तीलू रौतेली जीवनी (Teelu Rauteli Biography )
सत्रहवीं शताब्दी के उतरार्ध में गुराड़ गाँव परगना चौंदकोट गढ़वाल में जन्मी अपूर्व शौर्य संकल्प और साहस की धनी इस वीरांगना को गढ़वाल के इतिहास में "झांसी की रानी" कहकर याद किया जाता है ! 15 से 22 वर्ष की आयु के मध्य सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली संभवत विश्व की एक मात्र वीरांगना है !
तीलू रौतेली थोकदार वीर पुरुष भूपसिंह गोलार की पुत्री थी,15 वर्ष की आयु में तीलू रौतेली की मंगनी इडा गाँव (पट्टी मोंदाडस्यु) के भुप्पा नेगी के पुत्र के साथ हो गयी थी !नियति की कुरुर हाथों तीलू के पिता मंगेदर और दोनों भाइयों के युद्ध भूमि प्राण न्योछावर हो गए थे !
वीरांगना तीलू रौतेली का जन्मदिवस
तीलू रौतेली, गढ़वाल, उत्तराखण्ड की एक ऐसी वीरांगना जो केवल 15 वर्ष की उम्र में रणभूमि में कूद पड़ी थी और सात साल तक जिसने अपने दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी थी। 15 से 20 वर्ष की आयु में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली संभवत विश्व की एक मात्र वीरांगना है।
8 अगस्त को तीलू रौतेली की जयंती मनाई जाती है. उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल में चौंदकोट की सत्रहवीं शताब्दी की इस वीरांगना ने लगातार सात साल तक युद्ध करके कत्यूरों को भगाया था. कत्यूर कुमाऊं के राजा थे. तीलू रौतेली की जयंती पर हर साल उत्तराखंड के लोग पेड़ लगाते हैं और साथ ही सांस्कृतिक उत्सव भी किए जाते हैं. तीलू रौतेली गढ़वाल के लोगों के बीच गढ़वाल की लक्ष्मीबाई भी कही जाती हैं.
8 अगस्त को उत्तराखंड की महान वीरांगना तीलू रौतेली का जन्मदिवस है. इस अवसर पर दिल्ली से लेकर उत्तराखंड तक कई कार्यक्रम हो रहे हैं. इसी कड़ी में तीलू की जन्मभूमि तल्ला गुराड, परगना चौंदकोट, पौड़ी गढ़वाल में तीलू रौतेली का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. चौंदकोट गढ़वाल के गोर्ला रौत थोकदार और गढ़वाल रियासत के राजा फतेहशाह के सेनापति भूप्पू रावत की बेटी थी तीलू. तीलू का जन्म सन 1661 में हुआ था. तीलू के दो बड़े भाई थे पत्वा और भक्तू. तीलू की सगाई बाल्यकाल में ही ईड़ गांव के सिपाही नेगी भवानी सिंह के साथ कर दी गई थी. बेला और देवकी की शादी तीलू के गांव गुराड में हुई थी. जो तीलू की हम उम्र थी.
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