Siddhabali Temple Kotdwar: देवभूमि के इस मंदिर में भंडारे की बुकिंग में नजर आती है बाबा के प्रति आस्था, 2032 तक फुल
Siddhabali Temple Kotdwar: देवभूमि के इस मंदिर में भंडारे की बुकिंग में नजर आती है बाबा के प्रति आस्था, 2032 तक फुल
श्री सिद्धबली धाम कोटद्वार |
सिद्धबली मंदिर कोटद्वार में विराजमान पवनसुत हनुमान के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु देशभर से आते हैं। यह मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक भी है। इस स्थान की महिमा इतनी अधिक है कि यहां भंडारे की बुकिंग तक में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का परिचय मिलता है।
गुरू गोरखनाथ और सिद्धबली मंदिर की मान्यता
सिद्धबली मंदिर के बारे में मान्यता है कि कलियुग में शिव का अवतार माने जाने वाले गुरू गोरखनाथ को यहीं सिद्धि प्राप्त हुई थी, इस कारण ही इस स्थान को सिद्धबली के नाम से जाना जाता है। गोरख पुराण के अनुसार, गुरू गोरखनाथ को पवनसुत हनुमान ने इस स्थान पर रक्षा करने का आशीर्वाद दिया। तभी से यह स्थल भक्तों के लिए एक सिद्धि स्थल के रूप में प्रतिष्ठित हो गया।
भंडारे की बढ़ती मांग और रसोई का प्रबंध
सिद्धबली मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा आयोजित किए जाने वाले भंडारे के लिए बुकिंग की लंबी सूची इसका स्पष्ट प्रमाण है कि बाबा के प्रति भक्तों की आस्था कितनी गहरी है। पहले सीता रसोई में भंडारे की बुकिंग 2032 तक पूरी हो चुकी थी, और अब हाल ही में शुरू की गई पार्वती रसोई में भी बुकिंग 2026 तक फुल हो चुकी है। इन रसोईयों में केवल मंगलवार, शनिवार और रविवार को ही भंडारा तैयार किया जा रहा है।
श्री सिद्धबली धाम कोटद्वार |
भक्तों की श्रद्धा और बढ़ता विश्वास
सिद्धबली मंदिर में आने वाले भक्तों की श्रद्धा का आलम यह है कि वे अपने मन की इच्छाओं की पूर्ति के बाद भंडारा आयोजित करते हैं। मंदिर प्रशासन ने इस बढ़ती हुई मांग को देखते हुए दो रसोईयों की व्यवस्था की है ताकि अधिक से अधिक भक्तों का सेवा कार्य किया जा सके। सीता रसोई में तो मंगलवार, शनिवार और रविवार के लिए 2032 तक बुकिंग है। वहीं, पार्वती रसोई में 2026 तक की बुकिंग पूरी हो चुकी है।
सिद्धबली मंदिर का महत्व
यह मंदिर न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यहां की किवदंती भी इसे एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित करती है। पवनसुत हनुमान की उपस्थिति और गुरू गोरखनाथ की तपस्या ने इस स्थान को अत्यधिक पवित्र बना दिया है।
यहां की बढ़ती आस्था और श्रद्धा का प्रतीक इस मंदिर की भंडारे की बुकिंग सूची है, जो दर्शाता है कि भक्तों की आस्था सच्चे मन से बाबा के दरबार में रहती है।
निष्कर्ष
सिद्धबली मंदिर की आस्था और यहां के भंडारे की बुकिंग में भक्तों की प्रतीक्षा समय यह दर्शाता है कि सिद्धबाबा की कृपा से इस मंदिर का महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है। श्रद्धालु अपने विश्वास और आस्था के साथ इस पवित्र स्थान पर आते हैं और यहां की महिमा का अनुभव करते हैं।
सिद्धबली मंदिर कोटद्वार से संबंधित प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: सिद्धबली मंदिर कहां स्थित है?
उत्तर: सिद्धबली मंदिर उत्तराखंड के कोटद्वार में स्थित है।
प्रश्न 2: सिद्धबली मंदिर में किस देवता की पूजा की जाती है?
उत्तर: सिद्धबली मंदिर में पवनसुत हनुमान जी की पूजा की जाती है।
प्रश्न 3: सिद्धबली नाम कैसे पड़ा?
उत्तर: मान्यता है कि गुरू गोरखनाथ को यहां सिद्धि प्राप्त हुई थी, इसलिए इस स्थान का नाम सिद्धबली पड़ा।
प्रश्न 4: सिद्धबली मंदिर से जुड़ी मुख्य मान्यता क्या है?
उत्तर: गुरू गोरखनाथ को यहां पवनसुत हनुमान से रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था, जिससे यह स्थान सिद्धस्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
प्रश्न 5: भंडारे की बुकिंग कब तक फुल है?
उत्तर: सीता रसोई की भंडारे की बुकिंग 2032 तक और पार्वती रसोई की बुकिंग 2026 तक फुल हो चुकी है।
प्रश्न 6: भंडारे के आयोजन के लिए कौन-कौन से दिन निर्धारित हैं?
उत्तर: मंदिर में भंडारे का आयोजन मंगलवार, शनिवार और रविवार को होता है।
प्रश्न 7: सिद्धबली मंदिर में श्रद्धालुओं की मुख्य मान्यता क्या है?
उत्तर: श्रद्धालु अपनी इच्छाओं की पूर्ति होने पर भंडारा आयोजित करते हैं, जो उनकी अटूट आस्था को दर्शाता है।
प्रश्न 8: मंदिर की विशेषता क्या है?
उत्तर: मंदिर आस्था, विश्वास और पवित्रता का प्रतीक है, जहां लाखों श्रद्धालु देशभर से दर्शन करने आते हैं।
प्रश्न 9: सिद्धबली मंदिर में भंडारे की व्यवस्था कौन संभालता है?
उत्तर: मंदिर प्रशासन द्वारा सीता रसोई और पार्वती रसोई की व्यवस्था संभाली जाती है।
प्रश्न 10: सिद्धबली मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: गुरू गोरखनाथ की तपस्या और हनुमान जी की उपस्थिति के कारण यह मंदिर एक पवित्र और सिद्ध स्थल माना जाता है।
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