चम्पावत: नदियों, मंदिरों और समृद्ध इतिहास की भूमि पीडीएफ - Champawat: Land of Rivers, Temples and Rich History PDF
चम्पावत: नदियों, मंदिरों और समृद्ध इतिहास की भूमि पीडीएफ

नामकरण:
चम्पावत का मूल नाम चम्पावती है। यह नाम चन्द वंश के संस्थापक सोमचन्द द्वारा उनकी पत्नी चम्पा के नाम पर रखा गया था। इसके निकट बहने वाली गंडकी नदी को भी उस समय चम्पावती नदी कहा जाता था। चम्पावत में बालेश्वर मंदिर के निकट चम्पावती देवी का मंदिर स्थित है। यह क्षेत्र 15 सितंबर, 1997 को जिला बना और इसे अतीत का स्वप्निल नगर कहा जाता है।
मुख्यालय:
- चम्पावत
स्थापना वर्ष:
- 1997
भौगोलिक स्थिति:
- पड़ोसी जिले/राज्य:
- पूर्व में: नेपाल
- पश्चिम में: नैनीताल
- दक्षिण में: पिथौरागढ़ एवं अल्मोड़ा
- उत्तर में: उधमसिंह नगर
जनसंख्या और क्षेत्रफल:
- क्षेत्रफल: 1766 वर्ग किमी
- जनसंख्या: 2,59,648 (2.57%)
- पुरुष: 1,31,125
- महिला: 1,28,523
- ग्रामीण: 2,21,305
- शहरी: 38,343
- जनसंख्या घनत्व: 147
- साक्षरता: 79.83%
- पुरुष: 91.61%
- महिला: 68.05%
- लिंगानुपात: 980
- शिशु लिंगानुपात: 873
प्रशासनिक विवरण:
- तहसीलें (5): चम्पावत, पाटी, पूर्णागिरी, लोहाघाट, बाराकोट
- उपतहसीलें (2): मंच, पुल्ला (गुमदेश)
- विकासखण्ड (4): चम्पावत, लोहाघाट, बाराकोट, पाटी
- विधानसभा सीटें (2): चम्पावत एवं लोहाघाट
चम्पावत जिले की प्रमुख नदियाँ
चम्पावत जिला अपनी सुंदरता और प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है, जिसमें कई प्रमुख नदियाँ शामिल हैं। ये नदियाँ न केवल जल का स्रोत हैं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का भी हिस्सा हैं। यहाँ जिले की कुछ प्रमुख नदियों की जानकारी प्रस्तुत है:
गर्रा/द्योहा नदी
- उद्गम स्थान: चौगढ़ पट्टी
- प्रवाह: यह नदी शाहजहांपुर में रामगंगा नदी में मिल जाती है। नैनीताल के तराई क्षेत्र में इसे देवा के नाम से भी जाना जाता है।
गंडकी नदी
- प्रवाह: उत्तर वाहिनी नदी, जो वनलेख से निकलती है, यह लोहाघाट के निकट गौड़ी नामक स्थान पर लोहावती नदी में शामिल होती है।
- संयुक्तीकरण: यह नदी गढ़मुक्तेश्वर में महाकाली नदी में मिल जाती है।
लोहावती नदी
- उद्गम स्थान: यह नदी तीन धाराओं से निकलती है:
- पहली शाखा: एबट माउंट से निकलती है और इसे मुख्य लोहावती कहा जाता है।
- दूसरी शाखा: छमन्या मैदान, पाटन-पाटनी गांव के निकट से निकलती है, जिसे छमन्या गाड़ कहा जाता है।
- तीसरी शाखा: ढेरनाथ से निकलती है और कोली पुल के पास इस नदी में शामिल होती है।
- लोकमान्यता: माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण एवं बाणासुर के बीच हुए युद्ध से जो रक्त बहा था, उससे इस नदी का निर्माण हुआ। इसके कारण इसे लहू नाम दिया गया, जो बाद में लोहावती बन गया।
- विशेष: उपरोक्त तीनों धाराएँ मिलकर लोहावती नदी का निर्माण करती हैं, जिसके तट पर लोहाघाट स्थित है।
अन्य नदियाँ
- रंतिया नदी
- क्वैराला नदी
- नागिनी नदी
- बूचड़ी नदी
- हुड्डी नदी
- जगबुड़ा नदी
- गौड़ी नदी
चम्पावत जिले के प्रमुख मंदिर
चम्पावत जिला धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध है, जहाँ कई महत्वपूर्ण मंदिर स्थित हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक स्थान हैं, बल्कि यहाँ की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतीक हैं। यहाँ जिले के प्रमुख मंदिरों की सूची प्रस्तुत है:
बाराही मंदिर
- स्थान: देवीधुरा, पाटी तहसील
- विशेषता: रक्षाबंधन को असाडी कौतिक का आयोजन होता है, जिसे बग्वाल मेला कहा जाता है।
हरेश्वर मंदिर
- स्थान: मौन-पोखरी
- विशेषता: न्याय प्राप्ति हेतु प्रसिद्ध शिव को समर्पित मंदिर।
झुमापुरी का मंदिर
- स्थान: पाटन-पाटनी गांव
- विशेषता: क्षेत्र की लोक आस्था का प्रतीक।
क्रांतेश्वर महादेव
- स्थान: कुर्म पर्वत शिखर
- विशेषता: शिव को समर्पित मंदिर, जिसे कानदेव भी कहा जाता है।
भागेश्वर महादेव
- स्थान: खेतीखान मार्ग
- विशेषता: शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर।
रमकादित्य मंदिर
- स्थान: रमक गांव, घाटी
- विशेषता: साठी का मेला प्रसिद्ध है।
अखिल तारिणी मंदिर
- स्थान: लोहाघाट के निकट, दिगालीचौड़
- विशेषता: देवी की पूजा का केंद्र।
कांकर मंदिर
- स्थान: शारदा नदी के तट पर, टनकपुर
- विशेषता: इसे ब्रह्मा की तपस्थली माना जाता है।
हिंगला देवी मंदिर
- स्थान: ललुवापानी के निकट, कानदेव पर्वत
- विशेषता: शक्तिशाली देवी की उपासना का स्थान।
लड़ीधुरा मंदिर
- स्थान: बाराकोट
- विशेषता: मां भगवती का मंदिर, जिसे पद्मादेवी के नाम से भी जाना जाता है।
श्री कालचक्र नौमाना
- स्थान: मंगरौड़ी गांव
- विशेषता: मोष्टा देवता के अन्य रूप में प्रसिद्ध।
बालेश्वर मंदिर
- स्थान: देशटदेव
- विशेषता: भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर।
खेतीखान सूर्य मंदिर
- स्थान: खेतीखान
- विशेषता: 11वीं सदी से पूर्व निर्मित, दीपावली के समय मेले का आयोजन होता है, जिसे दीपोत्सव के नाम से जाना जाता है।
ऐड़ी फटकशिला मंदिर
- स्थान: गहतोड़ा गांव के ऊपर चोटी पर
- विशेषता: यहाँ हरे रंग का शिवलिंग है।
गोरखनाथ धाम
- स्थान: नेपाल से संलग्न मं चनामक कस्बे
- विशेषता: गोरख नाथ की पूजा का स्थान।
कैलपालेश्वर
- स्थान: खुर्राधार चोटी के समीप, चम्पावत
- विशेषता: शिव का प्रमुख मंदिर।
पाताल रुद्रेश्वर गुफा
- स्थान: वारसी गांव
- विशेषता: गुफा में स्थित शिवलिंग की पूजा की जाती है।
निष्कर्ष
चम्पावत जनपद न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिर और नदियाँ इस क्षेत्र की समृद्धि और धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं। चम्पावत का दौरा करना न केवल एक आध्यात्मिक अनुभव है, बल्कि यह यहाँ की विविधता और संस्कृति को समझने का एक अनूठा अवसर भी है।
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चम्पावत जनपद से संबंधित सामान्य प्रश्न
चम्पावत का नामकरण कैसे हुआ?
- चम्पावत का मूल नाम चम्पावती है, जो चन्द वंश के संस्थापक सोमचन्द द्वारा उनकी पत्नी चम्पा के नाम पर रखा गया। इसके निकट बहने वाली गंडकी नदी को भी उस समय चम्पावती नदी कहा जाता था।
चम्पावत कब जिला बना?
- चम्पावत 15 सितंबर, 1997 को जिला बना।
चम्पावत जनपद का मुख्यालय कहां स्थित है?
- चम्पावत जनपद का मुख्यालय चम्पावत में स्थित है।
चम्पावत जनपद की भौगोलिक स्थिति क्या है?
- चम्पावत का पूर्व में नेपाल, पश्चिम में नैनीताल, दक्षिण में पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा, और उत्तर में उधमसिंह नगर से संपर्क है।
चम्पावत जनपद की जनसंख्या और क्षेत्रफल क्या है?
- चम्पावत का क्षेत्रफल 1766 वर्ग किमी है और इसकी जनसंख्या 2,59,648 है।
चम्पावत जनपद की नदियों से संबंधित प्रश्न
चम्पावत जनपद की प्रमुख नदियाँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रमुख नदियों में गर्रा/द्योहा नदी, गंडकी नदी, लोहावती नदी, और अन्य नदियाँ जैसे रंतिया, क्वैराला, नागिनी, बूचड़ी, हुड्डी, जगबुड़ा, और गौड़ी शामिल हैं।
लोहावती नदी का उद्गम स्थान क्या है?
- लोहावती नदी तीन धाराओं से निकलती है: एबट माउंट, छमन्या मैदान, और ढेरनाथ।
चम्पावत जनपद के मंदिरों से संबंधित प्रश्न
चम्पावत जनपद में प्रमुख मंदिर कौन से हैं?
- प्रमुख मंदिरों में बाराही मंदिर, हरेश्वर मंदिर, झुमापुरी का मंदिर, क्रांतेश्वर महादेव, भागेश्वर महादेव, और अखिल तारिणी मंदिर शामिल हैं।
बाराही मंदिर का क्या महत्व है?
- बाराही मंदिर देवीधुरा में स्थित है और यहाँ रक्षाबंधन को असाड़ी कौतिक का आयोजन होता है, जिसे बग्वाल मेला कहा जाता है।
खेतीखान सूर्य मंदिर का विशेष महत्व क्या है?
- यह मंदिर 11वीं सदी से पूर्व निर्मित है और दीपावली के समय मेले का आयोजन होता है, जिसे दीपोत्सव के नाम से जाना जाता है।
अन्य प्रश्न
चम्पावत जनपद की साक्षरता दर क्या है?
- चम्पावत की साक्षरता दर 79.83% है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता 91.61% और महिलाओं की साक्षरता 68.05% है।
चम्पावत में प्रशासनिक विभाजन क्या है?
- चम्पावत में 5 तहसीलें (चम्पावत, पाटी, पूर्णागिरी, लोहाघाट, बाराकोट), 2 उपतहसीलें (मंच, पुल्ला), और 4 विकासखण्ड हैं (चम्पावत, लोहाघाट, बाराकोट, पाटी)।
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