देवभूमि की देवी राजराजेश्वरी: श्रद्धा का केंद्र देवलगढ़ का प्राचीन सिद्धपीठ (The ancient Siddhpeeth of Devalgarh, the center of reverence)
देवभूमि की देवी राजराजेश्वरी: श्रद्धा का केंद्र देवलगढ़ का प्राचीन सिद्धपीठ
उत्तराखंड की पवित्र धरती पर स्थित माँ राजराजेश्वरी मंदिर, देवलगढ़, श्रीनगर गढ़वाल से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्राचीन सिद्धपीठ है। यह मंदिर देवी राजराजेश्वरी को समर्पित है, जिन्हें धन, वैभव, योग और मोक्ष की देवी माना जाता है।
इतिहास और स्थापना
देवलगढ़ का ऐतिहासिक महत्व 16वीं शताब्दी में गढ़वाल के राजा अजयपाल के शासनकाल से जुड़ा है। अजयपाल ने अपनी राजधानी चांदपुर गढ़ी से देवलगढ़ स्थानांतरित की और यहाँ भव्य मंदिर की स्थापना की। 1512 में श्रीयंत्र, महिषमर्दिनी यंत्र, और कामेश्वरी यंत्र को मंदिर में स्थापित किया गया। यह मंदिर पत्थरों से बने भवन में स्थित है, जो प्राचीन वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है।
मंदिर की विशेषता
मंदिर की मुख्य विशेषता यह है कि देवी की मूर्ति किसी मंदिर में नहीं, बल्कि पत्थरों से बने घर में स्थापित है। यहाँ अखंड ज्योति की परंपरा 10 सितंबर 1981 से जारी है, और बीते 16 वर्षों से यहाँ प्रतिदिन हवन होता है।
आस्था और मान्यता
देश-विदेश से भक्त माँ के दर्शन करने यहाँ आते हैं। यहाँ से हवन-यज्ञ की भभूत सऊदी अरब, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, और लंदन जैसे देशों में भी भेजी जाती है। इस सिद्धपीठ की महिमा इतनी व्यापक है कि विदेशों में रहने वाले भक्त भी अपनी मन्नतों के लिए यहाँ संपर्क करते हैं।
देवलगढ़ के अन्य प्रसिद्ध मंदिर
गौरा देवी मंदिर: यह प्राचीन मंदिर देवी पार्वती को समर्पित है और 7वीं शताब्दी का माना जाता है।
लक्ष्मीनारायण मंदिर: यह मंदिर भी ऐतिहासिक महत्व रखता है।
सोम-की-डांडा: यह स्थान राजा का मचान कहा जाता है।
कैसे पहुँचें
निकटतम रेलवे स्टेशन: ऋषिकेश (125 किमी) और कोटद्वार।
निकटतम हवाई अड्डा: जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून (140 किमी)।
सड़क मार्ग: देवलगढ़ श्रीनगर से लगभग 18-19 किमी दूर खिरसू-श्रीनगर रोड पर स्थित है।
सेवा और प्रबंधन
मंदिर की देखरेख पंडित कुंजिका प्रसाद उनियाल और उनकी पत्नी द्वारा की जाती है। गाँव की प्रधान सीता देवी भी महिला मंगल दल के साथ मंदिर की सफाई और अन्य व्यवस्थाओं में सहयोग देती हैं।
देवलगढ़ का यह पवित्र स्थान प्राचीन परंपराओं और भक्ति की साक्षी है। इसकी आध्यात्मिक महिमा आज भी देश-विदेश में विख्यात है, जो इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाती है।
देवभूमि की देवी राजराजेश्वरी से संबंधित प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: राजराजेश्वरी देवी का मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर: राजराजेश्वरी देवी का मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल से 18 किमी दूर देवलगढ़ में स्थित है।
प्रश्न 2: मंदिर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह मंदिर 16वीं शताब्दी में गढ़वाल के राजा अजयपाल द्वारा स्थापित किया गया था। उन्होंने अपनी राजधानी चांदपुर गढ़ी से देवलगढ़ स्थानांतरित की और यहां प्राचीन स्थापत्य शैली में यह मंदिर बनवाया।
प्रश्न 3: राजराजेश्वरी देवी की विशेषता क्या है?
उत्तर: राजराजेश्वरी देवी का निवास मंदिर में नहीं है, बल्कि पत्थरों से बने एक विशेष भवन में है। यहां श्री यंत्र, महिषमर्दिनी यंत्र और कामेश्वरी यंत्र भी स्थापित हैं।
प्रश्न 4: मंदिर में किस प्रकार की पूजा-अर्चना होती है?
उत्तर: मंदिर में प्रतिदिन हवन और विशेष पूजा होती है। 1981 से अखंड ज्योति जलती आ रही है और पिछले 16 वर्षों से प्रतिदिन हवन हो रहा है।
प्रश्न 5: क्या यह मंदिर केवल भारत में प्रसिद्ध है?
उत्तर: नहीं, यह मंदिर विदेशों में भी प्रसिद्ध है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, और UAE जैसे देशों में भक्तों को हवन की भभूत भेजी जाती है।
प्रश्न 6: देवलगढ़ के अन्य प्रमुख मंदिर कौन-कौन से हैं?
उत्तर: देवलगढ़ में गौरा देवी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, और सोम-की-डांडा जैसे ऐतिहासिक मंदिर भी हैं।
प्रश्न 7: देवलगढ़ कैसे पहुँचा जा सकता है?
उत्तर: देवलगढ़ श्रीनगर से 18-19 किमी दूर खिरसू-श्रीनगर रोड पर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और कोटद्वार हैं, और निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट (देहरादून) है।
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