जनपद नैनीताल: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण (District Nainital: Historical and Cultural Perspectives)
जनपद नैनीताल: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
नैनीताल उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण जनपद है, जो प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक मान्यताओं के साथ ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। नैनीताल का नाम एक विशेष धार्मिक और ऐतिहासिक कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री देवी सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था। दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में शिव को निमंत्रण नहीं मिलने पर सती अपने पति के अपमान से दुखी होकर हवन कुंड में कूद गईं। उनके बलिदान से महादेव अत्यंत क्रोधित हो उठे और सती के शरीर को लेकर ब्रह्माण्ड का भ्रमण करने लगे। जहां-जहां सती के शरीर के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए। इन्हीं में से एक शक्तिपीठ नैनीताल के नैनीझील क्षेत्र में माना जाता है, जहां माता सती की बाईं आँख गिरी थी। इसलिए, इस झील को 'नैनीताल' कहा जाने लगा।
नैनीताल जनपद का परिचय
- मुख्यालय: नैनीताल
- स्थापना वर्ष: 1891
- क्षेत्रफल: 4251 वर्ग किमी
- जनसंख्या: 9,54,605
- ग्रामीण जनसंख्या: 5,82,871
- शहरी जनसंख्या: 3,71,734
- पुरुष: 4,93,666
- महिला: 4,60,939
- जनघनत्व: 225 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
- साक्षरता दर: 76.36%
- पुरुष साक्षरता: 89.76%
- महिला साक्षरता: 69.28%
भौगोलिक सीमाएं और पड़ोसी जिले
- पूर्व में: चंपावत
- पश्चिम में: उत्तर प्रदेश
- उत्तर में: अल्मोड़ा
- दक्षिण में: उधम सिंह नगर
प्रशासनिक विभाजन
नैनीताल में कई तहसीलें और विकासखंड शामिल हैं:
- तहसीलें: नैनीताल, हल्द्वानी, रामनगर, कालाढूंगी, लालकुआँ, पारी, खनस्यू कोटाबाग, धारी, बेतालघाट
- विकासखंड: हल्द्वानी, रामनगर, भीमताल, रामगढ़, ओखलकांडा
नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन
नैनीताल को 'झीलों का शहर' कहा जाता है। यहां की नैनी झील, जो पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है, पर्यटकों का मुख्य आकर्षण है। इसके अलावा, नैनीताल में हिमालय की ऊंची चोटियां, हरे-भरे जंगल, और विभिन्न वन्यजीव क्षेत्र हैं, जो इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान बनाते हैं। नैनीताल न केवल पर्यटकों को आकर्षित करता है बल्कि यह क्षेत्र शिक्षा, सांस्कृतिक धरोहर, और धार्मिक आस्थाओं का केंद्र भी है।
नैनीताल का यह पौराणिक और प्राकृतिक महत्व इस जनपद को उत्तराखंड का एक अनमोल रत्न बनाता है।
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FQCs: जनपद नैनीताल: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
1. नैनीताल का नाम कैसे पड़ा?
नैनीताल का नाम देवी सती की बाईं आँख गिरने की कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पति भगवान शिव के अपमान से दुखी होकर हवन कुंड में आत्मदाह किया, तब शिव ने उनके शरीर को लेकर ब्रह्माण्ड का भ्रमण किया। जहाँ-जहाँ सती के शरीर के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए, जिनमें से एक नैनीताल के नैनीझील क्षेत्र में माना जाता है।
2. नैनीताल जनपद का मुख्यालय क्या है और इसकी स्थापना कब हुई?
नैनीताल का मुख्यालय नैनीताल शहर है, और इसकी स्थापना वर्ष 1891 में हुई थी।
3. नैनीताल जनपद का क्षेत्रफल और जनसंख्या क्या है?
नैनीताल का क्षेत्रफल 4251 वर्ग किमी है, और इसकी कुल जनसंख्या 9,54,605 है, जिसमें ग्रामीण जनसंख्या 5,82,871 और शहरी जनसंख्या 3,71,734 है।
4. नैनीताल की भौगोलिक सीमाएं और पड़ोसी जिले कौन से हैं?
- पूर्व में: चंपावत
- पश्चिम में: उत्तर प्रदेश
- उत्तर में: अल्मोड़ा
- दक्षिण में: उधम सिंह नगर
5. नैनीताल में प्रशासनिक विभाजन क्या है?
नैनीताल में कई तहसीलें और विकासखंड शामिल हैं:
- तहसीलें: नैनीताल, हल्द्वानी, रामनगर, कालाढूंगी, लालकुआँ, पारी, खनस्यू कोटाबाग, धारी, बेतालघाट
- विकासखंड: हल्द्वानी, रामनगर, भीमताल, रामगढ़, ओखलकांडा
6. नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता के मुख्य आकर्षण क्या हैं?
नैनीताल को 'झीलों का शहर' कहा जाता है। यहाँ की नैनी झील, हिमालय की ऊंची चोटियाँ, हरे-भरे जंगल और वन्यजीव क्षेत्र पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण हैं। यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है।
7. नैनीताल का सांस्कृतिक महत्व क्या है?
नैनीताल न केवल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह शिक्षा, सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्थाओं का भी केंद्र है। यहाँ की धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं इसे एक विशिष्ट पहचान देती हैं।
8. नैनीताल में साक्षरता दर कितनी है?
नैनीताल की साक्षरता दर 76.36% है, जिसमें पुरुष साक्षरता 89.76% और महिला साक्षरता 69.28% है।
9. नैनीताल की जलवायु और मौसम कैसा होता है?
नैनीताल की जलवायु समशीतोष्ण होती है, जिसमें गर्मियों में मौसम सुहावना और सर्दियों में बर्फबारी होती है, जिससे यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और भी बढ़ जाता है।
10. नैनीताल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व क्या है?
नैनीताल का ऐतिहासिक महत्व देवी सती की कथा से जुड़ा हुआ है, जबकि धार्मिक दृष्टि से यह शक्तिपीठों का केंद्र है। यहाँ के मंदिर और धार्मिक स्थल भक्तों के लिए आस्था का केंद्र हैं।
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