उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान – इतिहास, संस्कृति और समसामयिक तथ्य

उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान – इतिहास, संस्कृति और समसामयिक तथ्य

  1. 🔰 इतिहास और राजनीतिक चेतना
  2. 🏞️ भौगोलिक स्थल व पर्यटन
  3. 🚆 परिवहन और सुविधाएं
  4. 🧠 समसामयिक और रोचक तथ्य
  5. 📚 शिक्षा व संस्थान
  6. 🎭 संस्कृति और सामाजिक आंदोलन
  7. 🌊 नदी और जलविज्ञान
  8. 📜 ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक तथ्य

उत्तराखण्ड राज्य अपने समृद्ध इतिहास, सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इस राज्य की भूमि न केवल धार्मिक और पौराणिक महत्व की रही है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों का भी केंद्र रही है। यहां हम उत्तराखण्ड से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और समसामयिक तथ्यों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं, जो प्रतियोगी परीक्षाओं और सामान्य जानकारी के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।


🔰 इतिहास और राजनीतिक चेतना

  • हैप्पी क्लब की स्थापना (1903): उत्तरांचल के युवाओं में राजनीतिक चेतना जाग्रत करने हेतु गोविन्द बल्लभ पंत द्वारा की गई थी।

  • ब्रिटिश गढ़वाल का निर्माण: 1839 में किया गया।

  • ब्रिटिश गढ़वाल का भूगोल: सर्वप्रथम आलम सिंह राणा ने लिखा था।

  • गढ़वाल क्षेत्र की यात्रा: पंडित नेहरू ने दिसंबर 1936 में दुगड्डा में की थी, जबकि महात्मा गांधी की यात्रा 16-24 अक्टूबर 1929 में हुई।

  • तिलाड़ी काण्ड (30 मई 1930): उत्तराखण्ड का जलियाँवाला हत्याकाण्ड कहा जाता है।


🏞️ भौगोलिक स्थल व पर्यटन

  • कलमटिया पहाड़ी (अल्मोड़ा): इस पहाड़ी पर प्रसिद्ध कसार देवी मंदिर स्थित है।

  • खतलिंग ग्लेशियर: इससे सतलिंग, दूधा डांडा और कांठा जैसी हिमनदियाँ निकलती हैं।

  • बुग्याल क्षेत्र: उत्तराखण्ड में इसे पशुचारकों का स्वर्ग कहा जाता है।

  • पंवाली कांडा से केदारनाथ यात्रा: यह यात्रा 29 किमी लंबी है और रुद्रप्रयाग से प्रारंभ होती है।

  • केदारनाथ: इसे स्मार्ट धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

  • मुक्तेश्वर - रामगढ़: जुड़वा घाटी के नाम से प्रसिद्ध।


🚆 परिवहन और सुविधाएं

  • नैनी-दून जनशताब्दी एक्सप्रेस: देहरादून से काठगोदाम के बीच, शुभारंभ - 25 अगस्त, 2018

  • नैनी-दून एक्सप्रेस: कुमाऊँ और गढ़वाल को जोड़ने वाली प्रमुख रेल सेवा।

  • उत्तराखण्ड में पहला CNG प्लांट: हरिद्वार में स्थित है।

  • मल्टी लॉजिस्टिक पार्क: पंतनगर में स्थापित।


📚 शिक्षा व संस्थान

  • श्री बदरीश एंग्लो संस्कृत स्कूल: स्थापना 1907 में धनीराम शर्मा द्वारा।

  • डॉ. सम्पूर्णानन्द दूरबीन (104 से.मी.): नैनीताल में स्थित।

  • ड्रिलिंग तकनीकि संस्थान और उत्तराखण्ड राज्य की प्रथम आर्ट गैलरी: देहरादून में स्थित।

  • रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान: हल्द्वानी में।

  • सेन्ट्रल हिमालय एनवायर्नमेंट एसोसिएशन: नैनीताल में।

  • सार्क एनवायर्नमेंट एण्ड डिजास्टर सेन्टर: देहरादून में।


🧠 समसामयिक और रोचक तथ्य

  • अवनीन्द्र कुमार जोशी: भोटान्तिक जनजातियों के प्रमुख लेखक।

  • गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने वाला पहला राज्य - उत्तराखण्ड।

  • वीरांगना अवन्तिबाई पुरस्कार: आरंभ 9 नवम्बर 2016 से।

  • केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा घोषित जुड़वा विरासत शहर: हरिद्वार और ऋषिकेश।

  • उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक का मुख्यालय: देहरादून।

  • पूर्वाग्रह पत्र के संपादक: मंगलेश डबराल।

  • झड़ी महादेव शिवरात्रि मेला: गदरपुर, उधमसिंह नगर में होता है।

  • हेमकुण्ड: जिसे सिखों का कैलाश कहा जाता है।


🎭 संस्कृति और सामाजिक आंदोलन

  • देवराना मेला (रंवाई) को डांडा जातर भी कहा जाता है।

  • नायक सुधार आंदोलन: वैश्यावृत्ति उन्मूलन हेतु।

  • लांग और बेला नृत्य: गढ़वाल क्षेत्र की पारंपरिक नृत्य शैलियाँ हैं।

  • रानीखेत: नामकरण कत्यूरी राजा द्वारा किया गया।

  • दूनागिरी मंदिर: निर्माण कत्यूरी शासक सुखाल देव ने करवाया।

  • मुक्तेश्वर: नाम भगवान शिव के नाम पर पड़ा।

  • हिमालय दर्शन: मुक्तेश्वर में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु रखी गई थीम।


🌊 नदी और जलविज्ञान

  • रामगंगा नदी: इसे दुसांध गाड़ या लोभावती भी कहा जाता है।

  • कल्याणी नदी: रुद्रपुर में प्रवाहित होती है।

  • बालखिल्य नदी: अलकनंदा की सहायक नदी है।

  • न्यूनता: अस्थायी पुल (नदी पर आधारित) को कहा जाता है।


📜 ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक तथ्य

  • कटारमल (अल्मोड़ा): एसिडेंट मैन्यूमेंट एंड आर्कियोलॉजिकल साइट्स एंड रिमेन्स एक्ट, 1958 के अंतर्गत राष्ट्रीय स्मारक घोषित।

  • उत्तराखण्ड और तिब्बत के बीच प्रथम सीमांकन: माधो सिंह भण्डा द्वारा।

  • गोरखाओं द्वारा जीता गया प्रथम जिला: अल्मोड़ा।

  • उधमसिंह नगर के एकीकरण हेतु समिति: जॉर्ज फर्नांडीज समिति द्वारा गठित।


यह संग्रह उत्तराखण्ड से जुड़ी ऐतिहासिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विविधताओं की एक झलक प्रदान करता है। यह जानकारी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है और साथ ही राज्य की पहचान को भी गहराई से उजागर करती है।

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