लोकगायिका हेमा नेगी करासी का परिचय एवं उपलब्धियां (Introduction and Achievements of Hema Negi Karasi)

संघर्षों से तपकर सफलता के शिखर पर पहुंची लोकगायिका हेमा नेगी करासी: जानिए कैसा रहा उनका सफर

लोकगायिका हेमा नेगी करासी का परिचय एवं उपलब्धियां

हेमा नेगी करासी, उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोकगायिका, अपनी पहचान खासकर गढ़वाली जागरों (धार्मिक गाथाओं) के गायन में बना चुकी हैं। सामाजिक और आर्थिक संघर्षों के बावजूद उन्होंने लोकगायन की दुनिया में एक अहम मुकाम हासिल किया है।
हेमा पिछले एक दशक से भी अधिक समय से गढ़वाली लोकगीत और जागर गा रही हैं। उन्होंने उत्तराखंड की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हुए अपने गायन के माध्यम से उसे देश-दुनिया तक पहुंचाया।

  • मुख्य उपलब्धियां:
    • उत्तराखंड की पहली महिला गायिका, जिन्होंने धार्मिक जागरों को सीडी और एल्बम के रूप में प्रस्तुत किया।
    • दूरदर्शन, आकाशवाणी और स्टेज प्रोग्रामों में प्रभावशाली प्रस्तुतियां दीं।
    • “मेरी बामणी” जैसे सुपरहिट गीत से वैश्विक पहचान बनाई।

बचपन और प्रारंभिक संघर्ष

23 अप्रैल 1986 को रुद्रप्रयाग जिले के तुखिमढ़ा गांव में जन्मी हेमा ने बचपन से ही गायन में रुचि दिखाई। हालांकि, उनके परिवार में संगीत की पृष्ठभूमि नहीं थी, लेकिन उनकी मां बच्ची देवी ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्हें प्रोत्साहित किया।
हेमा का संगीत सफर तीसरी कक्षा से शुरू हुआ। उन्होंने पहली बार छठी कक्षा में एक पुरस्कार जीता, जिसने उनके अंदर आत्मविश्वास भरा। हालांकि, पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक सीमाओं के चलते उन्हें कई बार अपने सपनों को दबाना पड़ा।


करियर की शुरुआत और पहचान

11वीं कक्षा में “धरती हमारा गढ़वाल” गीत गाने के बाद हेमा की आवाज़ लोगों तक पहुंचने लगी। हालांकि, आकाशवाणी गोपेश्वर से मिले पहले अवसर को पारिवारिक कारणों से ठुकराना पड़ा, लेकिन उनकी प्रतिभा ने उन्हें लगातार आगे बढ़ने का मौका दिया।
2007 में उन्होंने गढ़वाली संगीत के दिग्गज नरेंद्र सिंह नेगी के साथ पहला भजन “कार्तिक स्वामी” गाया, जिसने उन्हें गढ़वाल से बाहर भी पहचान दिलाई।


पारंपरिक जागरों में योगदान

हेमा ने जागर विधा में अपनी अनूठी शैली विकसित की।

  • उन्होंने नंदा देवी, नागराजा, और अन्य देवी-देवताओं के जागरों को स्वर देकर उन्हें अमर कर दिया।
  • जागरों का संग्रह उन्होंने अपनी मां, मौसी, और ससुराल के बुजुर्गों से किया।
  • हेमा ने अपने गीत खुद लिखे और धुनों को भी स्वयं तैयार किया।

संगीत में बाधाएं और सफलता की कहानी

हेमा के संगीत सफर में आर्थिक समस्याएं और सामाजिक बंधन हमेशा चुनौती बने रहे। लेकिन उन्होंने हर अवसर को अपनी मेहनत और लगन से सफलता में बदल दिया। उनकी बहन अनीता कंडारी और पति अनिल करासी ने हमेशा उनका साथ दिया।

हेमा की शादी के बाद उनके पति ने उन्हें गायन के लिए प्रेरित किया। आज, हेमा लोकगायन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में जुटी हुई हैं।


सांस्कृतिक संवेदनशीलता और सामाजिक योगदान

केदारनाथ आपदा के दौरान, हेमा ने प्रभावितों के लिए नि:शुल्क कार्यक्रम प्रस्तुत किए। उनके गीत “क्या खाई तेरू हमुन केदार बाबा” ने लोगों के दिलों को छू लिया।


सरकार से असंतोष

हेमा ने उत्तराखंड में गायकों और कलाकारों को कम सहयोग मिलने पर निराशा जताई है। उनका मानना है कि राज्य के कलाकारों को प्रोत्साहन के लिए समान अवसर और बेहतर पारिश्रमिक मिलना चाहिए।


हेमा नेगी करासी की प्रेरणादायक रचनाएं

अब तक हेमा ने 50 से अधिक रचनाओं को स्वर दिया है। उनकी प्रमुख एल्बम हैं:

  • गिर गेंदुआ
  • मां मठियाणा माई
  • मखमली घाघरी
  • कथा कार्तिक स्वामी

उनके यूट्यूब चैनल “Hema Negi Karasi Official” पर उनके गीतों को सुन सकते हैं।


निष्कर्ष

हेमा नेगी करासी ने संघर्षों से तपकर सफलता की जो कहानी लिखी है, वह हर युवा कलाकार के लिए प्रेरणा है। उनके गीत न केवल उत्तराखंड की संस्कृति को सहेजने का काम करते हैं, बल्कि भविष्य की पीढ़ी के लिए एक धरोहर के रूप में भी काम करेंगे।

FQCs (Frequently Asked Questions with Content) for the Blog

1. हेमा नेगी करासी कौन हैं?

उत्तर:
हेमा नेगी करासी उत्तराखंड की एक प्रसिद्ध लोकगायिका हैं, जो खासतौर पर पारंपरिक गढ़वाली जागरों के गायन के लिए जानी जाती हैं। वे पिछले एक दशक से अधिक समय से लोकगीत और गढ़वाली जागर गा रही हैं।


2. हेमा नेगी करासी को किस प्रकार की गायकी के लिए जाना जाता है?

उत्तर:
हेमा नेगी करासी गढ़वाली जागर, भजन, और पारंपरिक लोकगीतों के गायन के लिए प्रसिद्ध हैं। वे देवी-देवताओं के जागरों और सांस्कृतिक गीतों को अपनी आवाज देती हैं।


3. हेमा नेगी करासी ने अपने करियर की शुरुआत कैसे की?

उत्तर:
हेमा ने अपनी पहली प्रस्तुति तीसरी कक्षा में दी। छठी कक्षा में गायन प्रतियोगिता में पुरस्कार जीतने के बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ा। ग्यारहवीं में उन्होंने कांडई, रुद्रप्रयाग के एक कार्यक्रम में लोकगीत गाया, जो उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ बना।


4. हेमा नेगी करासी के करियर में सबसे बड़ी चुनौती क्या रही?

उत्तर:
उनकी सबसे बड़ी चुनौती परिवार और समाज की सीमाओं को पार करना था। कमजोर आर्थिक स्थिति और सामाजिक प्रतिबंधों के बावजूद, उन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ता से गायकी में अपना स्थान बनाया।


5. हेमा नेगी करासी की प्रमुख उपलब्धियां क्या हैं?

उत्तर:

  • 12 एलबम लॉन्च किए, जिनमें "गिर गेंदुआ," "माँ मठियाणा माई," "मेरी बामणी," "मखमली घाघरी," और "राजुला" शामिल हैं।
  • उनके गीत "मेरी बामणी" ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
  • उन्होंने जागरों और पारंपरिक लोकगीतों को संरक्षित करने और उन्हें नई पहचान देने में अहम भूमिका निभाई।

6. हेमा नेगी करासी ने अपने गायन की प्रेरणा कहां से पाई?

उत्तर:
हेमा ने अपनी मां, मासी, और अपने क्षेत्र के बुजुर्गों से जागरों और गीतों की प्रेरणा ली। उन्होंने अनुष्ठानों और पारंपरिक अवसरों पर सुनकर कई धुनों और कथाओं को अपने गायन में अपनाया।


7. क्या हेमा नेगी करासी ने किसी फिल्म में गाया है?

उत्तर:
हां, उन्होंने गढ़वाली फिल्मों "आस," "औलाद," और "लाड़ौ कु ब्यौ" के लिए भी गीत गाए हैं।


8. हेमा नेगी करासी के परिवार का उनके करियर में क्या योगदान रहा?

उत्तर:
हेमा की मां ने उनके शुरुआती दिनों में उनका सहयोग किया। शादी के बाद उनके पति अनिल करासी ने उनका पूरा समर्थन किया, जिससे हेमा ने अपने करियर को ऊंचाइयों तक पहुंचाया।


9. हेमा नेगी करासी की विशेषता क्या है?

उत्तर:
हेमा के गीत मौलिक होते हैं। वे किसी अन्य गायक या रचनाकार के गीत नहीं गातीं। उनकी आवाज में जागरों की प्राचीन शैली और आत्मीयता सुनने वालों को प्रभावित करती है।


10. क्या हेमा नेगी करासी को किसी सरकारी मान्यता मिली है?

उत्तर:
हां, वे आकाशवाणी और दूरदर्शन में बी-ग्रेड कलाकार हैं। इसके अलावा, वे उत्तराखंड संस्कृति विभाग से भी जुड़ी हुई हैं।


11. क्या हेमा नेगी करासी ने कोई समाज सेवा का काम किया है?

उत्तर:
केदारनाथ आपदा के दौरान उन्होंने आपदा प्रभावितों के लिए आयोजित कार्यक्रमों में नि:शुल्क प्रस्तुतियां दीं।


12. हेमा नेगी करासी के यूट्यूब चैनल का नाम क्या है?

उत्तर:
उनका यूट्यूब चैनल "Hema Negi Karasi Official" है, जहां उनके कई प्रसिद्ध गीत उपलब्ध हैं।


13. क्या सरकार से हेमा नेगी करासी संतुष्ट हैं?

उत्तर:
हेमा उत्तराखंड के कलाकारों के लिए सरकारी प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं। उनके अनुसार, बाहरी कलाकारों को अधिक मानदेय मिलता है, जबकि स्थानीय कलाकारों को कम प्रोत्साहन दिया जाता है।


14. हेमा नेगी करासी ने जागर संग्रह कैसे किया?

उत्तर:
उन्होंने जागरों का संग्रह अपनी मां, मासी, और गांव में आयोजित अनुष्ठानों से किया। कुछ धुनें उन्होंने खुद बनाईं और अपनी गायन शैली विकसित की।


15. हेमा नेगी करासी का जन्म कब और कहां हुआ?

उत्तर:
हेमा नेगी करासी का जन्म 23 अप्रैल 1986 को तुखिडा, दशज्यूला कांडई, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड में हुआ।


16. हेमा नेगी करासी को कौन सा गीत प्रसिद्धि दिलाने में सहायक हुआ?

उत्तर:
"मेरी बामणी" गीत ने उन्हें व्यापक प्रसिद्धि दिलाई, जिसे नवीन सेमवाल के साथ गाया गया था।

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