हाटकोटी मंदिर हाटेश्वरी माता,मूर्ति, इतिहास, बर्तन की कहानी, घड़ा की कहानी(Hatkoti Temple Hateshwari Mata, statue, history, story of the pot, story of the pot)

हाटकोटी मंदिर  हाटेश्वरी माता,मूर्ति,  इतिहास,  बर्तन की कहानी, घड़ा की कहानी(Hatkoti Temple Hateshwari Mata, statue, history, story of the pot, story of the pot)

हाटकोटी मंदिर मंदिर विवरण

हाटेश्वरी माता मंदिर देवी हाटेश्वरी को समर्पित है, जो देवी दुर्गा का अवतार हैं, जिन्हें शक्ति और सुरक्षा की देवी के रूप में जाना जाता है। मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक हिमाचली और इंडो-आर्यन शैलियों का एक उत्कृष्ट मिश्रण है, जो जटिल लकड़ी की नक्काशी और पत्थर की मूर्तियों को प्रदर्शित करती है। राजसी शिवालिक पर्वत श्रृंखला की पृष्ठभूमि में स्थित यह मंदिर शांति और आध्यात्मिक आकर्षण की आभा प्रदान करता है।

मुख्य गर्भगृह में विभिन्न आभूषणों से सुसज्जित देवी हटेश्वरी की एक भव्य मूर्ति है, जो स्थानीय कारीगरों की कलात्मक प्रतिभा को दर्शाती है। मंदिर परिसर के चारों ओर सुंदर बगीचे और पत्थर के रास्ते हैं जो भक्तों और तीर्थयात्रियों को शांति और ध्यान की यात्रा पर ले जाते हैं।

हाटकोटी मंदिर
  • हिमाचल प्रदेश में शिमला से 130 किलोमीटर और रोहड़ू से 14 किलोमीटर दूर हाटेश्वरी माता का मंदिर है
  •  इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में किया गया था
  • यह मंदिर पाषाण शैली में बना है. इस मंदिर में 1.2 मीटर ऊंची हाटेश्वरी माता की मूर्ति है.

हाटकोटी मंदिर में तांबे के बड़े बर्तन की कहानी-

हाटेश्वरी माता के गर्भगृह के इंट्री गेट के पास एक विशाल तांबे का बर्तन है, जिसे जंजीर से बांधा गया है. इसको लेकर एक कहानी फेमस है. बताया जाता है कि एक पुजारी जब मंदिर परिसर में सो रहा था तो गड़गड़ाहट की आवाज से उनकी नींद खुल गई. बाहर मूसलाधार बारिश हो रही ती. जब वो बाहर निकला और देखा तो नदी में दो बड़े तांबे के बर्तन बह रहे थे. पुजारी ने बर्तनों को निकाला और उसे देवी को अर्पित कर दिया. बताया जाता है कि जब अगली बार बारिश हुई तो एक बर्तन नदी में बह गया. इसके बाद दूसरे बर्तन को जंजीर से बांध दिया गया. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि अगर फसल बोते समय वो खोए बर्तन की तलाश करते हैं तो फसल अच्छी होती है.

 हाटेश्वरी माता की मूर्ति-

हाटकोटी मंदिर  हाटेश्वरी माता की मूर्ति
मंदिर के गर्भगृह में हाटेश्वरी माता की मूर्ति है, जो महिषासुर का वध कर रही हैं. मूर्ति की ऊंचाई 1.2 मीटर है. ये मूर्ति 7वीं शताब्दी की बनी हुई है. मूर्ति के 8 हाथ हैं. माता के बाएं हाथ में महिषासुर का सिर है. बताया जाता है कि माता का दाहिना पैर भूमिगत है. माता के एक हाथ में चक्र और बाएं हाथों में से एक में रक्तबीज है. गर्भगृह की मूर्ति के दोनों तरफ 7वीं और 8वीं शताब्दी के अघोषित अभिलेख हैं. सिंहासन के पीछे आर्च पर नवदुर्गा हैं, जिसके नीचे वीणाधारी शिव और इंद्र की अगुवाई में दूसरे भगवान हैं. दोनों तरफ हयग्रीव घोड़ा और हाथी ऐरावत हैं. इसके अलावा गर्भगृह में देवी के बगल में परशुराम का एक तांबे का कलश रखा गया है.


मंदिर में कई और मूर्तियां-

सिंहासन के बाईं और दाईं तरप गंगा और यमुना को चित्रित किया गया है. इस मंदिर में देवी की एक पत्थर की मूर्ति को वज्र धारण करते हुए दिखाया गया है. मूर्ति के होठों पर तांबा और नेत्रों पर चांदी जड़ी हुई है. 
इस मंदिर में एक शिवलिंग है, जिसके चारों तरफ शिव मंदिर है. इसकी छत पर देवी-देवताओं की मूर्ति उकेरी गई है. सभी मूर्तियों को एक नक्काशीदार फ्रेम में रखा गया है.

हाटकोटी मंदिर का इतिहास-

  • हाटकोटी मंदिर शिमला से करीब 130 किलोमीटर और रोहड़ू से 14 किलोमीटर दूर है. माना जाता है कि हाटेश्वरी मंदिर 9वीं-10वीं शताब्दी बनाया गया था. इससे पहले भी यहां मंदिर के अवशेष मिले थे. हाटकोटी गांव 5 वर्ग किलोमीटर में फैला है. आज भी गांव में कई जगहों पर मंदिर हैं, जिसकी नक्काशी और वास्तुकला 6वीं से 9वीं शताब्दी के बीच की है.
  • मंदिर पिरामिडनुमा बना है. इसमें संगमरमर की अमलका और एक सुनहरे रंग का कलश है. असली कलश मंदिर परिसर के इंट्री गेट पर रखा गया है. मंदिर के चारों तरफ लकड़ी और पत्थर की दीवार बनाई गई है.
  • हाटेश्वरी माता मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है और माना जाता है कि इसका निर्माण 7 वीं शताब्दी ईस्वी में कटोच राजवंश द्वारा किया गया था, जिन्होंने उस युग के दौरान इस क्षेत्र पर शासन किया था। मंदिर में सदियों से विभिन्न नवीकरण और परिवर्तन हुए हैं, जो विभिन्न कालखंडों के विविध वास्तुशिल्प प्रभावों को दर्शाते हैं।
  • किंवदंती है कि महाभारत के समय में देवी हटेश्वरी पांडवों और कौरवों दोनों द्वारा पूजनीय थीं और यह मंदिर विभिन्न देवताओं की तपस्या का स्थान माना जाता है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र का उल्लेख विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों में भी मिलता है, जिससे इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व बढ़ जाता है।

हाटकोटी मंदिर  हाटेश्वरी माता की मूर्ति-

पांडवों से जुड़ा है मंदिर-

इस मंदिर की कहानी महाभारत काल के पांडवों से जुड़ी है. हाटेश्वरी माता मंदिर परिसर में 5 छोटे मंदिर हैं. इन छोटे मंदिरों में शिव की प्रतिमाएं उकेरी गई हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि इन मंदिरों को पांडवों ने बनाया था. इसे पांडवों का खिलौना या 5 पांडव भाइयों के खिलौनों का घर कहते हैं. इन मंदिरों के बाहर गरुड़ पर विष्णु और लक्ष्णी, दुर्गा और गणेश की प्रतिमाएं बनी हुई हैं.
शिव मंदिर और हाटेश्वरी मंदिर के बीच भंडार है. इसमें फेस्टिवल के दौरान इस्तेमाल होने वाली चीजें हैं. इसके अलावा भक्तों के इकट्ठा होने के लिए एक सुंदर बैठक है.

घड़ा की कहानी-

हाटकोटी मंदिर घड़ा की कहानी


मंदिर प्रांगण में बंधा घड़ा, नदी में उफान आने पर बजाता है सीटी हाटेश्वरी माता मंदिर के प्रांगण में एक बड़ा धातु का घड़ा लोहे की जंजीरों के साथ बंधा है। इसे भीम का घड़ा कहा जाता है। कहा जाता है कि यह प्राचीन घड़ा बरसों पहले पब्बर नदी से ही प्रकट हुआ था। पब्बर नदी से दो घड़े मिले थे, जिनमें से एक घड़े में खजाना था और एक खाली था। एक घड़े को वहां के लोगों ने पकड़ लिया था, लेकिन खजाने वाला घड़ा किसी के हाथ न लग सका।

ऐसे में इस खाली घड़े को माता के मंदिर में रख लिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि पब्बर नदी में जब-जब उफान आता है तो यह घड़ा चेतावनी के तौर पर सीटी बजाता है।

हाटेश्वरी माता मंदिर धार्मिक महत्त्व

हाटकोटी मंदिर  हाटेश्वरी माता
हाटेश्वरी माता मंदिर अत्यधिक धार्मिक महत्त्व रखता है, जो साल भर बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर अपने उपासकों को सुरक्षा, शक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद देता है। इसे हिंदू आस्था के अनुयायियों, विशेषकर देवी दुर्गा के भक्तों के लिए एक आवश्यक तीर्थ स्थल भी माना जाता है।

त्यौहार एवं उत्सव

यह मंदिर विभिन्न त्योहारों और समारोहों के दौरान जीवंत हो उठता है। देवी दुर्गा को समर्पित नौ दिवसीय त्योहार, नवरात्रि, हाटेश्वरी माता मंदिर में भव्य उत्सव मनाया जाता है। इस अवधि के दौरान, मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है और विशेष प्रार्थनाएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने वाला एक और महत्त्वपूर्ण त्यौहार दशहरा त्यौहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। इन त्योहारों के दौरान मंदिर परिसर में तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ देखी जाती है, जिससे आध्यात्मिक और उत्सव का माहौल बढ़ जाता है।

पढ़े क्लिक कर के-

  1. शिमला जिला - के मन्दिर

    • तारा देवी मंदिर - यह मंदिर शिमला से 5 किलोमीटर दूर तारा देवी में स्थित है। यह अष्टधातु की 18 भुजाओं वाली प्रतिमा है। यह मंदिर माँ तारा देवी को समर्पित है। इसका निर्माण क्योंथल के राजा बलबीर सेन ने करवाया था।

    1. तारा देवी मंदिर शिमला (Tara Devi Temple Shimla)
    2. तारा देवी मंदिर की पूजा से प्राप्त होने वाले लाभ Benefits obtained from worshiping Tara Devi Temple
    3. माँ तारा मंत्र माँ (तारा साधना पूजा विधि) माँ तारा साधना सिद्धि मन्त्र Maa Tara Mantra Maa (Tara Sadhna Puja Method) Maa Tara Sadhna Siddhi Mantra
    4. श्री तारा देवी आरती, देवी दुर्गा के 108 नाम (Shri Tara Devi Aarti, (108 names of Goddess Durga))

    • भीमाकाली मंदिर - भीमाकाली मंदिर शिमला जिले के सराहन में स्थित है। सराहन को प्राचीन समय में शोणितपुर के नाम से जाना जाता था।

    1. भीमाकाली मंदिर हिमाचल के सराहन (Bhimakali temple is in Saraahan of Himachal) (Shri Bhima Kali Ji Temple)

    • हाटकोटी मंदिर - यह मंदिर शिमला के रोहडू तहसील के हाटकोटी में स्थित है। यह मंदिर हाटकोटी माता को समर्पित है। यहाँ महिषासुर मर्दिनी की अष्टधातु की अष्टभुजा वाली विशाल प्रतिमा स्थापित है। वीर प्रकाश ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था।

    1. हाटकोटी मंदिर हाटेश्वरी माता,मूर्ति, इतिहास, बर्तन की कहानी, घड़ा की कहानी(Hatkoti Temple Hateshwari Mata, statue, history, story of the pot, story of the pot)
    2. हाटेश्वरी माता दुर्गा को समपित हैं (श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण,)(Hateshwari is dedicated to Mother Durga - Shri Durga Chalisa Sampoorna,))
    3. हाटेश्वरी माता दुर्गा को समपित हैं (श्री दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् )(Hateshwari is dedicated to Mother Durga (Shri Durga Ashtottara Shatnam Stotram).)
    4. हाटकोटी मंदिर हाटेश्वरी माता दुर्गा को समपित हैं (देवी दुर्गा की महिमा ) Hatkoti Temple is dedicated to Hateshwari Mata Durga (Glory to Goddess Durga).

    • जाखू मंदिर - यह मंदिर शिमला के जाखू में स्थित है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। भगवान हनुमान की 108 फुट ऊँची मूर्ति यहाँ बनाई गई है।

    1. जाखू मंदिर शिमला, विशाल प्रतिमा, स्थिति, मान्याता, किवदंति, पौराणिक कथा (Jakhu Temple, Shimla, huge statue, status, recognition, legend, mythology)
    2. जाखू मंदिर शिमला (हनुमान चालीसा) Jakhu Temple Shimla (Hanuman Chalisa)
    3. भगवान हनुमान का जन्मस्थान (Birthplace of Lord Hanuman)
    4. श्री हनुमान जी के बारे मैं प्रशन और उत्तर (Questions and Answers about Shri Hanuman Ji)

    • कामना देवी मंदिर - कामना देवी मंदिर शिमला के प्रोस्पेक्ट हिल में स्थित है।
    1. कामना देवी मंदिर शिमला (Kamna Devi Temple Shimla)  

    • कालीबाड़ी मंदिर - यह मंदिर शिमला में स्थित है। यह मंदिर काली माता (श्यामला देवी) को समर्पित है।

    1. शिमला का कालीबाड़ी मंदिर (Kalibari Temple of Shimla)
    2. राजा श्यामला देवी पूजा (Raja Shyamala Devi Pooja)
    3. दस महाविद्याओं में प्रथम महाशक्ति महाकाली, मन्त्र, ध्यानम्, कालीस्तव, कवचम, (Among the ten Mahavidyas, the first super power is Mahakali, Mantra, Dhyanam, Kali Stava, Kavach,)
    4. महाकाली स्वरूप भेद,Mahaakaalee Svaroop Bhed

    • सूर्य मंदिर - यह मंदिर शिमला के 'नीरथ' में स्थित है। यह मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है। इसे 'हिमाचल प्रदेश का सूर्य मंदिर' भी कहा जाता है।

    1. सूर्य मंदिर शिमला हिमाचल प्रदेश (Sun Temple Shimla Himachal Pradesh) 

    • संकट मोचन मंदिर -संकटमोचन मंदिर का निर्माण 1926 ई. में नैनीताल के बाबा नीम करौरी ने करवाया था। यह मंदिर भगवान स्नुमान को समर्पित है। यह तारादेवी के पास स्थित है।

    1. हिमाचल प्रदेश के शिमला संकट मोचन मंदिर (Shimla Sankat Mochan Temple, Himachal Pradesh)
    2. संकट मोचन आरती (श्री हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार) (Sankat Mochan Aarti (Shri Hanuman Janmotsav, Tuesday Vrat, Saturday Puja, Old Tuesday))

टिप्पणियाँ