्रों की उपासना के लिए कई श्लोक और मंत्र हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण श्लोक है नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र। यह स्तोत्र नेत्रों की रक्षार्थ और उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। इसके नियमित पाठ से न केवल नेत्र रोग दूर होते हैं, बल्कि आंखों की ज्योति भी बढ़ती है।

नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का महत्व

नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का पाठ करने से समस्त नेत्र रोगों का नाश होता है। इसके नियमित पाठ से नेत्रों की ज्योति ठीक रहती है और धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। यह स्तोत्र शारीरिक रूप से भी लाभकारी होता है क्योंकि यह आँखों की ताजगी और शक्ति को बनाए रखने में मदद करता है।

नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र

"ॐ नमो भगवते सूर्य्याय अक्षय तेजसे नमः।"

यह मंत्र सूर्य देवता की शक्ति और उनके अद्वितीय तेज को नमन करता है। सूर्य देवता की उपासना से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है और आँखों की रोशनी स्थिर रहती है।

"ॐ खेचराय नमः। ॐ महते नमः। ॐ रजसे नमः।"

यह श्लोक सूर्य देवता की विभिन्न रूपों में आस्था प्रकट करता है, जिसमें उनका महिमामंडन किया गया है। इसका उद्देश्य नेत्रों को शुद्ध और उत्तम बनाना है।

"ॐ असतोमासदगमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतंगमय।"

यह श्लोक अज्ञानता से ज्ञान की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमरता की ओर यात्रा की कामना करता है। इस मंत्र का जाप आंखों में शक्ति और दिव्यता लाने के लिए किया जाता है।

"उष्णो भगवान शुचिरूपः। हंसो भगवान हंसरूपः।"

यह श्लोक सूर्य देवता के शुद्ध रूप और उनके अद्वितीय तेज को दर्शाता है। हंस रूप में सूर्य के प्रभाव से आंखों को शक्ति मिलती है।

"इमां चक्षुष्मति विद्या ब्राह्मणोनित्य मधीयते।"

यह मंत्र यह कहता है कि जो इस चक्षुष्मति विद्या का नियमित अभ्यास करता है, उसके नेत्रों में हमेशा ज्योति बनी रहती है और वह आंखों से संबंधित किसी भी रोग से मुक्त रहता है।

"न तस्याक्षिरोगो भवति न तस्य कुलेन्धो भवति।"

यह श्लोक यह बताता है कि जो व्यक्ति इस स्तोत्र का नियमित पाठ करता है, उसके जीवन में नेत्र रोग नहीं होते और न ही उसके वंश में कोई नेत्र दोष उत्पन्न होता है।

"अष्टौ ब्राह्मणान प्राहयित्वा विद्या सिद्धि भविष्यति।"

यह श्लोक यह संकेत करता है कि आठ ब्राह्मणों को विद्या का श्रवण कराते हुए, इस स्तोत्र का जाप करने से विद्या और सिद्धि की प्राप्ति होती है।

"ॐ विश्व रूप घृणन्तं जात वेदसंहिरण्यमय ज्यतिरूपमतं। सहस्त्ररश्मिभशः तथा वर्तमानः पुरः प्रजाना। मुदयतेष्य सूर्य्यः।"

यह श्लोक सूर्य देव के प्रकाशमय रूप का वर्णन करता है, जो हजारों रश्मियों के माध्यम से संपूर्ण जगत को प्रकाशित करता है। सूर्य के इस दिव्य रूप के प्रति श्रद्धा से आंखों की ज्योति बनी रहती है।

"ॐ नमो भगवते आदित्याय अहोवाहन वाहनाय स्वाहा।"

यह मंत्र सूर्य देवता की आराधना के लिए है, जो उनकी शक्ति और ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। यह नेत्रों की शक्ति बढ़ाने के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।

"हरिः ॐ तत्सत् ब्रह्मणे नमः।"

यह श्लोक ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रयी को नमन करता है। यह जीवन के हर पहलू को शुद्ध करने के लिए उच्चतम ब्रह्मा की आराधना है।

"ॐ नमः शिवाय।"

शिवजी के इस मंत्र का जाप भी आंखों की ऊर्जा और स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।

"ॐ सूर्य्यायर्पणमस्तु।"

यह श्लोक सूर्य देवता के प्रति समर्पण को प्रकट करता है और उनकी कृपा से आंखों की शक्ति और स्वास्थ्य को संरक्षित करता है।

निष्कर्ष

नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का नियमित पाठ करने से न केवल नेत्र रोग दूर होते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। सूर्य देवता की शक्ति को अपनी आंखों में समाहित कर हम अपनी नेत्र ज्योति को बढ़ा सकते हैं। इसलिए इस स्तोत्र का नियमित पाठ करें और अपनी आंखों को स्वस्थ और तेजस्वी बनाए रखें।

FQCs (Frequently Asked Questions)  नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र 

1. नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र क्या है?

नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र एक महत्वपूर्ण वेदिक स्तोत्र है, जो विशेष रूप से नेत्रों की रक्षा और उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मंत्रों और श्लोकों से युक्त है। यह स्तोत्र नेत्रों की ज्योति को बढ़ाने और नेत्र रोगों को दूर करने में प्रभावी माना जाता है।

2. नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?

नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का नियमित पाठ करने से नेत्र रोगों का नाश होता है, आंखों की ज्योति बढ़ती है और वे ताजगी बनाए रखते हैं। यह शारीरिक दृष्टि से भी लाभकारी है, क्योंकि यह आंखों की शक्ति और ऊर्जा को संरक्षित करता है।

3. क्या यह स्तोत्र सभी के लिए प्रभावी है?

हां, यह स्तोत्र सभी व्यक्तियों के लिए लाभकारी है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो आंखों से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं या जिनकी आंखों की ज्योति कमजोर है। इसके पाठ से किसी भी उम्र के व्यक्ति को लाभ हो सकता है।

4. नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का नियमित पाठ कैसे करें?

नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का नियमित पाठ दिन में कम से कम एक बार करना चाहिए। इसे सूर्योदय या सूर्यास्त के समय करने से विशेष लाभ मिलता है, क्योंकि सूर्य देवता की उपासना से आंखों की ज्योति बढ़ती है।

5. क्या स्तोत्र का पाठ करते समय किसी विशेष विधि का पालन करना चाहिए?

स्तोत्र का पाठ करते समय शुद्धता और मन की एकाग्रता महत्वपूर्ण है। उपासक को शुद्ध अवस्था में बैठकर और पूरी श्रद्धा से इसे पढ़ना चाहिए। किसी भी विधि विशेष का पालन करने के लिए, एक साधक को धार्मिक गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करना उचित है।

6. नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र के मंत्रों का अर्थ क्या है?

इस स्तोत्र में सूर्य देवता की शक्ति और तेज की उपासना की जाती है। मंत्रों का उद्देश्य आंखों की ज्योति बढ़ाना, नेत्र रोगों को दूर करना और शारीरिक शक्ति को बनाए रखना है। उदाहरण के लिए, "ॐ नमो भगवते सूर्य्याय अक्षय तेजसे नमः" सूर्य के तेज को नमन करता है और नेत्रों की शक्ति को बढ़ाने के लिए है।

7. क्या नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का पाठ केवल शारीरिक लाभ के लिए करना चाहिए?

हालांकि इस स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य नेत्रों के स्वास्थ्य को बनाए रखना है, इसका पाठ मानसिक शांति और आंतरिक शुद्धता प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है। यह श्लोक जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करते हैं और एकाग्रता को बढ़ाते हैं।

8. क्या नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का पाठ केवल बड़ों को करना चाहिए या बच्चों के लिए भी यह लाभकारी है?

यह स्तोत्र बच्चों और बड़ों दोनों के लिए लाभकारी है। बच्चों को इसकी शुद्धता और ऊर्जा से फायदा हो सकता है, जो उनकी आंखों की ताकत को बढ़ाता है। हालांकि बच्चों को इसे पाठ करने से पहले किसी विशेषज्ञ या गुरु से मार्गदर्शन लेना बेहतर होगा।

9. नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का प्रभाव कितने समय में दिखता है?

नेत्रोपनिषद्‌ स्तोत्र का प्रभाव व्यक्ति के शरीर और मन की स्थिति पर निर्भर करता है। नियमित पाठ से कुछ सप्ताह में ही आंखों में ताजगी और ऊर्जा का अनुभव होने लगता है। लंबे समय तक नियमित पाठ करने से स्थायी लाभ मिल सकता है।

10. क्या इस स्तोत्र का पाठ करने से किसी अन्य शारीरिक लाभ की प्राप्ति होती है?

इस स्तोत्र का पाठ सिर्फ आंखों के लिए ही नहीं, बल्कि समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। यह ध्यान और मानसिक शांति को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे पूरे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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