पहाड़ का चटखारेदार हरा नमक: पारंपरिक जायके का खजाना
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में नमक का उपयोग केवल भोजन का स्वाद बढ़ाने तक सीमित नहीं है; यह संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। यहां के लोग साधारण नमक को भी खास बना देते हैं और अलग-अलग वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर एक अनोखे स्वाद में बदल देते हैं। इसे ‘पिस्यूं लोण’ या ‘हरा नमक’ कहा जाता है, और यह न केवल खाने में चटखारेदार होता है, बल्कि पाचन को भी दुरुस्त रखता है। इस लेख में हम हरे नमक की विभिन्न किस्मों और इनके बनाने के तरीके के बारे में जानेंगे।
मुर्या का नमक
पहाड़ में मुर्या का पौधा तुलसी की तरह होता है, जिसमें जोरदार खुशबू होती है। इसकी पत्तियों को सादे नमक के साथ सिल-बट्टे में पीसकर तैयार किया गया मुर्या नमक बेहद लाजवाब होता है। इस नमक का स्वाद इतना मजेदार होता है कि इसे खाते ही बस खाते जाने का मन करता है। इसे सलाद, ककड़ी, और खीरे पर डालकर भी खाया जाता है। मुर्या नमक के साथ कोदा (मंडुआ) और गेहूं की रोटी का स्वाद दोगुना हो जाता है। इसे दही, मट्ठा, रैला, या मणझोली में मिलाकर भी इसका स्वाद बढ़ाया जा सकता है।
जैसे पत्ते, वैसा नमक, वैसा ही जायका
हरे नमक की किस्में कई हैं और हर किस्म में अलग ही जायका होता है:
- हरे धनिया का नमक: ताजगी से भरपूर।
- लहसुन का नमक: लहसुन की फलियों और हरे पत्तों का उपयोग।
- अदरक और हरी मिर्च का नमक: मसालेदार और तीखा।
- भुड़की मिर्च का नमक: स्थानीय मिर्च का तीखापन।
- पुदीना का नमक: ठंडक और ताजगी का एहसास।
- जंबू-च्यूरा का नमक: पहाड़ी जड़ी-बूटियों का मिलाजुला स्वाद।
इन सभी को एक साथ पीसकर भी एक अनोखा मिश्रित हरा नमक तैयार किया जा सकता है, जो अपने में अनोखा स्वाद समेटे होता है।
अलसी, राई और जीरे का नमक
हरे नमक के अलावा आप अलसी, राई, और जीरे का नमक भी बना सकते हैं। इनके बीजों को भूनकर नमक के साथ पीसने पर एक अनोखा स्वाद मिलता है, जो पहाड़ी भोजन में विविधता जोड़ता है।
हरा नमक हो तो दाल-सब्जी की भी जरूरत नहीं
पहाड़ी हरा नमक इतना स्वादिष्ट होता है कि इसे खाते समय दाल-सब्जी की कमी महसूस नहीं होती। रोटी और गर्म चाय के साथ इसका स्वाद दोगुना हो जाता है। यह नमक अपने में एक पूरी डिश का एहसास देता है और भोजन को सादगी में भी स्वादिष्ट बना देता है।
सेंधा नमक: सबसे शुद्ध और उत्तम
सेंधा नमक को शुद्ध और उत्तम माना जाता है, हालांकि इसकी कीमत समुद्री नमक से अधिक है। भारत का अधिकांश सेंधा नमक अब पाकिस्तान से आयात किया जाता है, लेकिन पारंपरिक पहाड़ी हरा नमक की सुंदरता इसी में है कि यह घर पर ही उपलब्ध साधारण चीजों से बनता है और हर किसी के दिल में खास जगह बना लेता है।
निष्कर्ष
हरा नमक केवल एक स्वाद नहीं, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। इसमें हर वो गुण और जायका है जो पहाड़ी भोजन को अनोखा बनाता है। यदि आपको मौका मिले तो इस चटखारेदार हरे नमक का स्वाद जरूर लें, यह आपको पहाड़ों की सादगी और संस्कृति का अहसास कराएगा।
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