Kumaoni Shayari - पहाड़ की मिठास और अपनापन - The sweetness and familiarity of the mountain

Kumaoni Shayari - पहाड़ की मिठास और अपनापन

Kumaoni Shayari - पहाड़ की मिठास और अपनापन

1. मैं काव-पट्ट भट्ट ज्यस

अनुवाद: मैं उस कुमाऊँनी पहाड़ी जैसा हूँ, तुम उस चाँदनी जैसी हो जो पहाड़ों के लिए वरदान है। अगर हम दोनों मिल जाएँ तो एक नया संसार बन सकता है।


2. भौत करहै हिंदी में बात
भौत करहै हिंदी में बात भौत करहै इंग्लिश में बात
अब आपुण भाषा अपनाओ, पहाड़िम बुलाओ, पहाड़िम बुलाओ

अनुवाद: बहुत हो गई हिंदी और अंग्रेजी की बातें, अब अपनी भाषा अपनाओ, कुमाऊँनी में बातें करो।


3. हैसंण उईक कमाल होय
हैसंण उईक कमाल होय हिटॉण एकदम गजब
बुलांण में मिसिर घुली चाहिये रै जानी सब...

अनुवाद: एक हँसी का ऐसा कमाल हो, कि वो दिलों में उतर जाए, और हर कोई इस खुशी में शामिल हो सके।


4. मकै भूलण चाहछे भूलि जा
मकै भूलण चाहछे भूलि जा के शरम झन करिए
तू एकै छै फन्नार यी गाँ पन यस भरम झन रखिए

अनुवाद: अगर तुम भूलना चाहते हो तो भूल जाओ, इसमें संकोच न करो, यह भ्रम मत रखो कि कोई खास चीज हो।


5. नातू 'हां' करछे
आप 'हां' नहीं कहते, आप 'नहीं नहीं कहते।

अनुवाद: जब आप अपनी ही भाषा में अपने हाँ या न कहने के तरीके को समझाते हो, तब भावनाएँ और गहराई अलग ही होती हैं।


कुमाऊँनी शायरी में पहाड़ी जीवन, प्यार, भावनाएं और अपनापन झलकता है। यह भाषा पहाड़ों की मिठास और संस्कृति का प्रतीक है। इसे और अधिक अपनाएँ और अपने जीवन में पहाड़ की जड़ों को मजबूत बनाएं।


निष्कर्ष

कुमाऊँनी शायरी अपने लोगों के लिए गर्व, भावनाओं और अपनापन से भरी होती है। उम्मीद है कि ये शायरी और कविताएँ आपके दिल को छू लेंगी और कुमाऊँ की सुन्दरता और संस्कृति का आनंद दिलाएंगी।

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