bharat uttarakhand bageshwar (sab kuchh) (भारत उत्तराखंड बागेश्वर (सब कुछ))

भारत उत्तराखंड बागेश्वर (सब कुछ)  India Uttarakhand Bageshwar (Everything) 

बागेश्वर  Bageshwar 

जनपद - बागेश्वर

➣ इसको प्रारम्भ में वागेश्वर कहा जाता था, जिसका अर्थ था वाक् ईश्वर।
➣ मानसखण्ड में इसे वागीश्वर तीर्थ नाम से उल्लिखित किया गया है।
➣ किन्तु बहुमत, ब्याघेश्वर नाम से बागेश्वर नाम की उत्पत्ति पर है।
➣ मानसखण्ड के अनुसार मार्कंडेय ऋषि का तप स्थान था, ने जब यहां से आगे बढ़ना चाहा तो ऋषि का आश्रम न बह जाय इसलिए वह रुक गई जिस कारण वहां तालाब बन गया। इससे बांध के फूटने से और भारी
➣ अनर्थ की आशंका हो गई तब पार्वती ने गाय रूप धारण किया और शिव ने व्याघ्र रूप धारण कर उसे मारने का अभिनय किया। इससे मारकण्डेय तप छोड़कर गाय को बचाने दौड़े और तब सरयू आगे बड़ी तबसे ही इसे ब्याघ्र या बाघ के नाम से बागेश्वर या व्याघेश्वर नाम से जाना जाता है।
➣ 15 सितम्बर, 1997 को जिला बना।
➣ बागेश्वर के इतिहास में सबसे महत्वूपूर्ण कदम है कुली बेगार आन्दोलन जो 14 जनवरी, 1921 को मकर संक्रांति के दिन बागनाथ मंदिर के प्रांगण से शुरू हुआ था। इसकी शुरूआत 1 जनवरी, 1921 को चामी गांव में सभा का आयोजन कर की गई। गांधी जी ने इसे रक्तहीन क्रान्ति का नाम दिया था।


मुख्यालय- बागेश्वर

स्थापना वर्ष - 1997

पड़ोसी जिले/देश/राज्य
पूर्व में-पिथौरागढ़
पश्चिम में-चमोली
उत्तर में-पिथौरागढ़
दक्षिण में-अल्मोड़ा

क्षेत्रफल- 2246 वर्ग किमी
जनसंख्या- 259898 (2.58%)
पुरुष-124326
महिला- 135572
ग्रामीण- 250819
शहरी-9079
जनघनत्व- 116

साक्षरता-80.01%
महिला-69.03%
पुरुष-92.33%

लिंगानुपात- 1090
शिशु लिंगानुपात- 904

तहसीलें (6)- बागेश्वर, कपकोट, गरूड़,काण्डा, काफलीगैर, दुगनाकुरी
उपतहसील -शामा
विकासखण्ड- कपकोट, काण्डा, गरुड़
विधानसभा सीटें- कपकोट, बागेश्वर

जिले के प्रमुख तीर्थ/स्थान
बागनाथ मंदिर
➣ शिव पुराण के आदिकाल में भगवान शंकर के प्रियगण चंडीश ने नीलेश्वर तथा भीलेश्वर की पहाड़ी पर अनेक देवी-देवताओं को बसाया।
➣ इसी मंदिर के नाम पर जिले का भी नामकरण हुआ।

बैजनाथ
➣ कत्यूरी शासकों ने 1150ई0 के आस-पास गरुड़ में स्थित निर्मित मंदिर समूह।
➣ गोमती एवं गरूड़ गंगा के संगम पर है।
➣ बैजनाथ पूर्व में कार्तिकेयपुर माना जाता है।
➣ 26 मंदिरों का समूह है।

कोट भ्रामरी
➣ डंगोली में स्थित देवी दुर्गा को भ्रमर अवतार के रूप में पूजा जाता है।
➣ निकट ही गड़ेशर गांव में बद्रीनाथ मंदिर समूह है।

गागरी गोल- गोमती नदी के तट पर स्थित है।

तैलीहाट- कत्यूर वंश के प्राचीन एवं प्रमुख गांवों में सुमार है तैलीहाट जो कि मंदिर, भवनों, मूर्तियों, नौलों आदि में किये गये शिल्प हेतु जाना जाता है।

बदरीनाथ मंदिर समूह- गढ़सेर में 14वीं सदी में निर्मित बदरीनाथ मंदिर समूह है जो कि चतुर्भुजीय विष्णु की प्रतिमा हेतु जाना जाता है।

खाड़ेश्वर बाबा मंदिर-बदेशियर मंदिर भी कहते हैं।

नौलिंग देव मंदिर- सनगाड़, कपकोट में है, ये मूल नारायण के पुत्र के रूप में स्थापित है।

काशिल देव मंदिर- कपकोट में स्थित है, निकट ही बाण देवता एवं माता भगवती का मंदिर है

श्री गुरु गोरखनाथ जी मंदिर- चिरपतकोट चोटी में स्थित है।

शिखर मंदिर- शिखर पर्वत पर मूल नारायण को समर्पित मंदिर है।

भद्रकाली मंदिर- भद्रकाली गाँव में स्थित कालीमठ के समान मान्यता वाला शक्तिपीठ है।

मुहोली का शिवालय- सनेती व किरोली गांवों के मध्य स्थित है।

नाकुरी- फेणी नाग पर्वत, शिखर पर्वत तथा हरी नाग पर्वतों के मध्य स्थित क्षेत्र जो नाग के फन के आकार का है।

अन्य नाग मंदिर - काली नाग, पिंगई नाग, बेरीनाग, बासुकी नाग, धौली नाग, फेणी नाग, हरी नाग इत्यादि।

जिले की प्रमुख गुफाएं
1. जोगावाड़ी शिव गुफा-कांडा
2. व्यास गुफा, भनार कपकोट
3. भद्रकाली गुफा-काण्डा
4. छुकोरी डाना लघु उडियार
5. गौरी उडियार

जिले के ग्लेशियर
1. हीरामणि
2. पिण्डारी-आकार में गंगोत्री के बाद दूसरा बड़ा ग्लयेशियर है।
3. कफनी
4. सुंदरदूंगा
5. नामिक
6. सम्भू ग्लेशियर (यह एक बुग्याल भी)
जिले की प्रमुख झीलें
1. सूरजकुण्ड
2. अग्निकुण्ड
3. छीड़ गंगा कुण्ड, कफौली
4. सुकुण्डा ताल, पोथिंग गांव, कपकोट में भीम द्वारा निर्मित झील मानी जाती है।
5. तप्त कुण्ड सलिंग
6. देवी कुण्ड-सुंदरदूंगा ग्लेशियर के निकट है।
7. बैजनाथ झील

जिले की प्रमुख नदियां
सरयू नदी
➣ सरमूल से निकलकर पंचेश्वर तक का सफर तय करके काली में समा जाती है।
➣ झुनी, सुसर, खाती घाट इस नदी घाटी में है।
➣ बागेश्वर में गोमती से संगम बनाती है।
➣ भद्रागाड़, घाटगाड़, जालौरगाड़, भूरगाड़ अलकनन्दी, सानीयांगाड़, पनार, पुंगर(संगर गांव से निकलती है।) एवं लाहूर, कल्यूर/ कुलूर(सानीउडियार के निकट से निकलकर सेराघाट में सरयू में मिलती है।) इसकी सहायक नदियां है।
➣ रामेश्वरम(घाट) में पूर्वी रामगंगा से संगम होता है।
➣ रामचरित मानस में इसे मानस नन्दनी कहा गया है।
➣ मिलिन्दपनोह में सरयू को सरभू कहा गया है।

गोमती नदी
➣ भदकोट के समीप से वेणू पर्वत से निकलती है
➣ बागेश्वर में सरयू में सम्मिलित होती है।
➣ कत्यूर घाटी एवं गरूड़ घाटी में बहती है।
➣ इसमें बैजनाथ बैराज का निर्माण भी किया गया है
➣ बैजनाथ में ही गरूड़ गंगा भी मिलती है।

पिंडारी नदी
➣ पिण्डारी ग्लेशियर से निकलती है।
➣ कर्णप्रयाग में अलकनन्दा में शामिल हो जाती है।

बेलंग गाड़- पोथिंग गांव से निकलती है। पोथिंग गांव में भिटाव छीड़/झरना है।

उत्तरायणी मेला- मकर संक्रान्ति या उत्तरायणी के अवसर पर नदियों के किनारे

कोट की माई का मेला- कोट भ्रामरी मंदिर में आयोजित मेला। यहां रणचूला नाम से विख्यात इस स्थान पर कभी कत्यूरी राजाओंने अपना किला बनवाया था। गढ़वाल यात्रा के समय जगतगुरू शंकराचार्य इस स्थान पर कत्यूरी राजाओं के अतिथि बने थे तथा उन्होंने बैजनाथ मंदिर की शिला की यहाँ प्राणप्रतिष्ठा और पूजन आरम्भ करवाया। बाद में यही कोट की माई के नाम पूजित हुई।
ज़िले के प्रमुख दर्शनीय स्थल
जिलम झरना- गोगिना गांव से दर्शनीय यह झरना प्राकृतिक सौंदर्य हेतु जाना जाता है। दोपहर की रोशनी में यह झरना सुनहरे रंग का दिखता है। नीचे जाकर यह रामगंगा में मिल जाता है।

अनाशक्ति आश्रम- महात्मा गांधी जी यहां 1929 में आये थे। यहीं गांधीजी ने अनाशक्ति योग नामक पुस्तक की रचना की। गांधीजी 12 दिन रहे व अपने समाचार पत्र यंगइडिया में कौसानी को भारत का स्विट्जरलैण्ड कहा।

लक्ष्मी आश्रम- 1948 में सरला बहन ने इसकी स्थापना की थी। सरला बेन का मूल नाम कैथरीन हाइलामाइन था। वे गांधी जी की शिष्या थी।

पंत संग्रहालय- सुमित्रानन्दन पंत को समर्पित उनकी दैनिक जीवन की वस्तुओं एवं कविताओं, पत्रों एवं पुरस्कारों का संग्रह है।

ट्रेलपास दर्रा- दानपुर निवासी मलक सिंह बुड़ा के सहयोग से कमिश्नर ट्रेल द्वारा 1830 में खोजा गया।

बागनाथ -1972 में प्रकाशित होने वाला जिले का प्रथम समाचार पत्र। सम्पादन यशपाल महरा जी ने किया था।

बागेश्वर संवाद
हिमालय के स्वर
सागोत्री
हिमालय बन्धु
हमारा पहाड़

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