जाखू मंदिर शिमला, विशाल प्रतिमा, स्थिति, मान्याता, किवदंति, पौराणिक कथा (Jakhu Temple, Shimla, huge statue, status, recognition, legend, mythology)

जाखू मंदिर, शिमला, विशाल प्रतिमा, स्थिति, मान्याता,  किवदंति, पौराणिक कथा (Jakhu Temple, Shimla, huge statue, status, recognition, legend, mythology)

जाखू मंदिर शिमला

जाखू मंदिर, शिमला

विवरण    = 'जाखू मंदिर' भगवान श्रीराम के भक्त हनुमान को समर्पित है। शिमला के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से यह एक है, जिसकी बड़ी मान्यता है।
राज्य     =           हिमाचल प्रदेश
ज़िला    =    शिमला
निर्माता    =    ऋषि याकू
निर्माण काल =    रामायण काल
भौगोलिक स्थिति    'जाखू पहाड़ी' पर समुद्र तल से 8048 फीट की ऊँचाई पर स्थित।
प्रसिद्धि      = हिन्दू धार्मिक स्थल
संबंधित लेख   = हनुमान, हिमाचल प्रदेश, शिमला
विशेष    =     'जाखू मंदिर' में हनुमान की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है, जिसकी ऊँचाई 108 फीट है। ये प्रतिमा वर्ष 2010 में स्थापित की गई थी। इससे पहले केवल आंध्र प्रदेश में ही 135 फीट की ऊँचाई वाली मूर्ति स्थापित है।
अन्य जानकारी शिमला के सबसे लोकप्रिय स्पॉट मॉल मार्ग से 'जाखू मंदिर' के लिए रास्ता बना है। घने देवदार के पेड़ों के बीच 'जाखू मंदिर' हनुमान का ऐतिहासिक मंदिर है।

जाखू मंदिर, शिमला विशाल प्रतिमा

जाखू मंदिर में अब हनुमान जी की एक विशाल प्रतिमा भी लगी है, जिसकी ऊँचाई 108 फीट है। ये प्रतिमा वर्ष 2010 में स्थापित की गई थी। इससे पहले केवल आंध्र प्रदेश में ही 135 फीट की ऊंचाई वाली मूर्ति स्थापित है। शिमला में कहीं से भी आपको हनुमान जी दिखाई देते हैं। मंदिर के गेट पर बंदरों से बचने के लिए छड़ी भी मिलती है। लेकिन बंदरों से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाये तो ही अच्छा है। बताया जाता है कि जाखू मंदिर परिसर में सदियों से बंदरों की टोलियां रहती हैं।
जाखू मंदिर शिमला

जाखू मंदिर, शिमला स्थिति

जाखू मंदिर, जाखू पहाड़ी पर समुद्र तल से 8048 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यह बर्फीली चोटियों, घाटियों और शिमला शहर का सुंदर और मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। भगवान हनुमान को समर्पित यह धार्मिक केंद्र 'रिज' के निकट स्थित है। यहाँ से पर्यटक सूर्योदय और सूर्यास्त के लुभावने दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

जाखू मंदिर, शिमला मान्याता

पौराणिक कथा के अनुसार राम तथा रावण के मध्य हुए युद्ध के दौरान मेघनाद के तीर से भगवान राम के अनुज लक्ष्मण घायल एवं मूर्छित हो गए थे। उस समय सब उपचार निष्फल हो जाने के कारण वैद्यराज सुषेण ने कहा कि अब एक ही उपाय शेष बचा है। हिमालय की संजीवनी बूटी से लक्ष्मण की जान बचायी जा सकती है। इस संकट की घड़ी में रामभक्त हनुमान ने कहा प्रभु मैं संजीवनी लेकर आता हूँ। हनुमानजी हिमालय की और उड़े, रास्ते में उन्होंने नीचे पहाड़ी पर 'याकू' नामक ऋषि को देखा तो वे नीचे पहाड़ी पर उतरे। जिस समय हनुमान पहाड़ी पर उतरे, उस समय पहाड़ी उनका भार सहन न कर सकी। परिणाम स्वरूप पहाड़ी जमीन में धंस गई। मूल पहाड़ी आधी से ज्यादा धरती में समा गई। इस पहाड़ी का नाम 'जाखू' है। यह 'जाखू' नाम ऋषि याकू के नाम पर पड़ा था।
जाखू मंदिर शिमला
हनुमान ने ऋषि को नमन कर संजीवनी बूटी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की तथा ऋषि को वचन दिया कि संजीवनी लेकर आते समय ऋषि के आश्रम पर ज़रूर आएंगे। हनुमान ने रास्ते में 'कालनेमी' नामक राक्षस द्वारा रास्ता रोकने पर युद्ध करके उसे परास्त किया। इस दौड़धूप तथा समयाभाव के कारण हनुमान ऋषि के आश्रम नहीं जा सके। हनुमान याकू ऋषि को नाराज नहीं करना चाहते थे, इस कारण अचानक प्रकट होकर और अपना विग्रह बनाकर अलोप हो गए। ऋषि याकू ने हनुमान की स्मृति में मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर में जहां हनुमानजी ने अपने चरण रखे थे, उन चरणों को संगमरमर पत्थर से बनवाकर रखा गया है। ऋषि ने वरदान दिया कि बंदरों के देवता हनुमान जब तक यह पहाड़ी है, लोगों द्वारा पूजे जाएंगे।

जाखू मंदिर, शिमला अन्य किवदंति

शिमला के सबसे लोकप्रिय स्पॉट मॉल मार्ग से जाखू मंदिर के लिए रास्ता बना है। घने देवदार के पेड़ों के बीच जाखू मंदिर हनुमान का ऐतिहासिक मंदिर है। एक अन्य किवदंति के अनुसार हनुमान जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तब उन्होंने जाखू मंदिर पर विश्राम किया था। बूटी के लिए जाते समय बजरंगबली ने शिमला की उक्त पहाड़ी पर विश्राम किया था। थोड़ी देर विश्राम करने के बाद हनुमान अपने साथियों को यहीं पर छोड़ कर अकेले ही संजीवनी बूटी लाने के लिए निकल पड़े थे। ऐसा माना जाता है कि उनके वानर साथियों ने यह समझकर कि बजरंगबली उनसे नाराज होकर अकेले ही गए हैं, उनका यहीं पहाड़ी पर वापस लौटने का इंतजार करते रहे। इसी के परिणामस्वरूप आज भी यहाँ व्यापक संख्या में वानर पाए जाते हैं।

जाखू मंदिर, शिमला पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, रामायण की लड़ाई के दौरान, जब लक्ष्मण को एक तीर से बेहोश कर दिया गया था, वैद्य सुशेन के अनुरोध पर, भगवान राम ने उन्हें ठीक करने के लिए अपने भक्त हनुमान से हिमालय से संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा। जब हनुमान संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, रास्ते में उन्होंने एक ऋषि को एक पहाड़ पर ध्यान करते हुए देखा। संजीवनी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए, हनुमान उस पर्वत पर उतरे और "यक्ष" ऋषि से मिले।

ऋषि यक्ष द्वारा निर्देशित पाकर हनुमान ने उनसे हिमालय लौटने का वादा किया। लेकिन हनुमान को रास्ते में कालनेमि राक्षस ने युद्ध को ललकारा। राक्षस को युद्ध में परास्त कर हनुमान मे संजीवनी प्राप्त की लेकिन इस कारण हुए विलंब के कारण हनुमान "यक्ष" ऋषि से मिलने वापस नहीं जा सके। जब हनुमान नहीं लौटे तो ऋषि चिंतित हो गए। तो हनुमान स्वयं ऋषि के सामने पर्वत पर प्रकट हुए। ऐसा कहा जाता है कि ऋषियों ने उसी स्थान पर हनुमान की एक मूर्ति स्थापित की थी। आज भी यह मूर्ति मंदिर में स्थापित है।
जाखू मंदिर शिमला
ऋषि "यक्ष" के नाम पर पर्वत को शुरू में "यक्ष" नाम दिया गया था। लेकिन यह "यक्ष" के "याक", "याक" के "याखू" और "याखू" के "जाखू" में भ्रष्ट हो गया था। हनुमान के पदचिन्हों को संगमरमर में उकेरा गया है और संरक्षित किया गया है। पर्यटक आज भी इसे देखने आ सकते हैं।

जाखू मंदिर, शिमला अन्य जानकारी

यह मंदिर समुद्र तल से 8048 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। वर्ष 2010 में हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने यहां 108 फीट की हनुमान प्रतिमा स्थापित की थी। यह भारत की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति है। इस मूर्ति को पूरे शिमला से देखा जा सकता है। यहां पैदल, निजी कार या रोपवे से पहुंचा जा सकता है। पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश द्वार के पास लकड़ी के डंडे का इंतजाम किया गया है. इसका उपयोग लकड़ी के डंडे पर चढ़ने और बंदरों को भगाने के लिए किया जाता है।
Shri Jakhu Mandir in 1903. Jai Bajrangbali 

रोपवे से यात्रा करने वाले पर्यटक शिमला में "रिज" नामक स्थान से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। शिमला के प्रसिद्ध माल रोड से जाखू मंदिर तक पहुंचने की भी व्यवस्था की गई है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन "शिमला" है। हिमाचल परिवहन के अधिकार क्षेत्र में निकटतम बस अड्डा "शिमला" बस अड्डा है। पर्यटक वहां जल्दी पहुंचने के लिए हवाई मार्ग से भी जा सकते हैं। "जब्बारहट्टी" हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। हवाई अड्डा शिमला से 22 किमी की दूरी पर बनाया गया है। "दिल्ली" से "जब्बारहट्टी" हवाई अड्डे के लिए उडाने उपलब्ध हैं।

शिमला जिला - के मन्दिर

  • तारा देवी मंदिर - यह मंदिर शिमला से 5 किलोमीटर दूर तारा देवी में स्थित है। यह अष्टधातु की 18 भुजाओं वाली प्रतिमा है। यह मंदिर माँ तारा देवी को समर्पित है। इसका निर्माण क्योंथल के राजा बलबीर सेन ने करवाया था।

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  • भीमाकाली मंदिर - भीमाकाली मंदिर शिमला जिले के सराहन में स्थित है। सराहन को प्राचीन समय में शोणितपुर के नाम से जाना जाता था।

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  • हाटकोटी मंदिर - यह मंदिर शिमला के रोहडू तहसील के हाटकोटी में स्थित है। यह मंदिर हाटकोटी माता को समर्पित है। यहाँ महिषासुर मर्दिनी की अष्टधातु की अष्टभुजा वाली विशाल प्रतिमा स्थापित है। वीर प्रकाश ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था।

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  • जाखू मंदिर - यह मंदिर शिमला के जाखू में स्थित है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। भगवान हनुमान की 108 फुट ऊँची मूर्ति यहाँ बनाई गई है।

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  • कामना देवी मंदिर - कामना देवी मंदिर शिमला के प्रोस्पेक्ट हिल में स्थित है।
  1. कामना देवी मंदिर शिमला (Kamna Devi Temple Shimla)  

  • कालीबाड़ी मंदिर - यह मंदिर शिमला में स्थित है। यह मंदिर काली माता (श्यामला देवी) को समर्पित है।

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  • सूर्य मंदिर - यह मंदिर शिमला के 'नीरथ' में स्थित है। यह मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है। इसे 'हिमाचल प्रदेश का सूर्य मंदिर' भी कहा जाता है।

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  • संकट मोचन मंदिर -संकटमोचन मंदिर का निर्माण 1926 ई. में नैनीताल के बाबा नीम करौरी ने करवाया था। यह मंदिर भगवान स्नुमान को समर्पित है। यह तारादेवी के पास स्थित है।

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  2. संकट मोचन आरती (श्री हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार) (Sankat Mochan Aarti (Shri Hanuman Janmotsav, Tuesday Vrat, Saturday Puja, Old Tuesday))

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