उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानी: उनकी संघर्ष गाथाएँ और योगदान - Freedom Fighters of Uttarakhand: Their Struggle Stories and Contributions
उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानी: उनकी संघर्ष गाथाएँ और योगदान
उत्तराखंड की धरा ने स्वतंत्रता संग्राम में कई वीर योद्धाओं को जन्म दिया, जिन्होंने अपनी संघर्षशीलता और बलिदान से देश की स्वतंत्रता की नींव रखी। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में:
1. भैरव दत धूलिया
भैरव दत धूलिया पौड़ी के निवासी थे, जिन्होंने 1939 में लैंसडाउन से निकलने वाले साप्ताहिक समाचार पत्र 'कर्मभूमि' का संपादन किया। 1942 में, उन्होंने अंग्रेज़ों को भारत से निकालने के लिए 'हिन्दुस्तान से निकाल दो' नामक पुस्तक लिखी।
2. इन्द्र सिंह नयाल
इन्द्र सिंह नयाल ने 1973 में 'स्वतंत्रता संग्राम में कुमाऊँ का योगदान' नामक पुस्तक लिखी। उनका संबंध अल्मोड़ा जिले से है और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
3. विशनी देवी शाह
विशनी देवी शाह बागेश्वर की निवासी थीं और स्वतंत्रता संग्राम में जेल जाने वाली राज्य की पहली महिला थीं। उनका संघर्ष और बलिदान अत्यंत प्रेरणादायक है।
4. सोबन सिंह जीना
अल्मोड़ा जिले से संबंधित सोबन सिंह जीना को अंग्रेजी सरकार ने 'रायबहादुर' की उपाधि दी। उन्होंने कुमाऊँ राजपूत परिषद् की स्थापना की और स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
5. राम सिह धौनी
राम सिह धौनी, जो तल्ला सालम, अल्मोड़ा के निवासी थे, ने देश में सर्वप्रथम 'जय हिन्द' का नारा दिया और बम्बई में हिमालय पर्वतीय संघ की स्थापना की। 1925 में उन्होंने 'शक्ति' पत्र का संपादन भी किया।
6. रामसिंह आजाद
रामसिंह आजाद मल्ला, सालम अल्मोड़ा के निवासी थे और 25 अगस्त 1942 की सालम की क्रांति के अग्रदूत थे। उन्हें 32 वर्ष की कारावास की सजा हुई, और उनकी पैरवी गोपाल स्वरूप पाठक ने की।
7. मोहन सिंह मेहता
मोहन सिंह मेहता राज्य में जेल जाने वाले पहले स्वतंत्रता सेनानी थे। 1921 में कत्यूर क्षेत्र में कुमाऊँ परिषद की शाखा गठित की और बैजनाथ में कताई-बुनाई प्रचार केन्द्र की स्थापना की।
8. मानवेन्द्र नाथ राय
23 जनवरी 1939 को टिहरी राज्य प्रजा मंडल की प्रथम बैठक में अध्यक्ष रहे मानवेन्द्र नाथ राय ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
9. महावीर त्यागी
देहरादून के 'सुल्तान' महावीर त्यागी ने प्रथम आम चुनाव देहरादून संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की। स्वतंत्रता आंदोलन में 11 बार जेल गए और प्रथम विश्व युद्ध में ईरान लड़ाई के लिए भेजे गए।
10. परिपूर्णानन्द पैन्यूली
1947 में टिहरी राज्य प्रजामंडल के अध्यक्ष रहे परिपूर्णानन्द पैन्यूली ने 1977 में महाराजा मानवेन्द्र शाह को हराया।
11. कृष्ण सिंह ठाकुर
उत्तरकाशी जिले के स्वतंत्रता सेनानी कृष्ण सिंह ठाकुर ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया।
12. जयदत वैला
जयदत वैला, जो रानीखेत के निवासी थे, एक वकील और अल्मोड़ा में 'प्रजाबंधु' साप्ताहिक पत्र के संपादक थे।
13. ज्वालादत जोशी
ज्वालादत जोशी, जिनका संबंध अल्मोड़ा से था, 1886 के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया और लगातार चार अन्य अधिवेशनों में भी शामिल हुए। वे इलाहबाद उच्च न्यायालय में कुमाऊँ के पहले अधिवक्ता रहे।
14. कर्नल चंद्र सिंह नेगी
कर्नल चंद्र सिंह नेगी ने 'फर्स्ट गढ़वाल' के साथ मेसोपोटामिया के युद्ध में भाग लिया और आजाद हिन्द फौज में सिंगापुर में स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल के कमांडेंट नियुक्त हुए।
15. कुशलानंद गैरोला
टिहरी जिले के स्वतंत्रता सेनानी कुशलानंद गैरोला एक कुशल चिकित्सक भी थे, और उनकी विलक्षण प्रतिभा के कारण उन्हें हिटलर ने जर्मनी में आमंत्रित किया था।
16. हरि प्रसाद टम्टा
हरि प्रसाद टम्टा, जो एक दलित सुधारक थे, ने 1911 में दलितों को 'शिल्पकार' नाम दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इन महान स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को स्मरण करके हम उनके बलिदानों को सम्मानित कर सकते हैं और उनकी प्रेरणा से अपने देश की सेवा में तत्पर रह सकते हैं।
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