सूर्य देव को अर्घ्य क्यों और कैसे देना चाहिए (Why and how should one offer Arghya to Sun God)

सूर्य देव को अर्घ्य क्यों और कैसे देना चाहिए?

आइए जानते हैं सूर्य देव को अर्घ्य क्यों, कैसे और किस मंत्र से देना चाहिए।
सूर्योपासना कोई नया विषय नहीं है बल्कि यह वैदिक काल से ही भारतीय परंपरा में स्थापित है। सूर्य भगवान के उदय से अंधकार का नाश होता है और संपूर्ण जगत में प्रकाश फैलता है। सूर्यदेव हमें प्रकृति के शाश्वत और अनवरत नियमों से परिचित कराते हैं। उनकी उपासना से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य, और सफलता के साथ मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।


सूर्य देव को अर्घ्य क्यों देना चाहिए?

सूर्य अर्घ्य की प्राचीन परंपरा
प्राचीन काल में ऋषि-मुनि सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में नदी में स्नान करते थे और स्नान के उपरांत सूर्य को जल अर्पित करते थे। तांबे के पात्र से सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा आज भी प्रचलित है।

सूर्य ग्रह की ज्योतिषीय महत्ता
ज्योतिष में सूर्य आत्मा और पिता का कारक ग्रह माना जाता है। यदि जन्म कुंडली में सूर्य नीच का हो या शनि, राहु, और केतु जैसे अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करने से शुभ फल प्राप्त होता है।

स्वास्थ्य और सफलता में मददगार

  • कारोबार में परेशानी हो तो सूर्योपासना लाभकारी होती है।
  • चर्म रोग से ग्रसित व्यक्ति को आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  • सूर्य देव दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, धन, संतान, और यश प्रदान करते हैं।

सूर्य को अर्घ्य देने की विधि

सूर्योदय के समय अर्घ्य देना

  1. प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्नान करें।
  2. साफ और पवित्र स्थान पर पूर्वाभिमुख होकर खड़े हों।
  3. तांबे के पात्र में जल लें और उसमें चावल, लाल पुष्प, तथा रक्तचंदन डालें।
  4. दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़कर सूर्य को जल चढ़ाएं।
  5. ध्यान रखें कि जल पैरों को न छुए।
  6. अर्पित जल को एक पात्र में संग्रहित करें और पौधों में डाल दें।

मंत्र जाप के साथ अर्घ्य दें
अर्घ्य देते समय सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करना अनिवार्य है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


सूर्य अर्घ्य के समय मंत्र

जल अर्पित करते समय निम्न मंत्रों का जाप करें:

  • आधिकारिक मंत्र:

ऊँ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।  
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकरः।।  
  • सूर्य गायत्री मंत्र:
ऊँ आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि।  
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।।  
  • पौराणिक मंत्र:
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम।  
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।  
  • वेदोक्त मंत्र:
ऊँ आकृष्णेनेति मंत्रस्य हिरण्यस्तूपऋषि।  
सविता देवता, श्री सूर्य प्रीत्यर्थ जपे विनियोगः।।  

जल अर्पण के बाद:

  1. चारों ओर जल छिड़कें।
  2. तीन बार घुमकर परिक्रमा करें।
  3. सूर्य देव को प्रणाम करें।

सूर्योपासना के लाभ

  1. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:
    सूर्योपासना से रोगों से मुक्ति मिलती है और मनोबल बढ़ता है।
  2. आध्यात्मिक विकास:
    यह आत्मा को शुद्ध करती है और व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
  3. सामाजिक और आर्थिक प्रगति:
    नौकरी, व्यापार, और समाज में यश व सम्मान प्राप्त होता है।

सूर्य अर्घ्य से संबंधित अन्य बातें

  • छठ व्रत में उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
  • आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रभावी है।
  • सूर्य अर्घ्य के लिए स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें।

सूर्य देव के प्रति श्रद्धा और नियमपूर्वक अर्घ्य देने से जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं। यह परंपरा न केवल हमारी संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि जीवन के लिए ऊर्जा का स्रोत भी है।

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