चम्पावत जिले की प्रमुख गुफाएं, ताल और मंदिर

चम्पावत जिला अपनी गुफाओं, तालों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कई स्थल हैं। इस ब्लॉग में हम चम्पावत की प्रमुख गुफाओं, तालों, मंदिरों, किलों और समाचार पत्रों के बारे में चर्चा करेंगे।
प्रमुख गुफाएं
सरोवर गुफा
- धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण, श्रद्धा का केंद्र।
पंचगुफा
- यहाँ पाँच अलग-अलग गुफाएं हैं, जो एक महत्वपूर्ण स्थल का निर्माण करती हैं।
भैरव गुफा
- भगवान भैरव को समर्पित, यहाँ भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।
गणेश गुफा (गोठ पड़िया गुफा)
- भगवान गणेश को समर्पित, यह गुफा क्षेत्र में प्रसिद्ध है।
रुद्रेश्वर गुफा
- शिव की उपासना के लिए जानी जाती है।
प्रमुख ताल
श्यामलाताल
- स्थान: सूखीढांग के निकट।
- विशेषता: 1914 में विवेकानंद के शिष्य विराजानन्द द्वारा स्थापित, जिसे विवेकानंद आश्रम भी कहा जाता है।
ब्यानधुरा ऐडी देवता
- चम्पावत के प्रत्येक घर में जाने वाले ऐड़ी देवता।
भीमशिला
- स्थान: बाराही देवी मंदिर के दक्षिण, जिसे रणशिला भी कहते हैं।
मीठा रीठा साहिब
- स्थान: देपूरी गांव, धधिया एवं रतिया नदियों के संगम पर।
न्याय के देवता गोरिल
- स्थान: चम्पावत के गोरिल चौड़ मैदान के निकट, गोल्ज्यू का मूल स्थान।
मचवाल
- स्थान: देवीधुरा, मुचकुन्द ऋषि का प्राचीन आश्रम।
झूठा मंदिर
- स्थान: पूर्णागिरी मार्ग पर।
पंचमुखी महादेव मंदिर
- स्थान: टनकपुर।
पूर्णागिरी
- 108 शक्ति पीठों में से एक, जहाँ माता सती की नाभि की पूजा होती है। यहाँ उत्तराखण्ड का सबसे लम्बे समय तक चलने वाले मेले का आयोजन होता है।
अद्वैत आश्रम
- स्थापना: विवेकानन्द के शिष्य स्वामी स्वरुपानन्द के सहयोग से 19 मार्च, 1899 को स्थापित।
घटोत्कच (घटकु) मंदिर
- स्थान: गिड्या नदी के पार फुगर गांव के समीप। धर्मशिला से जल लाकर इस मंदिर में जल डालने की मान्यता।
मानेश्वर मंदिर
- नाम: मानसखण्ड में मानसरोवर हर/मानेश्वर नाम से भी जाना जाता है। युधिष्ठिर द्वारा तीर से पानी निकालने की मान्यता।
चम्पावत का पशु मेला, किले और प्रमुख समाचार पत्र
चम्पावत जिला अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर पशुओं के मेले, प्राचीन किले और स्थानीय समाचार पत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
पशुओं हेतु प्रसिद्ध मेला
चम्पावत में पशुओं का मेला बहुत प्रसिद्ध है, जहाँ विभिन्न प्रकार के पशुओं की खरीद-फरोख्त होती है। यह मेला न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आयोजन है।
चम्पावत के किले
बाणासुर का किला
- स्थान: लोहाघाट से 5 किमी दूर कर्णकरायत गांव के उत्तर में। ऐतिहासिक महत्व रखता है।
चम्पावत गढ़ी
- उपनाम: चम्पावत का किला, राजबुंगा, राजा की गढ़ी। सोमचन्द द्वारा स्थापित अण्डाकार किला।
चण्डाल कोट
- स्थान: मुख्यालय से 6 किमी दूर ढकना ग्राम में।
चिन्त कोट
- स्थान: लोहावती एवं गिड़िया नदी के संगम पर स्थित।
कत्यूर कोट
- स्थान: मूलाकोट के पूर्वोत्तर में स्थित।
बाराकोट
- विशेषता: इसे बारह कोटों के कारण नाम बाराकोट मिला है।
करक्यूड़ा कोट
- उपनाम: संग्राम कार्की का कोट/बुंगा के नाम से भी जाना जाता है।
प्रमुख समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं
पहाड़ो के झरोखों से
- स्थापना: 1995 में लोहाघाट के ललित पाण्डे द्वारा शुरू किया गया।
जनलहर
- सम्पादक: वर्तमान में हरीश चन्द्र पाण्डे द्वारा सम्पादित।
मानेश्वर समाचार
- स्थापना: 2011 से जया पुनेठा द्वारा शुरू किया गया।
निष्कर्ष
चम्पावत जिला अपने गुफाओं, तालों, मंदिरों, और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाती है। यदि आप चम्पावत की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन स्थलों को अवश्य देखें।
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FQCs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
चम्पावत जिले में प्रमुख गुफाएं कौन-कौन सी हैं?
- चम्पावत जिले में प्रमुख गुफाएं हैं: सरोवर गुफा, पंचगुफा, भैरव गुफा, गणेश गुफा (गोठ पड़िया गुफा), और रुद्रेश्वर गुफा।
श्यामलाताल कहाँ स्थित है और इसकी विशेषता क्या है?
- श्यामलाताल सूखीढांग के निकट स्थित है। इसे 1914 में विवेकानंद के शिष्य विराजानन्द द्वारा स्थापित किया गया था और इसे विवेकानंद आश्रम भी कहा जाता है।
पूर्णागिरी मंदिर का महत्व क्या है?
- पूर्णागिरी मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है, जहाँ माता सती की नाभि की पूजा होती है। यह उत्तराखंड का सबसे लम्बे समय तक चलने वाले मेले का आयोजन स्थल है।
चम्पावत जिले में पशु मेला कब और कहाँ आयोजित होता है?
- चम्पावत में पशुओं का मेला स्थानीय लोगों और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पशुओं की खरीद-फरोख्त होती है।
बाणासुर का किला कहाँ स्थित है?
- बाणासुर का किला लोहाघाट से 5 किमी दूर कर्णकरायत गांव के उत्तर में स्थित है और इसे मारकोट का किला भी कहा जाता है।
अद्वैत आश्रम की स्थापना कब हुई थी?
- अद्वैत आश्रम की स्थापना 19 मार्च, 1899 को स्वामी स्वरूपानंद के सहयोग से हुई थी।
चम्पावत में कौन से प्रमुख समाचार पत्र हैं?
- चम्पावत में प्रमुख समाचार पत्रों में "पहाड़ो के झरोखों से", "जनलहर", और "मानेश्वर समाचार" शामिल हैं।
मीठा रीठा साहिब का पुराना नाम क्या है?
- मीठा रीठा साहिब का पुराना नाम चौड़ामेहता है और यह देपूरी गांव में धधिया एवं रतिया नदियों के संगम पर स्थित है।
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