तेरी नथुलि - teri nathuli

तेरी नथुलि

प्रस्तावना
यह कविता "तेरी नथुलि" उत्तराखंड की संस्कृति और उसकी पहचान को दर्शाती है। नथुलि, जो एक पहाड़ी आभूषण है, न केवल महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है।


कविता: तेरी नथुलि

धन तेरी नथुलि,
धन तेरु मिजाज,
रंग रूप देखि तेरु,
खट्ट खौळेग्यौं आज....

तेरि नथुलि देखि मैकु,
खुद लागिगी आज,
प्यारा उत्तराखंड कू,
बदलिगी मिजाज.....

ढै तोळा नाथुलि तेरि,
नाक मा बिसार,
हेरि हेरि रंगमता,
बैख देख हपार......

जब जब नथुलि तेरि,
नाक मा हल्दी,
मेरी ज्युकड़ी कनुकै बतौँ,
धक् धक् करदी.......

कबरी होन्दि थै नथुलि,
हमारा मुल्क की शान,
जथ्गा बड़ी होन्दि नथुलि,
वथगा बड़ु मान......

वक्त बदली नथुलि हर्ची,
मेरा प्यारा मुलक,
कुबानी की नई नथुलि,
ऐगी सुरक सुरक.......


निष्कर्ष

यह कविता नथुलि के महत्व को रेखांकित करती है, जो सिर्फ एक आभूषण नहीं, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान है। यह हर महिला की सुंदरता को बढ़ाती है और हमारे पहाड़ी समाज की गरिमा को दर्शाती है।

आपके विचार:
क्या आप भी अपने क्षेत्र की किसी विशेष परंपरा या आभूषण के बारे में कुछ साझा करना चाहेंगे? अपनी यादें और अनुभव हमारे साथ साझा करें।

यहाँ भी पढ़े

  1. अपनी ईजा, अपनी धरती: कविता
  2. #उत्तराखंड_माँगे_भू_कानून: तुझे फर्क पड़ता क्यूं नहीं
  3. जन्मबारे बधाई छ - उत्तराखंड की खुशियाँ और संघर्ष
  4. उत्तराखंड का इतिहास: अलग राज्य की मांग और संघर्ष की कहानी
  5. पहाड़ों वाली शायरी | देवभूमि उत्तराखंड की सुंदरता और प्रेम पर शायरी
  6. रंग बिरंगी मन मोन्या - एक पहाड़ी कविता

टिप्पणियाँ