पंचम कोष्ठ का अध्ये शतक part 11(Fifth Cell Chapter Century)

पंचम कोष्ठ का अध्ये शतक

नानाविध सुमन ले, मन में अति हर्षाय ।
पद्मावती पूजा करूँ, पुष्पांजलि चढ़ाय ।। ।।
पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।
चिन्तामणि वजहस्ता का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। २ ।।
ॐ आं को हीं कजहस्तायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वरदा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। ३ ।।
ॐ आं को हीं बरदायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वज़शीला का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार । ।४।।۱
ॐ आं को हीं करतीलायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वरूथिनी का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।।५ ।।
ॐ आं को हीं वरूथिन्यै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि व्रजा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। ६ ।।
ॐ आं को हीं व्रजायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वज्रायुधा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार । ।७ ।।
ॐ आं को हीं कनायुपायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि बाणी का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। ८ ।।
ॐ आं को हीं वाप्यै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि विजया का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। ६।।
ॐ आं को ही विजयायै नमः, अयं ।
चिन्तामणि विश्वव्यापिनी का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार । ।१०।।
ॐ आं को ही विश्वब्यापिन्यै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वसुदा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।| ११ ।।
ॐ आं को हीं वसुदायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि बलदा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १२ ।।
ॐ आं को हीं बलदायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वीरा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १३ ।।
ॐ आं को हीं बीरायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि विषया का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १४ ।।
ॐ आं को ही विषयायै नमः, अध्ये ।
चिन्तामणि विषमर्दिनी का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १५ ।।
ॐ आं को ही विषमर्दिन्यै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वसुधरा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पाचे सुख अपार ।। १६ ।।
ॐ आं को हीं वसुधरायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वरा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १७ ।।
ॐ आं को ह्रीं वरायै नमः, अर्ध ।
चिन्तामणि विश्वा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पाबे सुख अपार ।। १८ ।।
ॐ आं को हीं विश्वायै नमः, अर्ध्य ।
चिन्तामणि वर्णिनी का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जये इस नाम को पावे सुख अपार ।। १६ ।।
ॐ आं को हीं वर्णिन्यै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि विश्वव्यापिनी का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १०।।
ॐ आं को ही विश्वब्यापिन्यै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वसुदा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।| ११ ।।
ॐ आं को हीं वसुदायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि बलदा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १२ ।।
ॐ आं को हीं बलदायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वीरा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १३ ।।
ॐ आं को हीं बीरायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि विषया का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १४ ।।
ॐ आं को ही विषयायै नमः, अध्ये ।
चिन्तामणि विषमर्दिनी का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १५ ।।
ॐ आं को ही विषमर्दिन्यै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वसुधरा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पाचे सुख अपार ।। १६ ।।
ॐ आं को हीं वसुधरायै नमः, अर्घ्य ।
चिन्तामणि वरा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पावे सुख अपार ।। १७ ।।
ॐ आं को ह्रीं वरायै नमः, अर्ध ।
चिन्तामणि विश्वा का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जपे इस नाम को पाबे सुख अपार ।। १८ ।।
ॐ आं को हीं विश्वायै नमः, अर्ध्य ।
चिन्तामणि वर्णिनी का, गाऊँ गुण अपार ।
जो जये इस नाम को पावे सुख अपार ।। १६ ।।
ॐ आं को हीं वर्णिन्यै नमः, अर्घ्य ।
वंशभूषणा देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ३० ।।
ॐ आं कों हीं वंशभूषणायै नमः, अर्घ्य ।
वरारोहा देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते । ।३१ ।।
ॐ आं को हीं वरारोहायै नमः, अर्घ्य ।
विशोका देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ३२ ।।
ॐ आं को ही विशोकायै नमः, अर्घ्य ।
वेदरूपा देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गार्ने नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ३३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं वेदरूपायै नमः, अर्घ्य ।
विभूषणा देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ३४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं विभूषणायै नमः, अर्घ्य ।
विशाला देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ३५ ।।
ॐ आं कों हीं विश्शालायै नमः, अर्घ्य ।
वारुणी देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ३६ ।।
ॐ आं कों ही वारुष्यै नमः, अर्घ्य ।
वल्या देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गायें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ३७ ।।
ॐ आं को हीं वल्यायै नमः, अर्घ्य ।
बालिका देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ३८ ।।
ॐ आं कों ही बालिकायै नमः, अर्घ्य ।
बालकप्रिया देवी अप्ति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ३६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं बालकप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
वर्तिनी देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ४० ।।
ॐ आं कों ह्रीं वर्तिन्यै नमः, अर्घ्य ।
विषघ्नी देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ४१ ||
ॐ आं कों ह्रीं विषन्यै नमः, अर्घ्य ।
बाला देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ४२ ।।
ॐ आं को हीं बालायै नमः, अर्घ्य ।
विविक्ता देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ४३ ।।
ॐ आं कों हीं विक्क्तिायै नमः, अर्घ्य ।
वनवासिनी देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते । ।४४ ।।
ॐ आं को हीं वनवासिन्यै नमः, अर्घ्य ।
वंधा देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ४५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं वंद्यायै नमः, अर्घ्य ।
विधिसुता देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ४६ ।।
ॐ आं कों हीं विधिद्युतायै नमः, अर्घ्य ।
वेला देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ४७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं वेलायै नमः, अर्घ्य ।
विश्वयोनि देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गार्वे मर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ४८ ।।
ॐ आं कों हीं विश्वयोन्यै नमः, अर्घ्य ।
बुधप्रिया देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ४६ ।।
ॐ आं कों हीं बुधप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
बलदा देवी अति प्यारी, सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।। ५० ।।
ॐ आं को हीं बलदायै नमः, अर्घ्य ।
वीरमाता देवी अति प्यारी सब मिल गुण गावें नर-नारी ।
हम सब तेरी भक्ति करते, पल में संकट सारे हरते ।| ५१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं वीरमात्रे नमः, अर्घ्य ।
वीरसू को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ५२ ।।
ॐ आं को हीं वीरस्यै नमः, अर्घ्य ।
वीरनन्दिनी को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ५३ ।।
ॐ जां कों ह्रीं वीरनन्दिन्यै नमः, अर्घ्य ।
वरायुधधरा को ध्यायकर, पूजे मन वद्य लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ५४ ।।
ॐ आं कों हीं बरायुधधरायै नमः, अष्य ।
वेषा को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ५५ ।।
ॐ आं कों हीं वेषायै नमः, अध्यं ।
वारिदा को ध्यायकर, पूजे मन वब लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ५६ ।।
ॐ आं को हीं वारिदायै नमः, अर्घ्य ।
बलशालिनी को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ५७ ।।
ॐ आं कों हीं बलशालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
बुद्धमाता को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ५८ ।।
ॐ आं को हीं बुद्धमात्रे नमः, अर्थ ।
वैद्यमाता को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ५६ ।।
ॐ आं कों हीं वैद्यमात्रे नमः, अर्घ्य ।
बंधुरा को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ६० ।।
ॐ आं को हीं बंपुरायै नमः, अर्घ्य ।
बन्धुरूपिणी को ध्यायकर, पूजे मन वय लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ६१।।
ॐ आं कों हीं बन्धुरूपिण्यै नमः, अर्घ्य ।
विद्यामती को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ६२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं विद्यामत्यै नमः, अर्घ्य ।
विशालाक्षी को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ६३ ।।
ॐ आं कों हीं विशालाक्ष्यै नमः, अर्घ्य ।
वेदमाता को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ६४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं वेदमात्रे नमः, अर्घ्य ।
विभास्वरी को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ६५ ।।
ॐ आं कों हीं विभास्वयै नमः, अर्घ्य ।
वात्याली को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ६६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं बात्याल्यै नमः, अर्घ्य ।
विषमा को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ६७ ।।
ॐ आं को हीं विषमायै नमः, अर्घ्य ।
वीशा को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ६८ ।।
ॐ आं को हीं बीशायै नमः, अर्घ्य ।
बेदवेदांगधारिणी को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ६६ ।।
ॐ आं को हीं वेदवेदांगधारिण्यै नमः, अर्घ्य ।
वेदमार्गरता को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ७० ।।
ॐ आं को ह्रीं वेदमार्गरतायै नमः, अर्घ्य ।
ॐ आं कों ह्रीं व्यक्तायै नमः, अर्घ्य ।
व्यक्ता को ध्यायकर, पूजे मन वध लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ७१।।
विलोमा को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ७२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं विलोमायै नमः, अर्घ्य ।
वादशालिनी को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ७३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं बादशालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
विश्वमाता को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ७४ ।।
ॐ आं कों हीं विश्वमात्रे नमः, अर्घ्य ।
विपंका को ध्यायकर, पूजे मन वच लाय ।
मनवांछित ही फल मिले, दुःख दूर हो जाय ।। ७५ ।।
ॐ आं कों हीं विपंकायै नमः, अर्घ्य ।
जय वंशजा धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ७६ ।।
ॐ सा को हीं वंशजायै नमः, अर्घ्य ।
जय विश्वदीपिका धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजें ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ७७ ।।
ॐ आं कों ही विश्वदीपिकायै नमः, अर्घ्य ।
जम वसंतरूपिणी धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ७८ ।।
ॐ आं को ह्रीं वसंतरूपिण्यै नमः, अर्घ्य ।
जय वर्षा धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ७६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं वर्षायै नमः, अर्घ्य ।
जय विमला धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ८० ।।
ॐ आं कों ह्रीं विमलायै नमः, अर्घ्य ।
जय विविधायुधा धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ८१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं विविधायुधायै नमः, अर्घ्य ।
जय विज्ञानिनी धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ८२ ।।
ॐ आं कों हीं विज्ञानिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जय विपाशा धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजें ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ८३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं विपाशायै नमः, अर्घ्य ।
जय विपंची धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी । ।८४ ।।
ॐ आं को ह्रीं विपंच्यै नमः, अर्घ्य ।
जय बंधमोक्षिणी धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ८५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं बंधमोक्षिण्यै नमः, अर्घ्य ।
जय विश्वरूपवती धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ८६ ।।
ॐ आं कों हीं विश्वरूपवत्यै नमः, अर्घ्य ।
जय वृद्धायै धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ घ्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ८७ ।।
ॐ आं को हीं वृद्धायै नमः, अध्यं ।
जय विनीता धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ८६ ।।
ॐ आं को ही विनीतायै नमः, अर्घ्य ।
जय विशिखाविभा धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पांऊँ सुखकारी ।। ८६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं विशिखाविभायै नमः, अर्घ्य ।
जय व्यालिनी धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ६० ।।
ॐ आं कों ह्रीं व्यालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जय व्याललीला धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। 9 ||
 ॐ आं को ही व्याललीलायै नमः, अर्घ्य ।
जय व्याप्तव्याधिविनाशिनी धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ६२ ।।
ॐ आं कों हीं व्याप्तव्याधिविनाशिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जय विमाहा धर्म कमाये, सुखको पाये मनहारी ।
मैं पूजें ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ६३।।
ॐ आं कों ह्रीं विमोहायै नमः, अर्घ्य ।
जय बाणसन्दोहा धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ६४ ।।
ॐ आं को हीं बाणसन्दोहायै नमः, अर्घ्य ।
जय वर्द्धिनी धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूं ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ६५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं वर्द्धिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जय वर्द्धमानकाया धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ६६ ।।
ॐ आं कों हीं बर्द्धमानकामायै नमः, अर्घ्य ।
जय व्यालेश्वरप्रिया धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजें प्याऊँ ॐ पुण्य कमाऊँ, फल को फल को पाऊँ सुखकारी ।। ६७ ।।
ॐ आं को हीं ब्यालेश्वरप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
जय प्राणप्रेयसी धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ६८ ।।
ॐ आं कों ही प्राणप्रेयस्यै नमः, अर्घ्य ।
जय वसुदायिनी धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। ६६ ।।
ॐ आं को ह्रीं वसुदायिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जय विश्वेश्वरी धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजें ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।। १०० ।।
ॐ आं कों ह्रीं विश्वेश्वर्यै नमः, अर्घ्य ।
जय व्यन्तरेन्दीवरदात्री धर्म कमाये, सुख को पाये मनहारी ।
मैं पूजूँ ध्याऊँ पुण्य कमाऊँ, फल को पाऊँ सुखकारी ।| १०१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं व्यन्तरेन्दीवरदात्र्यै नमः, अर्घ्य ।
मंत्र जाप्य १०८ लौंगो से
ॐ ह्रीं श्री पद्मावतीदेव्यै नमः। मम इच्छितफलप्राप्तिं कुरु कुरु स्वाहा ।
पूर्ण अर्ध्य ।
जल चंदन अक्षतादि लेकर आया हूँ माँ तेरे पास ।
हाथ जोड़कर वंदन कर में अर्ध्य चढ़ाऊँ तेरे पास ।।
ॐ आं कों ह्रीं वजहस्तादि व्यन्तरेन्दीवरदात्र्यन्तशतनामयारिष्ये अर्घ्य समर्पयामि, स्वाहा ।
।। शांतिधारा, पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।। 

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