bharat uttarakhand nainital (sab kuchh) भारत उत्तराखंड नैनीताल (सब कुछ)

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भारत उत्तराखंड नैनीताल (सब कुछ)  India Uttarakhand Nainital (Everything) 

जनपद नैनीताल  Nainital

मान्यता है कि दक्ष प्रजापति की पुत्री देवी सती का विवाह महादेव से हुआ। दक्ष प्रजापति द्वारा यज्ञ कराया गया जिसमें महादेव के अतिरिक्त सारे देवताओं को आमंत्रित किया गया था। सती अपने पति के असहनीय अपमान के कारण हवन कुण्ड में कूद गई। सती के बलिदान से महादेव क्रोधित हुए।
सती के शरीर को लेकर भगवान शिव ब्रह्माण्ड भ्रमण करने लगे। जहां देवी के शरीर के अंग गिरे वहां शक्ति पीठ बन गये।
इन्हीं में से एक शक्तिपीठ है नैनीझील क्षेत्र। कहा जाता है कि यहां माता सती की बायीं आँख गिरी थी। अतः झील का नाम नैनीताल पड़ा।
मुख्यालय- नैनीताल
स्थापना वर्ष - 1891
  1. पड़ोसी जिले/देश/राज्य
  2. पूर्व में-चम्पावत
  3. पश्चिम में-उत्तर प्रदेश
  4. उत्तर में-अल्मोड़ा
  5. दक्षिण में-उधम सिंह नगर
  • ग्रामीण-582871
  • शहरी- 371734
  • क्षेत्रफल- 4251 वर्ग किमी
  1. जनसंख्या-954605 (9.47%)
  2. पुरुष- 493666
  3. महिला-460939
  4. जनघनत्व-225
  • साक्षरता- 76.36%
  • पुरुष-89.76%
  • महिला-69.28%
जनपद नैनीताल में कुल नौ तहसीलें हैं  :-
  1. नैनीताल
  2. हल्द्वानी
  3. रामनगर
  4. कालाढूंगी
  5. लालकुऑ
  6. धारी
  7. खनस्यूं
  8. कोश्याकुटौली
  9. बेतालघाट
जनपद नैनीताल में कुल आठ विकास खण्ड हैं :-
  1. हल्द्वानी
  2. भीमताल
  3. रामनगर
  4. कोटाबाग
  5. धारी
  6. बेतालघाट
  7. रामगढ
  8. ओखलकाण्डा

काठगोदाम
  1. कुमाऊँ का प्रवेशद्वार।
  2. लकड़ी का गोदाम होने के कारण इसे यह नाम मिला।
  3. पुराना प्रचलित नाम चौहान पाटा
  4. चन्दकालीन प्रचलित नाम बाड़ाखोटी या बाड़ाखेड़ी
  5. इसे गुलाब घाटी उपनाम से भी जाना जाता है।
  6. यहां गोला एवं भीमताल से निकलने वाली पुष्पभद्रा का संगम होता है।
  7. 1773 44 में रूहेलों एवं कल्याण्यचन्द के सेनापति शिवदत्त जोशी के मध्य निर्णायक युद्ध हुआ था।
  8. कुमाऊँ का अन्तिम रेलवे स्टेशन है। 24 अप्रैल, 1884 को सर्वप्रथम रेल पहुँची।
शीतला माता मंदिर
  1. सिताल मां भी कहते है जिन्हें चेचक इत्यादि रोगों की देवी कहा जाता है।
  2. स्कन्द पुराण में माता शीतला को वाहनगर्दभ कहा गया है।
कालीचौड़ मंदिर
  1. मां काली को समर्पित मंदिर।
  2. मान्यता है कि शंकराचार्य उत्तराखण्ड में सर्वप्रथम इस स्थान पर आये थे।
भीमताल
  1. त्रिभुजाकार झील।
  2. किवदन्ती के अनुसार पाण्डु पुत्र भीम ने यहां तप किया था अतः नाम भीमताल रखा गया।
  3. राजा बाज बहादुर चन्द ने भीमेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की।
  4. चन्दकालीन छखाता परगने का मुख्यालय था।
  5. यंहा से पुष्पभद्रा निकलती है।
  6. भीमताल में टसर क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान है।
  7. यहां बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज है।
  8. जन शिक्षा केन्द्र एवं लीलावती पंत इंटर कॉलेज नामक शिक्षण संस्थान है।
  9. भीमताल में कोरटाटा का नाग मंदिर भी प्रसिद्ध है।
  10. विक्टोरिया बांध इसे भीमताल बांध भी कहा जाता है।
  11. 500 फीट लम्बा, 48.5 फीट ऊँचा, 30 फीट चौड़ा बांध है।
  12. इसका डिजाइन सितम्बर, 1882 में फ्रांसिस हेनरी एशुट ने तैयार किया।1883 में बांध बनकर तैयार हो गया।
  13. नैनीताल की अन्य झीलें खुर्पाताल, कोहिनूर ताल, मालवा
  14.  ताल(गौला की सहायक नदी कलसा नदी के तट पर)।
  15. हरीश ताल, नलदमयंती ताल, नौकुचियाताल(नौ कोनों वाली झील कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे गहरी झील है।)
ज्योलिकोट
  1. नैनी झील का गेटवे कहलाता है।
  2.  यहाँ भारत का सबसे पुराना 18 होल्स का गोल्फ कोर्स है।
  3. यहां द कॉटेज, बार्बिसाहब का हाऊस, प्राचीन मंदिर इत्यादि दर्शनीय है।
  4. नेपोलियन बोनापार्ट की बेटी का आवास के रूप में प्रसिद्ध बंगला भी दर्शनीय है।
रानीबाग
  1. पुराना नाम चित्रशिला था।
  2. प्राचीन समय में मार्कण्डेय ऋषि की तपस्थली थी।
  3. इस स्थल में जियारानी(मौलादेवी) की पौराणिक गुफा है।
  4. 1418 में जियारानी की मृत्यु के बाद यहीं गोला नदी के तट पर इनकी समाधि बनाई गई है।
  5. यहां जियारानी का मेला आयोजित होता है।
भवाली
  1. पर्वतीय फल बाजार के रूप में प्रसिद्ध क्षेत्र है।
  2. 1912 निगलाट, भवाली में टी0वी0 सेनोटोरियम की स्थापना की गई है।
  3. शेर का डांडा और रेहड़ का डांडा मिला हुआ है।
  4. यहां जाबर महादेव मंदिर प्रसिद्ध है।
  5. भवाली क्षिप्रा नदी के तट पर है।
क्षिप्रा नदी
  1. श्यामखेत (प्राकृतिक जलस्त्रोत) से निकलती है।
  2. खैरना में कोसी में समा जाती है।
  3. यह एक उत्तरवाहिनी नदी है।
  4. श्यामखेत में इसके उद्गम के निकट बाबा नानतिन का आश्रम है।

कैंचीधाम
  1. हनुमान गढ़ी और भूमियाधार में हनुमान मंदिर के सस्थापक कुमाऊक फक्कड़ सत बाबा नीम करौली महाराज द्वारा 1957 58 में कैची नामक स्थान पर वैष्णव देवी मंदिर की स्थापना की।
  2. इस स्थान पर सोमवारी महाराज द्वारा तप किया गया था।
  3. 15 जून, 1973 को विंध्य वासिनी देवी मंदिर की स्थापना।
  4. 10 दिसम्बर, 1973 को वृंदावन बाबा नीम करोली महाराज ने अपने शरीर का परित्याग किया।
  5. प्रतिवर्ष 15 जून को विशाल भण्डारे का आयोजन होता है।
रामनगर
  1. 1846 84 के मध्य कुमाऊं कमिश्नर रहे रैम्जे द्वारा कोसी नदी के तट पर बसाया गया।
  2. रैम्जे को स्थानीय लोग रामजी साहब कहते थे जिसके परिणाम स्वरूप इस नगर का नाम रामनगर रखा पड़ा।
  3. यहां प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर है जिसे पूर्व में उपटादेवी के नाम से जाना जाता था।
  4. सीतावनी भी आस्था का केन्द्र है।
  5. इस नगर को पश्चिमी कुमाऊँ का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
  6. महाभारत काल में इसका नाम अहचतु था।
  7. यहां कार्बेट म्यूजियम एवं कार्बेट पार्क का प्रवेश द्वार ढिकाला यहां दर्शनीय स्थलों में है।
  8. ढिकाला को कार्बेट पार्क का हदय स्थल भी कहा जाता है।
रामगढ़
  • इसे फ्रूट बॉल ऑफ कुमाऊ के नाम से जाना जाता है।
  • यहां प्रतिवर्ष महादेवी वर्मा के जन्मदिन 24 मार्च को साहित्यकारों का जमावड़ा लगता है।
  • रामगढ़ में गार्गी ऋषि का आश्रम एवं नारायण स्वामी आश्रम भी आस्था के केन्द्र है।
घोडाखाल
  • 21 मार्च, 1986 को जयमल सिंह के प्रयास दाज बहादुर चन्द द्वारा स्थापित प्रसिद्ध गोलू देवता का मंदिर है। सैनिक स्कूल घोडाखाल की स्थापना हुई।
  • 1958 में यहां मधुमती फिल्म की शूटिंग से प्रसिद्धि मिली।
  • यहां गौर-भैरव मंदिर तथा नानतिन बाबा की समाधि दर्शनीय है।
मुक्तेश्वर
  • मूक शहर या साइलेंट सिटी के नाम से जाना जाता है।
  • मुक्ति के ईश्वर के नाम से मुक्तेश्वर नामकरण हुआ।
गोला नदी
  1. हल्द्वानी की जीवन रेखा मानी जाती है।
  2. मूल उद्गम भीड़ापानी, मोरनौला शहरफाटक है।
  3. भीमताल एवं सातताल से निकलने वाली जलधारायें इस नदी के जलस्त्रोत है।
  4. इसे गार्गी नदी भी कहा जाता है।
  5. किच्छा के बाद उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर बरेली के निकट
  6. रामगंगा में सम्मिलित हो जाती है।

कण्डी मार्ग
  1. रूहेलों द्वारा प्रारम्भ में ये मार्ग बरेली, रामपुर एवं नजीबाबाद को जोड़ने के लिए शुरू किया गया।
  2. रामनगर से कोटद्वार यानि कुमाऊं से गढ़वाल को जोड़ने वाला मार्ग जो कि कार्बेट नेशनल पार्क के भीतर से जाती है।
  3. कम्पनी सरकार के समय कण्डी लादे कुली चलते थे अतः कण्डी मार्ग नाम पड़ा।
कार्बेट फॉल नया गाँव, कालाढूंगी स्थित है।
  • जिम कार्बेट संग्रहालय कालाढूंगी के पास छोटी हल्द्वानी में स्थित है, चौधरी चरण सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा 1965 में संग्रहालय का उद्घाटन किया गया।
  • देवस्थल आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान एरीज देवस्थल में एशिया की सबसे बड़ी दूरबीन की स्थापना की गई है। 3.6 मी० व्यास का टेलीस्कोप)

जिले के प्रमुख संस्थान

  • उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद् 11 दिसम्बर, 2008 रामनगर, नैनीताल में।
  • सेन्ट्रल हिमालयन इन्वायरनमेंट एसोशिएसन नैनीताल
  • इन्दिरा गांधी इंटरप्रिटेशन सेन्टर रामनगर, नैनीताल
  • राष्ट्रीय पादप एवं जैविकीय अनुसंधान ब्यूरो निग्लाट, भवाली
  • राष्ट्रीय शीतजल मत्स्य अनुसंधान संस्थान भीमताल में
  • भारतीय पशुचिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान मुक्तेश्वर, नैनीताल।
  • वैक्सीन रिसर्च इन्स्टीट्यूट पटवाडांगर, नैनीताल
  • आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज, नैनीताल,1955
  • रडार अनुसंधान संस्थान भीमताल
  • श्री आर एस टोलिया उत्तराखण्ड प्रशासनिक प्रशिक्षण अकादमी 1988 नैनीताल
  • राजकीय वेधशाला मोनेरापीक, नैनीताल
  • वन एवं पंचायत प्रशिक्षण अकादमी हल्द्वानी
  • सुशीला तिवारी फोरेस्ट कॉलेज हल्द्वानी
  • कुमाऊँ इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी काठगोदाम
  • उत्तराखण्ड सेन्टर फॉर क्लाइमेट चेंज विश्वविद्यालय परिसर, नैनीताल
  • कुमाऊँ मण्डल विकास निगम नैनीताल
  • हिल्ट्रॉन नैनीताल
  • मलेरिया शोध एवं उन्मूलन केन्द्र भवाली
  • टी0वी0 सेनेटोरियम भवाली
  • प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय हल्द्वानी
  • उत्तराखण्ड विधिक अकादमी (UJALA) भवाली (2004 में)
  • हिमालयन चैम्बरर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज नैनीताल
  • स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट हल्द्वानी (प्रस्तावित)
  • नैनीताल पर्वतारोहण क्लब नैनीताल
  • लोक संस्कृति संग्रहालय खुटानी, भीमताल
  • उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय 31 अक्टूबर, 2005
  • हिमालय संग्रहालय कुमाऊँ विश्वविद्यालय परिसर, नैनीताल

प्रमुख समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं

  • समय -विनोद -1868 उत्तराखण्ड भूमि का पहला हिन्दी एवं उर्दू पत्र था।
  • जिसके सम्पादक वकील जयदत्त जोशी थे।
  • हाजी -ए -आजम -1936 राज्य में यह प्रथम उर्दू धार्मिक पत्रिका थी।
  • जागृत जनता - 1938 में पीताम्बर दत्त पाण्डे द्वारा शुरू किया गया।
  • उत्तरायण - 1969 नित्यानन्द भट्ट द्वारा शुरू।
  • लोकालय - 1971 विजय कुमार तिवारी द्वारा इसे शुरू किया गया।
  • पर्वतीय - राज्य से प्रकाशित होने वाला पहला दैनिक हिन्दी समाचार पत्र था जिसे 1954 में विष्णु दत्त उनियाल ने शुरू किया।
  • नैनीताल समाचार - 1978 में राजीव लोचन साह ने इसे शुरू किया।
  • पिघलता हिमालय - 1978 में दुर्गा सिंह रावत द्वारा शुरू किया गया।
  • कूर्माचल केसरी - 1980 हल्द्वानी में महेशानन्द पाण्डे द्वारा शुरू।
  • उत्तराखण्ड मशाल - रामनगर 1999 में शुरू।
  • अतिरिक्त - कोहसार, हिल रिव्यू, नैनी जन दर्पण, युव जन, मशाल, नागरिक, उत्तरा, पहाड़, पर्वत प्रेरणा, सहित तीन दर्जन समाचार पत्र वर्तमान में भी प्रकाशित होते हैं।
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