Kumaoni Shayari - पहाड़ की मिठास और अपनापन
Kumaoni Shayari - पहाड़ की मिठास और अपनापन |
अनुवाद: मैं उस कुमाऊँनी पहाड़ी जैसा हूँ, तुम उस चाँदनी जैसी हो जो पहाड़ों के लिए वरदान है। अगर हम दोनों मिल जाएँ तो एक नया संसार बन सकता है।
अनुवाद: बहुत हो गई हिंदी और अंग्रेजी की बातें, अब अपनी भाषा अपनाओ, कुमाऊँनी में बातें करो।
अनुवाद: एक हँसी का ऐसा कमाल हो, कि वो दिलों में उतर जाए, और हर कोई इस खुशी में शामिल हो सके।
अनुवाद: अगर तुम भूलना चाहते हो तो भूल जाओ, इसमें संकोच न करो, यह भ्रम मत रखो कि कोई खास चीज हो।
अनुवाद: जब आप अपनी ही भाषा में अपने हाँ या न कहने के तरीके को समझाते हो, तब भावनाएँ और गहराई अलग ही होती हैं।
कुमाऊँनी शायरी में पहाड़ी जीवन, प्यार, भावनाएं और अपनापन झलकता है। यह भाषा पहाड़ों की मिठास और संस्कृति का प्रतीक है। इसे और अधिक अपनाएँ और अपने जीवन में पहाड़ की जड़ों को मजबूत बनाएं।
निष्कर्ष
कुमाऊँनी शायरी अपने लोगों के लिए गर्व, भावनाओं और अपनापन से भरी होती है। उम्मीद है कि ये शायरी और कविताएँ आपके दिल को छू लेंगी और कुमाऊँ की सुन्दरता और संस्कृति का आनंद दिलाएंगी।
उत्तराखंड की यादों और गढ़वाली ग़ज़लें
उत्तराखंड के गांवों की संस्कृति, परंपरा और उन मीठी यादों को ताजा करें जो आज भी हमारे दिलों में बसती हैं।
यहाँ पढ़ें यादों का संगम और उन गहरे एहसासों को जो अपने और दूसरों के बीच यादों में तैरते रहते हैं।
गढ़वाली भाषा में प्रस्तुत इस ग़ज़ल में प्रेम और उसकी रहस्यमयताओं का आनंद लें।
एक गहरी भावनाओं से भरी ग़ज़ल, जो प्रेम के खट्टे-मीठे अनुभवों को बयां करती है।
यह लेख प्रेम के उस विरोधाभास को उजागर करता है जो उसे एक रहस्यमयी और अलौकिक अनुभूति बनाता है।
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