गाँव, Village,
"गाँव" शब्द सुनते ही हमारे दिलों-दिमाग में पिछड़ेपन का ख्याल आता है। ख्याल आता है जहाँ समस्याओं का अंबार लगा होगा। पढ़ाई के लिए अच्छे स्कूल नहीं होंगे, ईलाज के लिए बेहतर अस्पताल की व्यवस्था नहीं होगी, सड़कें पक्की नहीं होंगी और न होगी रोजगार की कोई समुचित व्यवस्था।
लेकिन, अगर यह सब सुविधाएं किसी गाँव में उपलब्ध हों तो क्या उसे गाँव कहा जाएगा या फिर शहर का दर्जा देना उचित रहेगा। अक्सर, जब हम किसी गाँव को जरूरत के सभी दृष्टिकोण से पूर्ण लैस देखते हैं तो अनायास ही बोल पड़ते हैं कि देखो "गाँव जैसे लगता ही नहीं, मानो शहर हो"।
ऐसा अक्सर इसलिए होता है कि हमने कभी भी गांवों को उनका वाजिब हक देने के बारे में सोचा ही नहीं; और जब भी उसके हिस्से थोड़ी सी सुविधाएं आई तो लोगों की भौंहें तन गई।
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