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जनपद - देहरादून

  1. लोकमत के अनुसार द्रोणाचार्य ने इस क्षेत्र पर्वत पर तप किया था। द्रोणाचार्य से सम्बन्धित होने के कारण प्राचीन कालीन द्रोणनगर माना जाता है। सम्भव हैं कि इसी द्रोण का दून नाम से संबोधन किया जाने लगा। कालांतर में यह नाम द्रोण अथवा दून घाटी हो गया।
  2. दोने की आकृति होने के कारण इसका नाम दून पड़ने का भी समर्थन किया जाता है।
  3. भौगोलिक रूप से दून का अर्थ होता है घाटी। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार दून (Doon) का अर्थ वैली इन शिवालिक हिल्स दिया गया है।

प्राचीन नाम- द्रोण/ द्रोण नगरी/नालागढ़/पृथ्वीपुर/शिवपुरी।

  1. मुख्यालय- देहरादून
  2. स्थापना वर्ष - 1817
  3. पूर्व में -टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी
  4. पश्चिम में -उत्तर प्रदेश
  5. दक्षिण में -हरिद्वार
  6. उत्तर में -उत्तरकाशी, हिमाचल
  7. क्षेत्रफल-3088 वर्ग किमी
  8. जनसंख्या- 1696694(16.82%)
  9. पुरुष- 892199
  10. महिला- 804495
  11. जनघनत्व-549
  12. साक्षरता-84.25%
  13. ग्रामीण- 754753
  14. शहरी- 754753
  15. महिला- 78.54%
  16. पुरुष-89.40%
  17. लिंगानुपात- 906
  18. शिशु लिंगानुपात- 889

तहसीलें (7) - 

  1. देहरादून, 
  2. चकराता, 
  3. ऋषिकेश, 
  4. विकासनगर, 
  5. त्यूनी, 
  6. कालसी, 
  7. डोईवाला

विकासखण्ड (6) - 

  1. रायपुर, 
  2. डोईवाला, 
  3. चकराता, 
  4. कालसी, 
  5. सहसपुर, 
  6. विकासनगर

विधानसभा सीटें (11) - 

  1. चकराता(ST), 
  2. विकासनगर, 
  3. सहसपुर, 
  4. धर्मपुर, 
  5. रायपुर, 
  6. राजपुर रोड(SC), 
  7. राजपुर, 
  8. मसूरी, 
  9. डोईवाला, 
  10. ऋषिकेश, 
  11. देहरादून कैण्ट

जिले की प्रमुख नदियां

रिस्पना नदी

  1. मूल नाम ऋषिपर्णा नदी।
  2. लण्ढौर छावनी के वुडस्टॉक फॉरेस्ट के परिटिब्बा से निकलती है।
  3. इसमें शिखर फॉल है।
  4. मोथेरावाला के निकट बिन्दाल नदी में मिल जाती-है।

सुस्वा नदी

  1. कारगी के निकट ओगलवाला से निकलती है। रिस्पना एवं बिन्दाल
  2. इसकी सहायक नदियां है।
  3. दोनों नदियां काँसरा के पास मिलती है, आगे रायवाला के निकट गंगा में शामिल हो जाती है।

सोंग नदी

  1. सुरकण्डा से निकलती है।
  2. बाल्दी एवं विद्यौल्ना रौ इसकी प्रमुख सहायक नदियां है।
  3. यह वीरभद्र के निकट गंगा में शामिल हो जाती है।

आसन नदी- 

  1. आशारोड़ी से निकलकर रामपुर मण्डी के पास यमुना में शामिल हो जाती है।

तमसा नदी

  1. हर की दून क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली छोटी सी नदी।
  2. मूल रूप से बन्दरपूँछ से निकलती है, गुच्छुपानी दृश्य स्वरूप में आती है।
  3. इसके तट पर टपकेश्वर महादेव मंदिर है।
  4. वाल्मिकी आश्रम होने के कारण वाल्मिकी प्रतिमा इसके तट पर है, मान्यता है कि इसके तट पर ही रामायण लिखी गई थी।
  5. अतं में यह कालसी के निकट यमुना में मिल जाती है।

देहरादून में स्थित जलप्रपात

  1. मालदेवता फॉल- देहरादन
  2. मॉसी फॉल- मसूरी
  3. सहस्त्रधारा जलप्रपात- देहरादन
  4. भट्टा फॉल- मसूरी
  5. झड़ीपानी फॉल- मसूरी
  6. शिखर फॉल- देहरादन

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टिहरी जनपद

जिले की प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएं

  1. किशौ बाँध परियोजना- देहरादून जिले में टोंस नदी पर इस बांध में 600 मेगावाट विद्युत उत्पादन करने की क्षमता है।
  2. खौदारी परियोजना- 1983-84 में यमुना नदी पर देहरादून में 120 मेगावाट क्षमता वाली इस परियोजना की स्थापना की गई।
  3. ढकरानी परियोजना- 1965-1970 तक इस परियोजना की स्थापना देहरादून में 33.75 मेगावाट विद्युत के लिए की गई।
  4. ढालीपुर परियोजना- 1965-1970 तक यमुना नदी पर देहरादून में 51 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना की स्थापना की गई0
  5. छिबरो परियोजना- टोंस नदी पर, देहरादून में। के अतिरिक्त ढकरानी, लखवाड़, व्यासी, किसाऊ, इचारी, कुल्हान, ग्लोगी इत्यादि परियोजनाएं देहरादून जिले में संचालित है।

जिले की प्रमुख गुफाए

  1. कार्तिकेय गुफा- लाखामण्डल के निकट यमुना ऋषिगंगा के तट पर स्थित।
  2. टपकेश्वर - यह मंदिर देहरादून जिला देहरादून सिटी बस स्टेंड से 5.5 कि॰मी॰ की दूरी पर गढ़ी कैंट क्षेत्र में एक छोटी नदी के किनारे बना है।
  3. गुच्चुपानी - गुच्छुपानी पिकनिक के लिए एक आदर्श स्थान है।

जिले के प्रमुख मेले

  1. नुणाई मेला- केदार मंदिर, ग्राम भटाड़ में श्रावण मास में।
  2. बिस्सू मेला(चकराता)- बैशाख माह के प्रथम दिन आयोजित होता है। इसमें गोगा माँ की पूजा एवं धूमसू नृत्य किया जाता है।
  3. हत्तालिका मेला- गोरखा समुदाय द्वारा देहरादून में आयोजित होता है।
  4. राजपुर नेचर फेस्टिवल- 2014 से प्रतिवर्ष नवम्बर आयोजित होता है।
  5. पांचोई लाकोत्सव- जौरसार में दशहरे से 4 दिन पूर्व आयोजित होता है।
  6. शहीद वीर केसरी मेला -चकराता
  7. टपकेश्वर मेला

जिले के प्रमुख स्थल

कालसी

  1. यमुना एवं अमलावा नदी के तट पर स्थित है।
  2. यहां से सम्राट अशोक का उत्तरी सीमा पर स्थित शिलालेख प्राप्त हुआ है।
  3. स्थानीय लोग इसे चित्रशिला के नाम से जानते है।
अशोक आश्रम- धर्मदेव शास्त्री द्वारा पचास के दशक में स्थापित।
सहिया- चकराता मार्ग में सैय्या या सहिया अमलावा नदी के तट पर स्थित है। मुख्य रूप से व्यापारिक मण्डी है।
परशुराम मंदिर- कालसी ब्लॉक के डिमऊ गांव में स्थित।

मसूरी

  1. मसूरी का नामकरण मंसूर/मंसूरी नामक पौधे की अधिकता से हुआ।
  2. पहाड़ों की रानी उपनाम से विश्व भर में प्रसिद्ध है।
  3. मसूरी को बसाने का श्रेय कैप्टन यंग को जाता है जिन्होंने सर्वप्रथम 1823 में शोर के साथ मिलकर मसूरी में शिकार हेतु उसका‌ प्रथम मकान बनाया था।
  4. मसूरी के अन्य स्थलों में एवरेस्ट पार्क-, कम्पनी गार्डन, कैमल्स बैक रोड,
  5. लंढौर, भद्रराज मंदिर, मुनिसिपल गार्डन(1842) इत्यादि अन्य‌ प्रसिद्ध स्थल है।
  6. मसूरी में कैम्पटी फॉल(टिहरी), भट्टा फॉल, झड़ीपानी फॉल,
  7. मौसी फॉल(वाल्दी नदी), नामक प्रसिद्ध झरने है।
  8. मसूरी में लेक मिस्ट तथा मसूरी झील स्थित है।

  1. मौसी फॉल- इसे हिर्यसे फॉल भी कहा जाता है। इसके निकट ही टिवोली गार्डन भी है।
  2. चकराता-पहाड़ो का राजा नाम से प्रसिद्ध है।
  3. टाइगर फॉल (50 फीट) - इस झरने को कैराव पछाड़ नाम से भी जाना जाता है।
  4. लाखामण्डल- इसे मूर्तियों का भण्डार कहा जाता है। इसके शिखर पर्वत को भवानी पर्वत कहते है जो कि माता भवानी की तपस्थली माना जाता है।
  5. रामताल गार्डन- यहां मुख्य रूप से वीर शहीद केशरी चन्द की स्मृति में मेले का आयोजन होता है।
  6. सहस्त्रधारा- ग्रीष्मकालीन पर्यटन का प्रमुख केन्द्र जो कि वाल्दी नदी पर स्थित है। यहां गन्धक युक्त कुण्ड भी है। यहां द्रोणाचार्य गुफा स्थित है।
  7. खलंगा स्मारक- 30 अक्टूबर से 30 नवम्बर 1814 देहरादून के नालापानी के समीप खलंगा पहाड़ी पर महज 600 गोरखा सैनिकों दस हजार की तादात वाली अंग्रेजी फौज के नाकों चने चबवा दिये थे, इस युद्ध को नालापानी का युद्ध खलंगा का युद्ध कहा जाता है।
  8. मालसी हिरन पार्क- 1976 में मसूरी रोड में स्थापित पार्क जिसे देहरादून जू के नाम से भी जाना जाता है।

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जिले के प्रमुख मंदिर

ज्वालाजी मंदिर

  1. ➣ बिनोग हिल में स्थित मां दुर्गा को समर्पित।
  2. ➣ यह मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस स्थल पर माता सती की जीभ गिरी थी।

महासू मंदिर हनोल

  1. हनोल गांव चकराता में टोंस नदी के पूर्वी तट पर स्थित है।
  2. इसका नामकरण हुना भट्ट नामक ब्राह्मण के नाम पर हनोल पड़ा।
  3. पूर्व का नाम चकरपुर था।
  4. यहां महासू देवता का मंदिर है।
  5. उत्तराखण्ड का पांचवां धाम कहा जाता है।

टपकेश्वर महादेव मंदिर

  1. तमसा नदी के तट पर यह एक इस स्थल पर गुरू द्रोण के पुत्र अश्वथामा का जन्म हुआ था,
  2. माना जाता है कि बालक अश्वथामा को भूख लगने पर दूध की जिद करने लगा तब भगवान शिव ने प्रकट होकर शिवलिंग पर दूध गिराकर उसकी इच्छा पूर्ति की तब से ही टपकेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

लक्ष्मण झूला

  1. लक्ष्मण द्वारा गंगा नदी पार करने हेतु इस स्थान पर जूट की रस्सियों का पुल बनाया गया था।
  2. 1889 में लोहे के तारों से मजबूत पुल का निर्माण कलकत्ता के सेठ सूरजमल ने करवाया था, जो 1924 में बह गया था।
  3. 1939 में वर्तमान झूला पुल का निर्माण करवाया गया था जिसे 12 जुलाई, 2019 से बन्द कर दिया गया है।
  • राम झूला- इसे शिवानन्द झूला भी कहते है जो कि शिवानन्द आश्रम के सामने है।
  • कैलाश निकेतन मंदिर- 12 खम्भों में बना देवी-देवताओं को समर्पित मूर्तियों हेतु प्रसिद्ध है।
  • त्रिवेणी घाट- इसी स्थान पर कुब्जाम्रक कुण्ड है, जिसमें गंगा, जमुना एवं सरस्वती का जल मिलता है। तीनों के संगम के कारण इसे त्रिवेणी कहा जाता है।
  • गुरू रामराय दरबार- यहां झण्डा मेला आयोजित होता है। इसे झण्डा साहिब भी कहा जाता है।
  • डाटकाली मंदिर- आशा रोड़ी के निकट स्थित। यहां अक्टूबर 2018 को डबल लेन सुरंग जिसे विश्वेश्वरैया टनल नाम दिया गया है शुरू की गई है।
  • सिद्धेश्वर महादेव मंदिर- केदारपुरम में मोथेरावाला वाला रोड पर स्थित।
  • धौलेश्वर महादेव मंदिर- गढ़ी कैण्ट देहरादून में स्थित।
  • प्रकाशेश्वर महादेव-देहरादनू-मसूरी मार्ग पर स्थित ।
  • भरत मंदिर- ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मंदिर है, जिसे 12वीं सदी में बनाया गया माना जाता है। 1398 में तैमूर द्वारा नष्ट किया गया। दशरथ पुत्र भरत द्वारा इस स्थान पर तप किये जाने से यहां भरत मंदिर की स्थापना की गई।
  • शिवानन्द आश्रम- 1936 में स्वामी शिवानन्द जी ने इस आश्रम की नींव रखी थी।
  • अन्य- गीता भवन (1950 में, श्री जयदयाल गोयन्दकाजी द्वारा), परमार्थ निकेतन, स्वर्ग आश्रम, मुनि की रेती इत्यादि अन्य प्रसिद्ध है।

जिले के संस्थान

  1. भारतीय सुदूर संवेदी संस्थान- 1966
  2. ड्रिलिंग टेक इंस्टीट्यूट- 1978
  3. ONGC- 2003
  4. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान- 1959
  5. उत्तराखण्ड संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद्-2004
  6. वाडिया संस्थान- 1968
  7. इक्फाई विश्वविद्यालय- 2003
  8. हिमगिरि जी विश्वविद्यालय-2003
  9. स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय- 1989
  10. उत्तरांचल विश्वविद्यालय-2013
  11. उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय- 2009
  12. दून विश्वविद्यालय- 2005
  13. हेमवती नन्दन बहुगुणा मेडिकल शिक्षा विश्वविद्यालय- 2014
  14. भारतीय वन अनुसंधान संस्थान-1864
  15. लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी- सितम्बर, 1959
  16. इंडियन मिलिट्री अकादमी-अक्टूबर 1932

प्रमुख समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं

  1. द हिल्स -सर्वविदित है कि 1842 में मसूरी से निकला राज्य का प्रथम समाचार पत्र है।
  2. मेफिसलाइट -1858 में निकला था। हालाँकि कुछ इतिहासकारों ने इसका प्रकाशन वर्ष 1845 भी बताया है।
  3. हिमालय क्रानिकल - 1875-76 जॉन नारथम द्वारा निकाला गया।
  4. मसूरी सीजन - 1872 में कोलमैन एवं नार्थम ने मिलकर इसे शुरू किया था।
  5. द हेराल्ड वीकली -1924 मसूरी से बनवारी लाल बेदम ने शुरू किया।
  6. द मसूरी टाइम्स - 1900 से शुरू हुआ।
  7. कास्मोपोलिटन - बैरिस्टर बुलाकी राम ने 1910 में। यह प्रथम साप्ताहिक अंग्रेजी समाचार पत्र था।
  8. गढ़वाली - 1905 में शुरू।
  9. हिमालय -चन्द्रमणि विद्यालंकार द्वारा 1928 में शुरू।
  10. अभय - 1928 में स्वामी विचारानन्द सरस्वती द्वारा शुरू किया गया।
  11. निर्बल सेवक - 1913 में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा।
  12. मसूरी एडवरटाइजर - 1942 में के0 एफ0 मेकगोन ने शुरू किया।
  13. युगवाणी - 1947 से अब तक लगातार प्रकाशित हो रहे है। इसके प्रथम संपादक भगवती प्रसाद पांथरी थे।

अतिरिक्त सीमान्त प्रहरी, हिमाचल, अंगारा, पर्वतीय संस्कृति, बमतुल बुखारा, उदंकार, दीवार, लाल अखबार, जौनसार बावर मेल, यूमुना किनारे, पर्वतजन, डिवाइन लाइफ, अटल हिमालय, सोशल विकास, गढ़वाल केसरी, गढ़माऊँ मेल, गढ़वालै धै, हिलेरी एक्सप्रेस, द पीपुल्स ऑफ इंडिया, द सिटी, उत्तराखण्ड पोस्ट इत्यादि करीब 100 से अधिक पत्र -पत्रिकाएं दून घाटी से प्रकाशित होते हैं।

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जनपद - उत्तरकाशी

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2.    उत्तरकाशी जिले के प्रमुख मेले और त्योहार पीडीएफ के साथ
3.    उत्तरकाशी जिले की जलवायु और जल स्रोत पीडीएफ के साथ
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