उत्तराखंड की प्रसिद्ध महिलाएं बछेन्द्रीपाल Famous Women of Uttarakhand Bachendripal

बछेन्द्रीपाल

जन्म 24 मई, 1954 भारत की प्रथम महिला एवरेस्ट  विजेता। 1985 में पद्मश्री से सम्मानित। बछेंद्रीपाल, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सन 1984 में इन्होंने माउंट एवरेस्ट विजय किया था। बछेंद्रीपाल एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की पाँचवीं महिला पर्वतारोही हैं।

उत्तराखंड की प्रसिद्ध महिलाएं  बछेन्द्रीपाल Famous Women of Uttarakhand Bachendripal 

Famous Women of Uttarakhand Bachendripal 

माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल की जीवनी

भारत की बछेंद्री पाल संसार की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला हैं. बछेंद्री पाल संसार के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर ‘माउंट एवरेस्ट’ की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही हैं. इन्होंने यह कारनामा 23 मई, 1984 के दिन 1 बजकर 7 मिनट पर किया था.
भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद इन्होंने इस शिखर पर चढ़ाई करने वाली महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया. इसी प्रकार वर्ष 1994 में बछेंद्री ने महिलाओं के साथ गंगा नदी में हरिद्वार से कोलकाता तक लगभग 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व किया. हिमालय के गलियारे में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए कराकोरम पर्वत-श्रृंखला पर समाप्त होने वाला लगभग 4,000 किमी लंबा अभियान भी इ­नके द्वारा इस दुर्गम क्षेत्र में ‘प्रथम महिला अभियान’ था.

प्रारम्भिक जीवन

बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई, 1954 को वर्तमान उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) राज्य के उत्तरकाशी के पहाड़ों की गोद में हुआ था. उत्तराखंड राज्य के एक ग्रामीण परिवार में जन्मी बछेंद्री पाल ने स्नातक की शिक्षा पूर्ण करने के बाद शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने के लिए बी.एड. का प्रशिक्षण प्राप्त किया. इन्हें स्कूल में शिक्षिका बनने के बजाय पेशेवर पर्वतारोही का पेशा अपनाने पर परिवार और रिश्तेदारों के तीव्र विरोध का सामना भी करना पड़ा था.

मेधावी और प्रतिभाशाली होने के बावजूद इनको कोई अच्छा रोज़गार नहीं मिला. जो मिला वह भी  अस्थायी, जूनियर स्तर का था और वेतन भी बहुत कम था. इससे ये काफी निराशा हुईं और इन्होंने अस्थाई नौकरी करने के बजाय ‘नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग’ का कोर्स करने के लिये आवेदन कर दिया. यहां से इनके के जीवन को नई दिशा मिली. वर्ष 1982 में एडवांस कैम्प के दौरान इन्होंने गंगोत्री (6,672 मीटर ऊंचाई) और रूदुगैरा (5,819 मीटर ऊंचाई) की चढ़ाई को पूरा किया. इस कैम्प में बछेंद्री को ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह ने बतौर इंस्ट्रक्टर पहली नौकरी दी थी.
बछेन्द्री पाल की जीवनी एक नजर में – Bachendri Pal Biography in Hindi
नाम (Name)              बछेन्द्री पाल
जन्म (Birthday)         24 मई, 1954, उत्तरकाशी, उत्तराखंड
शैक्षणिक योग्यता (Education) बी.एड

पर्वतारोहण का पहला मौक़ा

बछेंद्री के लिए पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में आया, जब उन्होंने अपने स्कूल की सहपाठियों के साथ 400 मीटर की चढ़ाई की. यह चढ़ाई इन्होंने किसी योजनाबद्ध तरीके से नहीं की थी. दरअसल वे स्कूल पिकनिक पर गई हुए थीं और उसी दौरान पहाड़ पर चढ़ती गईं और शिखर तक पहुँचते-पहुँचते शाम हो गई. जब लौटने का खयाल आया तो पता चला की उतरना सम्भव नहीं है. ज़ाहिर है, रातभर ठहरने के लिये उन के पास पूरा इंतज़ाम नहीं था. बगैर भोजन और टैंट के इन्होंने खुले आसमान के नीचे रात गुजार दी.

एवरेस्ट अभियान

वर्ष 1984 में भारत का ‘चौथा एवरेस्ट अभियान’ शुरू हुआ. दुनिया में अब तक सिर्फ 4 महिलाएं ही  एवरेस्ट की चढ़ाई में कामयाब हो पाई थीं. इस अभियान में जो टीम बनाई गई उसमें बछेंद्री के साथ  7 महिलाओं और 11 पुरुषों को भी शामिल किया गया था. इस टीम ने 23 मई, 1984 के दिन 1 बजकर 7 मिनट पर 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित ‘सागरमाथा’ (एवरेस्ट) पर भारत का झंडा लहराया. इस के साथ ही ये एवरेस्ट पर सफलता पूर्वक क़दम रखने वाली दुनिया की 5वीं महिला बनीं.

पर्वतारोहण के क्षेत्र में इनका योगदान

बछेंद्री पाल ने वर्ष 1984 के एवरेस्ट पर्वतारोहण अभियान में पुरुष पर्वतारोहियों के साथ शामिल होकर एवं सफलता पूर्वक संसार की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ पर पहुंचकर भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराया और एवरेस्ट पर विजय पाई. उनकी इस सफलता ने आगे भारत की अन्य महिलाओं को भी पर्वतारोहण जैसे साहसिक अभियान में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया. ये भारत की पहली महिला एवरेस्ट विजेता हैं तथा देश-विदेश की महिला पर्वतारोहियों के लिए प्रेरणा की श्रोत भी हैं.

बछेंद्री पाल वर्तमान में ‘टाटा स्टील’ इस्पात कंपनी में कार्यरत हैं, जहाँ ये चुने हुए लोगों को पर्वतारोहण के साथ अन्य रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही हैं.

आपदा राहत एवं समाज–सेवा के क्षेत्र में योगदान  

‘माउंट एवरेस्ट’ पर फ़तह हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल की शख्सियत का एक दूसरा पहलू भी हमें जून, 2013 में उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा के दौरान देखने को मिला. जब इन्होंने वहां के लोगों को बचाने तथा राहत पहुंचाने में सशक्त भूमिका निभाई. इस आपदा में 4500 से ज्यादा लोग मारे गए, सड़कें ध्वस्त हो गईं, गांव के गांव मुख्य धारा से कट गए थे. इस संकट की घडी में 59 वर्षीय बछेंद्री पाल ने अपनी टीम के साथ, ट्रैकिंग के अपने हुनर और पहाड़ी इलाकों की गहन जानकारी का उपयोग करते हुए लोगों की जान बचाने और मुख्य धारा से कट चुके दूर-दराज के इलाकों तक राहत सामग्री पहुंचाने में अपना अमूल्य योगदान दिया.
बछेंद्री पाल ने इससे पहले भी कई आपदाओं में राहत और बचाव कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है. वर्ष 2000 में पहली बार राहत कार्य के लिए ये गुजरात गई थी. जहां आए भयंकर भूकंप से पीड़ित लोगों को अपने सक्षम वॉलंटियर पर्वतारोहियों की एक टीम की मदद से लगभग डेढ़ महीने तक अपनी सेवाएं दी और ज़रूरतमंद लोगों तक राहत पहुंचाई.
Famous Women of Uttarakhand Bachendripal 
वर्ष 2006 में उड़ीसा में आए भयंकर चक्रवात ने बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान पहुचाया था. वहां पर इन्होंने अपनी टीम के साथ सेवाएं दी और ज़रूरतमंद लोगों तक राहत पहुंचाई, लोगों के दाह संस्कार में भी मदद किया.

पुरस्कार एवं सम्मान  

  1. भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन द्वारा पर्वतारोहण में उत्कृष्टता के लिए वर्ष 1984 में स्वर्ण पदक प्रदान किया गया.
  2. तत्कालीन केंद्र सरकार ने इन्हें वर्ष 1984 में ही अपने प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया.
  3. उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा इन्हें वर्ष 1985 में स्वर्ण पदक से नवाजा गया.
  4. भारत सरकार ने इन्हें वर्ष 1986 में अपने प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया.
  5. इन्हें वर्ष 1986 में ‘कोलकाता लेडीज स्टडी ग्रुप अवार्ड’ से भी नवाजा गया.
  6. इन्हें वर्ष 1990 में ‘गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी सूचीबद्ध किया गया.
  7. भारत सरकार के द्वारा इन्हें वर्ष 1994 में ‘नेशनल एडवेंचर अवार्ड’ प्रदान किया गया.
  8. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 1995 में इनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘यश भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
  9. इन्हें वर्ष 1997 में हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय, गढ़वाल द्वारा पी-एचडी की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया.
  10. मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने वर्ष 2013-14 में इन्हें पहला ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई’ राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया.
  11. पद्मश्री(1984) से सम्मानित।
  12. अर्जुन पुरस्कार (1986) भारत सरकार द्वारा।
  13. कोलकाता लेडीज स्टडी ग्रुप अवार्ड (1986)।
  14. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (1990) में सूचीबद्ध।
  15. नेशनल एडवेंचर अवार्ड भारत सरकार के द्वारा (1994)।
  16. हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से पी एचडी की मानद उपाधि (1997)।

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