1 ShriNarendraSinghNegi बोला भै-बन्धू तुमथैं आन्दोलनकारियों के सपनों का राज्य एक सपना ही बना

 उत्तराखण्ड राज्य निर्माण प्राप्ति के संघर्ष के दौरान लोगों के दिलों में एक आदर्श राज्य का सपना था. राज्य की प्राप्ति के लिये लगभग 40 लोगों ने अपने प्राण न्यौछावर किये. अन्ततः राज्य तो बन गया, लेकिन 20 साल बीतने पर भी आन्दोलनकारियों के सपनों का राज्य एक सपना ही बना हुआ है.शराब के ठेकेदारों, भू माफियाओं और एन.जी ओ. के नाम पर चल रहे करोड़ों के व्यवसाय के बीच आम उत्तराखण्डी मानस ठगा सा महसूस कर रहा है.

सपना देखा गया था ऐसे राज्य का जिसमें चारों ओर खुशहाली हो. समाज के हर वर्ग की अपनी अपेक्षाएं थीं. नरेन्द्र सिंह नेगी जी की इस कविता के माध्यम से समाज के सभी वर्गों की आक्षांकाएं स्पष्ट होती हैं. भगवान से यही प्रार्थना है कि राज्य के नीतिनिर्धारकों के कानों तक नेगी जी का यह गीत पहुँचे, और वो हमारे सपनों का राज्य बनाने के लिये ईमानदारी और सच्ची निष्ठा से काम करें.

बोला भै-बन्धू तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

हे उत्तराखण्ड्यूँ तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

जात न पाँत हो, राग न रीस हो

छोटू न बडू हो, भूख न तीस हो

मनख्यूंमा हो मनख्यात, यनूं उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला बेटि-ब्वारयूँ तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला माँ-बैण्यूं तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

घास-लखडा हों बोण अपड़ा हों

परदेस क्वी ना जौउ सब्बि दगड़ा हों

जिकुड़ी ना हो उदास, यनूं उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला बोड़ाजी तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला ककाजी तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

कूलूमा पाणि हो खेतू हैरयाली हो

बाग-बग्वान-फल फूलूकी डाली हो

मेहनति हों सब्बि लोग, यनूं उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला भुलुऔं तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला नौल्याळू तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

शिक्षा हो दिक्षा हो जख रोजगार हो

क्वै भैजी भुला न बैठ्यूं बेकार हो

खाना कमाणा हो लोग यनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला परमुख जी तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला परधान जी तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

छोटा छोटा उद्योग जख घर-घरूँमा हों

घूस न रिश्वत जख दफ्तरूंमा हो

गौ-गौंकू होऊ विकास यनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्!!





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