तारा देवी मंदिर की पूजा से प्राप्त होने वाले लाभ Benefits obtained from worshiping Tara Devi Temple
- आंतरिक शांति और स्थिरता: तारा देवी मंदिर की पूजा आपको मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करती है। आपका मन शांत और चिंता-मुक्त होता है।
- सुख-शांति की प्राप्ति: तारा देवी की पूजा से समस्त दुखों और कष्टों का निवारण होता है और आपको सुख-शांति मिलती है।
- शक्ति के प्रदान: तारा देवी शक्ति की प्रतीक हैं, और उनकी पूजा से आपको शक्ति का अनुभव होता है और आपके अंदर सामर्थ्य की भावना विकसित होती है।
- आर्थिक उन्नति: तारा देवी की पूजा से आपको आर्थिक उन्नति मिलती है। आपके वित्तीय स्थिति में सुधार होता है और आपके जीवन में समृद्धि आती है।
- संपत्ति की प्राप्ति: तारा देवी की पूजा से आपको संपत्ति और धन की प्राप्ति होती है।
- समस्त दुर्गतियों का नाश: तारा देवी की कृपा से सभी प्रकार की दुर्गतियों का नाश होता है।
- स्वस्थ जीवन: तारा देवी की पूजा से आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- अध्यात्मिक उन्नति: तारा देवी की पूजा आपको आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रगति करने में मदद करती है।
- भय के नाश: तारा देवी की कृपा से आपके जीवन से भय और आतंक का नाश होता है।
- कार्य-क्षेत्र में सफलता: तारा देवी की पूजा से आपके कार्य-क्षेत्र में सफलता मिलती है और आपके साथीयों की मदद से आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफलता होती है।
- परिवार में समृद्धि: तारा देवी की पूजा से परिवार में समृद्धि आती है और परिवार के सदस्यों के बीच में सम्मान और प्रेम बना रहता है।
- मनोकामना पूर्ति: तारा देवी की पूजा से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- विवाह में समृद्धि: तारा देवी की पूजा से विवाह में समृद्धि आती है और विवाहित जीवन में खुशियों का वातावरण बना रहता है।
- अधिकारिक सफलता: तारा देवी की पूजा से आपको अधिकारिक सफलता मिलती है और आपके अधिकारिक काम में प्रगति होती है।
- मनोबल: तारा देवी की पूजा से आपका मनोबल बढ़ता है और आप आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं।
तारा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में स्थित है।
यह मंदिर वाकई महत्वपूर्ण है और शिमला के पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। यह मंदिर लगभग 250 साल पुराना है, जिसका मतलब है कि इसे शिमला के प्राचीन मंदिरों में से एक माना जा सकता है।तारा देवी मंदिर को स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं द्वारा विशेष माना जाता है और वहां विशेष धार्मिक अनुष्ठान और उत्सव मनाए जाते हैं। यह मंदिर स्थानीय फोक्सगढ़ी वाद्ययंत्रों और परंपरागत गायकी के लिए भी प्रसिद्ध है।तारा देवी मंदिर शिमला के प्रसिद्ध पर्वतीय स्थलों में से एक है और यहां से प्राकृतिक सौंदर्य दर्शनीयता है जो पर्यटकों को आकर्षित करती है। मंदिर के आस-पास धार्मिक और पर्वतीय फेरियों का आयोजन भी किया जाता है जो इस स्थल को और भी प्रियदर्शी बनाता है।तारा देवी मंदिर का विशेष महत्व हिमाचल प्रदेश में है और भक्तों को धार्मिकता और शक्ति की अनुभूति करने का एक अवसर प्रदान करता है।
तारा देवी मंदिर की कथा
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में स्थित है। यहां पर एक प्राचीन कथा है जो मंदिर के अस्तित्व के पीछे है।
कथा के अनुसार, एक समय की बात है, शिमला नगर में एक गरीब गाँव था। उस गाँव में एक ब्राह्मण नामक व्यक्ति रहता था, जिसका नाम जगन्नाथ था। वह बहुत धार्मिक और भक्तिमय था। जगन्नाथ के परिवार के सदस्यों को भी वह धार्मिक शिक्षा देते थे और धर्म का पालन करते थे।एक दिन, जगन्नाथ को स्वप्न आया, जिसमें एक दिव्य स्त्री के रूप में उन्हें देवी तारा दिखाई दी। तारा देवी ने जगन्नाथ से कहा कि उन्हें उनके दर्शन करने की इच्छा है और वह उनके मंदिर का निर्माण करें।जगन्नाथ ने स्वप्न में देखा हुआ यह सब अपने परिवार को बताया। परिवार के सदस्यों ने इसे विश्वास नहीं किया और उसे ध्यान न देकर अपने दिनचर्या में लग गए।कुछ समय बाद, जगन्नाथ को फिर से उसी स्वप्न में तारा देवी ने आवाज़ दी और उन्हें याद दिलाया कि उन्हें अपने मंदिर का निर्माण करना है। इस बार जगन्नाथ ने अपने परिवार के सदस्यों को मान लिया और तारा देवी के दर्शन करने के लिए मंदिर का निर्माण शुरू किया।
तारा देवी की इच्छा के अनुसार, मंदिर का निर्माण अत्यंत धीरे-धीरे हुआ, लेकिन स्वयं ब्राह्मण जगन्नाथ की यात्रा मंदिर तक तेज़ी से हो रही थी। इससे उनके परिवार के सदस्य खुश नहीं थे और उन्होंने इसे देखकर उन्हें रोकने का प्रयास किया। परंतु तारा देवी ने अपनी कृपा से उन्हें अवरुद्ध रखा और जगन्नाथ को समय पर मंदिर पहुंचाया।
इस प्रकार, जगन्नाथ ने तारा देवी के इच्छा का पालन करके उनके मंदिर का निर्माण पूरा किया और समुद्री धार्मिकता वाली इस प्रसिद्ध देवी की महिमा का परिचय हुआ। वे दिनभर में लाखों भक्तों को आकर्षित करते हैं और अपनी कृपा से सभी के संकटों को दूर करती हैं। तारा देवी मंदिर हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है और यहां विशेष धार्मिक उत्सव और उत्साह से मनाए जाते हैं।
तारा देवी मंदिर की पूजा विधि विभिन्न रूपों में की जा सकती है, लेकिन निम्नलिखित एक सामान्य पूजा विधि
- पूजा का आरंभ: पूजा का आरंभ गणेश जी की पूजा से होता है। आप गणेश चतुर्थी या शुक्ल पक्ष की पंचमी जैसे शुभ मुहूर्त पर गणेश जी को पूज सकते हैं। गणेश जी को लाल रंग के फूल, मोदक, दूर्वा, रोली, चावल, धूप, दीप, और नैवेद्य देकर पूजें।
- ध्यान और प्रार्थना: आप तारा देवी का ध्यान करें और उनसे मानसिक रूप से संवाद करें। उन्हें प्रार्थना करें कि वे आपके सभी कष्टों को हरें और आपको शक्ति और सुख प्रदान करें।
- शुद्धि करें: पूजा करने से पहले अपने आप को शुद्ध करें। स्नान करें और विशेष ध्यान दें कि आपके मन में किसी भी बुरे विचार या दोष की कोई उपस्थिति न हो।
- अङ्कुरित बीज: पूजा के लिए तारा देवी के अङ्कुरित बीज का उपयोग करें। इसे भूमि में बोएं और धार्मिकता से पाले जाएं।
- पूजा सामग्री: तारा देवी की पूजा के लिए पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य (मिठाई और फल), अगरबत्ती आदि की आवश्यकता होती है। इन सामग्री को ध्यानपूर्वक और शुद्ध रखें।
- आरती: तारा देवी को आरती दें। आप उन्हें प्रदक्षिणा करें और आरती करें। आरती के दौरान धूप और दीप उठाएं और आरती गाएं।
- प्रसाद: पूजा के बाद तारा देवी को मिठाई और फल के रूप में प्रसाद चढ़ाएं। यह प्रसाद फिर आप और आपके परिवार के सभी सदस्यों को बांट दें।
15 महत्वपूर्ण तथ्य जो तारा देवी मंदिर से संबंधित
- तारा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में स्थित है।
- यह मंदिर लगभग 250 साल पुराना है और इसका निर्माण प्राचीन काल में किया गया था।
- तारा देवी को दुर्गा माँ का एक स्वरूप माना जाता है।
- मंदिर की स्थापना ब्राह्मण जगन्नाथ ने की थी जो भक्त और धार्मिक व्यक्ति थे।
- मंदिर के अंदर तारा देवी की मूर्ति स्थापित है, जिसे तारा माता के रूप में पूजा जाता है।
- तारा देवी मंदिर पर्वतीय इलाके में स्थित होने के कारण यहां का प्राकृतिक सौंदर्य देखने को मिलता है।
- यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए भक्ति और परंपरागत उत्सवों का सेंटर है।
- मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान और पूजा द्वारा भक्तों को शक्ति और सुख प्राप्त होता है।
- तारा देवी मंदिर के चारों ओर अन्य धार्मिक स्थल और शिव मंदिर भी स्थित हैं।
- इस मंदिर में प्रतिदिन भक्तों द्वारा आरती और भजन किए जाते हैं।
- मंदिर में सफेद और लाल रंग के फूलों से सजावट की जाती है।
- तारा देवी को यहां प्रसाद के रूप में मिठाई और फल चढ़ाया जाता है।
- मंदिर के अध्यक्ष द्वारा विशेष पर्वों और त्योहारों में भक्तों का अच्छा व्यवहार किया जाता है।
- तारा देवी मंदिर के आस-पास अनेक पर्वतीय यात्रा मार्ग हैं, जो पर्वत प्रेमियों के लिए आकर्षक हैं।
- तारा देवी मंदिर का दर्शन स्थलीय और बाहरी पर्वतीय पर्यटकों के लिए एक प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा स्थल है।
शिमला जिला - के मन्दिर
- तारा देवी मंदिर - यह मंदिर शिमला से 5 किलोमीटर दूर तारा देवी में स्थित है। यह अष्टधातु की 18 भुजाओं वाली प्रतिमा है। यह मंदिर माँ तारा देवी को समर्पित है। इसका निर्माण क्योंथल के राजा बलबीर सेन ने करवाया था।
- तारा देवी मंदिर शिमला (Tara Devi Temple Shimla)
- तारा देवी मंदिर की पूजा से प्राप्त होने वाले लाभ Benefits obtained from worshiping Tara Devi Temple
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- श्री तारा देवी आरती, देवी दुर्गा के 108 नाम (Shri Tara Devi Aarti, (108 names of Goddess Durga))
- भीमाकाली मंदिर - भीमाकाली मंदिर शिमला जिले के सराहन में स्थित है। सराहन को प्राचीन समय में शोणितपुर के नाम से जाना जाता था।
- हाटकोटी मंदिर - यह मंदिर शिमला के रोहडू तहसील के हाटकोटी में स्थित है। यह मंदिर हाटकोटी माता को समर्पित है। यहाँ महिषासुर मर्दिनी की अष्टधातु की अष्टभुजा वाली विशाल प्रतिमा स्थापित है। वीर प्रकाश ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था।
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- जाखू मंदिर - यह मंदिर शिमला के जाखू में स्थित है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। भगवान हनुमान की 108 फुट ऊँची मूर्ति यहाँ बनाई गई है।
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- जाखू मंदिर शिमला (हनुमान चालीसा) Jakhu Temple Shimla (Hanuman Chalisa)
- भगवान हनुमान का जन्मस्थान (Birthplace of Lord Hanuman)
- श्री हनुमान जी के बारे मैं प्रशन और उत्तर (Questions and Answers about Shri Hanuman Ji)
- कामना देवी मंदिर - कामना देवी मंदिर शिमला के प्रोस्पेक्ट हिल में स्थित है।
- कालीबाड़ी मंदिर - यह मंदिर शिमला में स्थित है। यह मंदिर काली माता (श्यामला देवी) को समर्पित है।
- शिमला का कालीबाड़ी मंदिर (Kalibari Temple of Shimla)
- राजा श्यामला देवी पूजा (Raja Shyamala Devi Pooja)
- दस महाविद्याओं में प्रथम महाशक्ति महाकाली, मन्त्र, ध्यानम्, कालीस्तव, कवचम, (Among the ten Mahavidyas, the first super power is Mahakali, Mantra, Dhyanam, Kali Stava, Kavach,)
- महाकाली स्वरूप भेद,Mahaakaalee Svaroop Bhed
- सूर्य मंदिर - यह मंदिर शिमला के 'नीरथ' में स्थित है। यह मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है। इसे 'हिमाचल प्रदेश का सूर्य मंदिर' भी कहा जाता है।
- संकट मोचन मंदिर -संकटमोचन मंदिर का निर्माण 1926 ई. में नैनीताल के बाबा नीम करौरी ने करवाया था। यह मंदिर भगवान स्नुमान को समर्पित है। यह तारादेवी के पास स्थित है।
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