रंग बिरंगी मन मोन्या - एक पहाड़ी कविता - rang birangee man monya - ek pahaadee kavita

रंग बिरंगी मन मोन्या - एक पहाड़ी कविता

रंग बिरंगी मन मोन्या
धन हो माया की सुबह
रंग बिरंगी मन मोन्या
धन हो माया की सुबह

पाणीयो सी रंग माया को मन
जू रंग देखि वो रंग हो
पाणीयो सी रंग माया को मन
जू रंग देखि वो रंग हो
रंग बिरंगी...

रंग बिरंगी मन मोन्या
धन हो माया की सुबह
रूप की अग्याली रूपा
माया की मयाली रूपा
रूप की अग्याली रूपा
माया की मयाली रूपा

मंदिरों मा जगदी द्यु छ
विकी आन्ख्यो मा दिख्दी स्वर्ग
वथ्नी नवान सी ज्यो
रंग बिरंगी मन मोन्या
धन हो माया की सुबह

रंग बिरंगी मन मोड्या
धन हो माया की सुबह
बरबस हवे जांदू मन
रेंडी आखरी वेकि रटन
बरबस हवे जांदू मन
रेंडी आखरी वेकि रटन

अपना लगादन बेरी
सेरी दुनिया भी दुश्मन
अपना लगादन बेरी
सेरी दुनिया भी दुश्मन
बाबरया हवे जांदू मन
माया नि मन्दी भेद भौ

रंग बिरंगी...
रंग बिरंगी मन मोन्या
धन हो माया की सुबह
रंग बिरंगी मन मोन्या
धन हो माया की सुबह

द्वि चित द्वि मन गेल्या
प्रीत का बेरी होंदन
सूद बुद हर्चानी वेकि
जेकी हो सच्ची लगन
अलख जगानी माया की
मनन मा लों राओठ

रंग बिरंगी मन मोन्या
धन हो माया की सुबह
रंग बिरंगी मन मोन्या
धन हो माया की सुबह

रंग बिरंगी मन मोन्या कविता से हमें कई गहरे और महत्वपूर्ण जीवन के पाठ मिलते हैं:

  1. जीवन की रंगीनता और विविधता: कविता जीवन की विभिन्न रंगीनता और विविधता की बात करती है। यह इस बात को दर्शाती है कि जीवन में विभिन्न भावनाएं, अनुभव, और घटनाएं होती हैं जो इसे रंगीन और समृद्ध बनाती हैं।

  2. माया का प्रभाव: "धन हो माया की सुबह" और "माया की मयाली रूपा" जैसे वाक्यांशों से पता चलता है कि यह कविता माया (मोह) के प्रभाव पर प्रकाश डालती है। माया हमें भ्रमित कर सकती है, और इसका प्रभाव इतना गहरा हो सकता है कि हम वास्तविकता से दूर हो जाएं।

  3. आध्यात्मिकता और आंतरिक शांति: कविता में मंदिरों और स्वर्ग की बात भी की गई है, जो आंतरिक शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं। यह इंगित करता है कि सच्ची शांति बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि हमारे भीतर है।

  4. माया का भेद और सच्चाई की खोज: "माया नि मन्दी भेद भौ" इस बात की ओर इशारा करता है कि माया के प्रभाव को समझना और उससे परे सच्चाई को देखना आवश्यक है। जीवन में जो भी भौतिक चीजें हैं, वे सभी माया का रूप हैं, और सच्चाई की खोज ही हमारे जीवन का वास्तविक उद्देश्य होना चाहिए।

  5. आंतरिक संघर्ष और आत्म-साक्षात्कार: कविता में "द्वि चित द्वि मन गेल्या" का उल्लेख आत्म-संघर्ष और आत्म-साक्षात्कार की यात्रा की ओर संकेत करता है। यह बताता है कि जीवन में कई बार हम द्विधा में रहते हैं, और सच्चे मार्ग का चयन करना ही सही निर्णय होता है।

  6. सच्ची लगन और समर्पण: "जेकी हो सच्ची लगन" इस बात पर जोर देता है कि सच्ची लगन और समर्पण के साथ किए गए कार्य ही हमें सच्चे अर्थ में सफल बनाते हैं।

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