पहाड़ों की आवाज: गढ़वाली और कुमाऊनी शायरी संग्रह
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गढ़वाली और कुमाऊनी शायरी पहाड़ी संस्कृति, जीवनशैली, प्रेम, और प्रकृति को संजोए हुए कविताओं और गीतों का एक अमूल्य हिस्सा है। गढ़वाली शायरी में पहाड़ी सौंदर्य, लोकगीत, त्योहारों, और जीवन के संघर्ष को उजागर किया जाता है, जबकि कुमाऊनी शायरी में प्रेम, बिछड़न, और परंपराओं की झलक होती है। ये शायरी अक्सर लोकभाषा में होती है, जो स्थानीय भावनाओं और पहाड़ी रीति-रिवाजों को विशेष तरीके से व्यक्त करती है, जिससे लोग अपनी संस्कृति से गहराई से जुड़ाव महसूस करते हैं।
गढ़वाली शायरी: पहाड़ शायरी (भाग 3)
गढ़वाली परंपरा और प्रकृति से जुड़ी शायरी का तीसरा भाग।
शायरी पढ़ेंगढ़वाली शायरी: पहाड़ शायरी (भाग 4)
गढ़वाली संस्कृति और पहाड़ की सुंदरता को दर्शाती चौथी कड़ी।
शायरी पढ़ेंगढ़वाली शायरी: हिंदी और अंग्रेजी में
गढ़वाली शायरी का हिंदी और अंग्रेजी में अनूठा संग्रह।
शायरी पढ़ेंगढ़वाली शायरी का सर्वश्रेष्ठ संग्रह
गढ़वाल की संस्कृति और भावनाओं का सबसे सुंदर संग्रह।
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