चामुंडा देवी मंदिर( Chamunda Devi Temple)
चामुंडा देवी मंदिरचमुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में है। यह पालमपुर से लगभग 10 किमी पश्चिम में बनेर नदी पर है। करीब 400 साल पहले राजा और एक ब्राह्मण पुजारी ने मंदिर को आसानी से सुलभ स्थान पर ले जाने के लिए अनुमति के लिए देवी से प्रार्थना की। देवी ने एक सहमति में पुजारी को अपनी सहमति दे दी और पुजारी को एक निश्चित स्थान में खोदने के लिए निर्देश दिया और कहा एक प्राचीन मूर्ति मिल जाएगी जिसे मंदिर में स्थापित कर देना। राजा ने मूर्ति को लाने के लिए पुरुषों को भेजा, हालांकि वे इसे ढूंढने में तो सक्षम थे लेकिन इसे उठा नहीं सके। एक बार फिर देवी सपने में पुजारी को दिखाई दी और उसने समझाया कि पुरुष पवित्र अवशेष को नहीं उठा सकते क्योंकि वे इसे एक साधारण पत्थर मानते हैं। देवी ने उसे सुबह सुबह उठने, स्नान करने, साफ़ कपड़े पहने और सम्मानजनक तरीके से जगह पर जाने के निर्देश दिए। पुजारी ने वैसा ही किया और वह उस मूर्ति को उठा कर स्थापित किया। यह देख कर सब हैरान थे तब उसने बताया कि यह देवी की ही शक्ति है जो वह मूर्ति स्थापित कर सका। श्री चामुंडा जी की आरती के लिये यहाँ क्लिक करें।
चामुंडा देवी मंदिर स्थिति
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Shakti Peeth Shri Chamunda Devi Temple |
चामुंडा देवी मंदिर धर्मशाला से 15 कि.मी. कि दूरी पर स्थित है। माँ चामुंडा का यह मंदिर लगभग 700 वर्ष पुराना है, जो घने जंगलों और बानेर नदी के पास स्थित है। इस विशाल मंदिर का विशेष धार्मिक महत्त्व है, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है। ये मंदिर हिन्दू देवी चामुंडा, जिनका दूसरा नाम देवी दुर्गा भी है, को समर्पित है।
- वर्णन हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक 'चामुंडा देवी मंदिर' को देवी सती के शक्तिपीठों में गिना जाता है। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी के चरण गिरे थे।
- स्थान पालमपुर, ज़िला काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश
- संबंधित लेख शक्तिपीठ, सती, शिव
- महत्त्व माँ चामुंडा का यह मंदिर लगभग 700 वर्ष पुराना है, जो घने जंगलों और बानेर नदी के पास स्थित है। इस विशाल मंदिर का विशेष धार्मिक महत्त्व है, जो शक्तिपीठों में से एक है।
- मान्यता मान्यता है कि यहाँ पर 'शतचंडी' का पाठ सुनना और सुनाना श्रेष्ठकर है और इसे सुनने और सुनाने वाले का सारा क्लेश दूर हो जाता है।
- अन्य जानकारी यहाँ आने वाले भक्तों को मंदिर परिसर में ही एक छोटा-सा तालाब मिलेगा, जिसके पानी को बहुत ही शुद्ध माना जाता है। साथ ही मंदिर परिसर में ही एक खोखली जगह है, जो देखने पर शिवलिंग जैसी प्रतीत होती है।
चामुंडा देवी मंदिर मान्यता
माना जाता है कि इस स्थान पर माता सती का चरण गिरा था और माता यहां शक्तिपीठ रूप में स्थापित हो गईं। चामुंडा देवी मंदिर भगवान शिव और शक्ति का स्थान है। भक्तों में मान्यता है कि यहां पर 'शतचंडी' का पाठ सुनना और सुनाना श्रेष्ठकर है और इसे सुनने और सुनाने वाले का सारा क्लेश दूर हो जाता है।
चामुंडा देवी मंदिर मंदिर का वातावरण
इस मंदिर का वातावरण बड़ा ही शांत है, जिस कारण यहां आने वाला व्यक्ति असीम शांति की अनुभूती करता है। यहां पर प्रायः बहुत सारे श्रद्धालुओं को योग और समाधी में तल्लीन देखा जा सकता है। यहां घूमने आने वाले पर्यटकों को मंदिर परिसर में ही एक छोटा-सा तालाब मिलेगा, जिसके पानी को बहुत ही शुद्ध माना जाता है। साथ ही मंदिर परिसर में ही एक खोखली जगह है, जो देखने पर शिवलिंग जैसी प्रतीत होती है। यहां आने वाले आगंतुक मंदिर परिसर में ही कई देवी-देवताओं के चित्रों को भी देख सकते हैं।
चामुंडा देवी मंदिर अन्य आकर्षण
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Shakti Peeth Shri Chamunda Devi Temple |
चामुंडा देवी मंदिर के पीछे की ओर ही आयुर्वेदिक चिकित्सालय, पुस्तकालय और संस्कृत कॉलेज है। चिकित्सालय के कर्मचारियों द्वारा आये हुए श्रद्धालुओं को चिकित्सा संबंधि सामग्री मुहैया कराई जाती है। यहां स्थित पुस्तकालय में पौराणिक पुस्तकों के अतिरिक्त ज्योतिषाचार्य, वेद, पुराण, संस्कृति से संबंधित पुस्तकें विक्रय हेतु उपलब्ध हैं। यह पुस्तकें उचित मूल्य पर क्रय की जा सकती हैं। यहां पर स्थित सांस्कृतिक कॉलेज को मंदिर की संस्था द्वारा चलाया जाता है। यहां वेद, पुराणो कि मुफ़्त कक्षा चलाई जाती है।
चामुंडा देवी मंदिर एक प्राचीन मंदिर और हिमाचल प्रदेश राज्य के चंबा जिले में स्थित एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। चामुंडा देवी मंदिर का निर्माण वर्ष 1762 में उम्मेद सिंह ने करवाया था। पाटीदार और लाहला के जंगल में बनेर नदी के तट पर स्थित यह मंदिर पूरी तरह से लकड़ी से बना है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जिन्हें युद्ध की देवी के रूप में जाना जाता है। पहले इस जगह पर केवल पत्थर के रास्ते काटे गए थे, लेकिन अब इस मंदिर के दर्शन के लिए आपको 400 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। वैकल्पिक रूप से, आप 3 किलोमीटर लंबी कंक्रीट सड़क के माध्यम से आसानी से चंबा पहुंच सकते हैं।
चामुंडा देवी मंदिर लगभग सात सौ साल पुराना है, जिसके पीछे एक गुफा जैसी संरचना है जिसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। चामुंडा देवी मंदिर को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें भगवान शिव और शक्ति का निवास है। भगवान हनुमान और भैरव इस मंदिर के सामने के द्वार की रक्षा करते हैं और उन्हें देवी का रक्षक माना जाता है।
चामुंडा देवी मंदिर का इतिहास

चामुंडा देवी मंदिर के इतिहास की बात करें तो इस मंदिर के इतिहास के बारे में एक कहानी भी बताई जाती है। 400 साल पहले जब राजा और पुजारी ने मंदिर को किसी उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित करने की अनुमति मांगी, तो देवी ने पुजारी को सपने में दर्शन दिए और एक निश्चित स्थान पर खुदाई करने का आदेश दिया, जिससे मंदिर को स्थानांतरित करने की अनुमति मिल गई। जब उस स्थान की खुदाई की गई तो वहां चामुंडा देवी की एक मूर्ति मिली, जिसके बाद उस मूर्ति को उसी स्थान पर स्थापित कर उसकी पूजा की जाने लगी। जब राजा ने अपनी प्रजा से मूर्ति को बाहर निकालने को कहा तो लाख कोशिश करने के बाद भी वे मूर्ति को हिला नहीं सके। इसके बाद एक बार पुजारी को सपने में देवी दिखाई दीं तो उन्होंने कहा कि वे सभी लोग उनकी मूर्ति को साधारण समझकर उठाने की कोशिश कर रहे हैं। देवी ने पुजारी को सुबह स्नान करने और पवित्र वस्त्र पहनकर मूर्ति को सम्मानजनक तरीके से बाहर लाने के लिए कहा, जो काम सभी लोग मिलकर नहीं कर सकते, वह काम एक अकेला आदमी आसानी से कर सकता है। पुजारी ने सभी लोगों को यह बताया कि यह देवी मां की शक्ति थी कि वे मूर्ति को हिला भी नहीं सके।
चामुंडा देवी मंदिर की कहानी – Chamunda Devi Mandir
हजारों साल पहले धरती पर शुम्भ और निशुम्भ नामक दो दैत्यो ने राज कर लिया था। उन्होंने धरती पर इतने अत्याचार किये कि इससे परेशान होकर देवताओं व मनुष्यो ने शक्तिशाली देवी दुर्गा की आराधना की तो देवी दुर्गा ने कहा की वो जरुर उनकी इन दैत्यों से रक्षा करेंगी। इसके बाद दुर्गा जी ने कौशिकी के नाम से अवतार लिया इसके बाद शुम्भ और निशुम्भ के दूतो ने माता कौशिकी को देख लिया। दोनों ने शुम्भ और निशुम्भ से कहा कि आप तो तीनों लोगों के राजा है, आपके पास सब कुछ है लेकिन आपके पास एक सुंदर रानी भी होना चाहिए जो सारे संसार में सबसे सुंदर है। दूतों की इन बातों को सुनकर शुम्भ और निशुम्भ ने अपना एक दूत माता कौशिकी के पास भेजा और कहा कि कौशिकी से कहना कि शुम्भ और निशुम्भ तीनों लोको के राजा हैं और वो तुम्हे रानी बनाना चाहते हैं।
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Shakti Peeth Shri Chamunda Devi Temple |
शुम्भ और निशुम्भ के कहने पर दूत ने ऐसा ही किया। कौशिकी ने दूत की बात सुनकर यह कहा कि में जानती हूँ कि वो दोनों बहुत शक्तिशाली हैं, लेकिन में प्रण ले चुकीं हूँ कि जो मुझे युद्ध में हरा देगा मैं उसी से विवाह करुँगी। जब यह बात दूत ने शुम्भ और निशुम्भ को जाकर बताई तो उन्होंने दो दूत चण्ड और मुण्ड को देवी के पास भेजा और कहा कि उसके केश पकड़ कर हमारे पास लाओ। जब चण्ड और मुण्ड ने वहां जाकर देवी कौशिकी से साथ चलने को कहा तो उन्होंने क्रोधित होकर अपना काली रूप धारण कर लिया और आसुरो को मार दिया। इन दोनों राक्षसों के सर काटकर देवी चामुंडा(काली) कोशिकी के पास लेकर आ गई जिससे खुश होकर देवी कोशिकी ने कहा कि तुमने इन दो राक्षसों को मारा है अब तुम्हारी प्रसिद्धी चामुंडा के नाम से पूरे संसार में होगी।
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चामुंडा देवी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Chamunda Devi Temple
अगर आप चामुंडा देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए जाने का प्लान बना रहे हैं तो आप यहां जाने का सबसे अच्छा समय मार्च और अप्रैल के महीनों का होता है। यह नवरात्री का समय होता है जिसकी वजह से मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ आती है। इन महीनों में मौसम बहुत खुशनुमा होता है और ठंड भी बहुत ज्यादा नहीं पड़ती।
चामुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश में स्थित चंबा में स्थित है, जहां पर मुख्य रूप से उत्तर भारतीय व्यंजन ज्यादा लोकप्रिय है। हालाँकि, आप यहाँ पर कुछ स्थानीय हिमाचल के व्यंजन का स्वाद भी चख सकते हैं।
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चामुंडा देवी मंदिर कैसे पहुंचे – How To Reach Chamunda Devi Temple
चामुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश का एक बहुत ही लोकप्रिय मंदिर है, जिसकी यात्रा आप पहाडी सौन्दर्य का मजा लेते हुए कर सकते हैं। यहाँ की हरियाली, आकर्षक झरने पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अगर आप इस मंदिर की यात्रा के लिए जाना चाहते हैं तो आप यहाँ सड़क मार्ग, वायु मार्ग और रेल मार्ग की सहायता की पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग से चामुंडा देवी मंदिर कैसे पहुंचे –
जो यात्री सड़क मार्ग से चामुंडा देवी मंदिर जाना चाहते हैं वो यहां चलने वाली हिमाचल प्रदेश टूरिज्म विभाग की बसों का लाभ उठा सकते हैं। राज्य में चलने वाली बसें मंदिर से आपको कुछ ही दूरी पर उतारेगी। चामुंडा देवी मंदिर धर्मशाला से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप अपने निजी वाहन, कैब या टेक्सी की मदद से मंदिर पहुँच सकते हैं।
रेलगाड़ी से चामुंडा देवी मंदिर कैसे पहुँचे
चामुंडा देवी मंदिर का सबसे निकटतम रेल स्टेशन पठानकोट है। जो भारत के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। पठान कोट से हिमाचल प्रदेश के लिए चलने वाली छोटी रेल गाड़ी से आप सुंदर पहाड़ियों और आकर्षक रास्तों का लुफ्त उठाते हुए मराण्डा तक पहुंच सकते हैं जो कि पालमपुर के बहुत पास स्थित है। मराण्डा से चामुंडा देवी मंदिर की दूरी 30 किलोमीटर है।
चामुंडा देवी मंदिर का सबसे निकटतम रेल स्टेशन पठानकोट है। जो भारत के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। पठान कोट से हिमाचल प्रदेश के लिए चलने वाली छोटी रेल गाड़ी से आप सुंदर पहाड़ियों और आकर्षक रास्तों का लुफ्त उठाते हुए मराण्डा तक पहुंच सकते हैं जो कि पालमपुर के बहुत पास स्थित है। मराण्डा से चामुंडा देवी मंदिर की दूरी 30 किलोमीटर है।
himachal pradesh mata mandir
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- कुणाल पथरी /Kunal Pathri Mata Mandir
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- चामुंडा देवी मंदिर( Chamunda Devi Temple)
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