माँ तारा मंत्र माँ (तारा साधना पूजा विधि) माँ तारा साधना सिद्धि मन्त्र Maa Tara Mantra Maa (Tara Sadhna Puja Method) Maa Tara Sadhna Siddhi Mantra

माँ तारा मंत्र माँ (तारा साधना पूजा विधि) माँ तारा साधना सिद्धि मन्त्र Maa Tara Mantra Maa (Tara Sadhna Puja Method) Maa Tara Sadhna Siddhi Mantra

माँ तारा मंत्र (Maa Tara Mantra)

तारा साधना पूजा विधि


ॐ ह्रीं स्त्रीं हूं फट् स्वाहा॥

माँ तारा मंत्र का अर्थ (Meaning Of Maa Tara Mantra)

ॐ: ब्रह्मांड की मूल ध्वनि
ह्रीं: देवी तारा का बीज मंत्र
स्त्रीं: देवी तारा की शक्ति
हूं: देवी तारा की कल्याणकारी ऊर्जा
फट्: देवी तारा की शक्ति का प्रतीक
स्वाहा: देवी को अर्पित करने वाला

इस मंत्र का अर्थ है कि भक्त देवी तारा को अपनी आराधना के माध्यम से प्राप्त करना चाहते हैं। वे देवी तारा की शक्ति और कृपा से ज्ञान, शक्ति और मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं।

माँ तारा साधना कब करें

महाविद्या Tara Sadhana आप नवरात्रि या किसी भी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन कर सकते हैं। महाविद्या Tara Sadhana को साधक रात्रि में सवा पहर अर्थात् करीब सवा दस बजे करनी चाहिए।

माँ तारा साधना पूजा विधि

महाविद्या Tara Sadhana करने वाले साधक को स्नानं करके शुद्ध गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करके पश्चिम दिशा की मुंह करके ओर गुलाबी ऊनी आसन पर बैठ कर करनी चाहिए ! उसके बाद अपने सामने चौकी रखकर उस पर गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर प्लेट स्थापित कर उस प्लेट में गुलाब के पुष्प को खोल कर उस पर मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त “तारा यंत्र” को स्थापित करें ! उसके बाद यंत्र के चारों ओर चार चावल की ढेरियां बनाकर उस पर एक-एक लौंग स्थापित करें, तत्पश्चात यंत्र का पूजन करें, सामने शुद्ध घी का दीपक लगाएं और मन्त्र विधान अनुसार संकल्प आदि कर सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग करें : 

ॐ अस्य श्री महोग्रतारा मन्त्रस्य अक्षोम्य ऋषि: बृहतीछन्द:
 श्री महोग्रतारा देवता हूं बीजं फट् शक्ति:
 ह्रीं कीलकम् ममाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोग: ।
तारा साधना पूजा विधि

ऋष्यादि न्यास : बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए अपने भिन्न भिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र होते जा रहे हैं ! ऐसा करने से आपके अंग शक्तिशाली बनेंगे और आपमें चेतना प्राप्त होती है ! 

मंत्र :

अक्षोभ्य ऋषये नम: शिरसि ( सर को स्पर्श करें )
ब्रह्तोछन्दसे नम: मुखे ( मुख को स्पर्श करें )
श्रीमहोग्रतारायै नम: ह्रदये ( ह्रदय को स्पर्श करें )
हूं बीजाय नम: गुहे ( गुप्तांग को स्पर्श करें )
फट् शक्तये नम: पादयोः ( दोनों पैरों को स्पर्श करें )
ह्रीं कीलकाय नम: नाभौ ( नाभि को स्पर्श करें )
विनियोगाय नम: सर्वांगे ( पूरे शरीर को स्पर्श करें )

कर न्यास : अपने दोनों हाथों के अंगूठे से अपने हाथ की विभिन्न उंगलियों को स्पर्श करें, ऐसा करने से उंगलियों में चेतना प्राप्त होती है ।

ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नम: ।
ह्रीं तर्जनीभ्यां नम: ।
ह्रूं मध्यमाभ्यां नम: ।
ह्रैं अनामिकाभ्यां नम: ।
ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नम: ।
ह्र: करतलकरपृष्ठाभ्यां नम: ।

ह्र्दयादि न्यास : पुन: बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र होते जा रहे हैं ! ऐसा करने से आपके अंग शक्तिशाली बनेंगे और आपमें चेतना प्राप्त होती है !

 मंत्र :

ह्राँ ह्रदयाय नम: ( ह्रदय को स्पर्श करें )
ह्रीं शिरसे स्वाहा ( सर को स्पर्श करें )
ह्रूं शिखायै वषट् ( शिखा को स्पर्श करें )
ह्रैं कवचाय हुम् ( कंधों को स्पर्श करें )
ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् ( दोनों नेत्रों को स्पर्श करें )

ह्र: अस्त्राय फट  ( अपने सिर पर सीधा हाथ घुमाकर चारों दिशाओं में चुटकी बजाएं )

ध्यान : इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ भगवती तारा का ध्यान करके पूजन करें । धुप, दीप, चावल, पुष्प से तदनन्तर तारा महाविद्या मन्त्र का जाप करें !

प्रत्यालोढ़पदार्पितागी घशवहद घोराटटहासा परा,
खड्गेंदीवरकर्त्रिखपर्रभुजा हून्कारबीजोद्भवा ।
खर्वा नील विशालपिंगलजटाजूटैकनागैयता,
जाडयंन्यस्य कपालके त्रिजगतां ह्न्त्युग्रतारा स्वयम् ।।

ऊपर दिया गया पूजन सम्पन्न करके सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित “हकीक माला” से नीचे दिए गये मंत्र की 23 माला 11 दिनों तक जप करें ! और मंत्र उच्चारण करने के बाद तारा कवच का पाठ करें !

माँ तारा साधना सिद्धि मन्त्र

॥ ॐ ह्रीं स्त्रीं हुँ फट् ॥ 
या ॥ ऐ ॐ ह्रीं क्रीं हुं फट् ॥

मंत्र उच्चारण करने के तारा कवच पढ़ें. दी गई यह महाविद्या Tara Sadhana ग्यारह दिनों की साधना है ! Tara Sadhana करते समय साधक पूर्ण आस्था के साथ नियमों का पालन जरुर करें !  और नित्य जाप करने से पहले ऊपर दी गई संक्षिप्त पूजन विधि जरुर करें। साधक Tara Sadhana करने की जानकारी गुप्त रखें। ग्यारह दिनों के बाद मन्त्रों का जाप करने के बाद दिए गये मन्त्र जिसका आपने जाप किया हैं उस मन्त्र का दशांश ( 10% भाग ) हवन अवश्य करें। हवन में कमल गट्टे, शुद्ध घी व हवन सामग्री को मिलाकर आहुति दें।

हवन के बाद तारा यंत्र को अपने घर के मंदिर या तिजोरी में लाल वस्त्र से बांधकर एक वर्ष तक संभाल कर रख दें और बाकि बची हुई पूजा सामग्री को नदी या किसी पीपल के नीचे विसर्जन कर आयें। ऐसा करने से साधक की Tara Sadhana पूर्ण हो जाती हैं। और साधक के ऊपर माँ तारा देवी की कृपा सदैव बनी रही हैं। महाविद्या Tara Sadhana करने से साधक को तारा माता की कृपा से धन प्राप्ति के नये-नये अवसर उसे प्राप्त होते है ! साधक को ज्ञान की प्राप्ति होती हैं।

माँ तारा मंत्र विधि (Maa Tara Mantra vidhi)

  1. माँ तारा मंत्र का जाप हमें साफ सुथरे स्थान पर करना चाहिए।
  2. माँ तारा मंत्र का जाप हमें शांत मन से करना चाहिए।
  3. माँ तारा मंत्र का जाप करते समय हमें अपने सामने तस्वीर या मूर्ति रखनी चाहिए
  4. मंत्र का जाप ध्यान पूर्वक करना चाहिए।
  5. मंत्र का जाप करते समय हमारा ध्यान मंत्र पर केंद्रित होना चाहिए।
  6. माँ तारा मंत्र का उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए।
  7. मंत्र का जाप करने के पश्चात माँ से प्रार्थना करे की वे अपनी कृपा हम पर बनाये रखें।

माँ तारा मंत्र के लाभ (Maa Tara Mantra Benefit)

भय और चिंता से मुक्ति: 

माँ तारा को भय और चिंता को दूर करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। माँ तारा मंत्र का जाप करने से भय और चिंता से मुक्ति प्राप्त होती है।

मानसिक शांति:

माँ तारा मंत्र का जाप करने से मानसिक मिलती है।

धन और समृद्धि की वृद्धि:

माँ तारा मंत्र का जाप करने से आपको धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने में भी मदद करती है।

आध्यात्मिक विकास:

माँ तारा को ज्ञान और प्रकाश की देवी के रूप से भी जाना जाता है। माँ तारा मंत्र का जाप करने से आपको आध्यात्मिक विकास में मदद मिल सकती है।

सफलता की प्राप्ति:

माँ तारा मंत्र का जाप करने से हमें माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हम आपने कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते है।

माँ तारा मंत्र से जुड़े कुछ प्रश्न (Maa Tara Mantra Benefit FAQ)

माँ तारा मंत्र (Maa Tara Mantra) क्या है?

माँ तारा मंत्र एक संस्कृत मंत्र है जो हिंदू देवी तारा को समर्पित है। यह मंत्र देवी तारा की शक्ति और दया को आह्वान करता है। माँ तारा को अक्सर “दुनिया को पार करने वाली” देवी के रूप में जाना जाता है, और उन्हें भय, दुख और कष्टों से मुक्ति देने की क्षमता के लिए जाना जाता है।

माँ तारा मंत्र (Maa Tara Mantra) का जाप कैसे करें?

माँ तारा मंत्र का जाप एक शांत स्थान चुनें।अपनी आंखें बंद करें और माँ तारा के चित्र या मूर्ति का ध्यान करें।मंत्र को धीरे-धीरे और ध्यान से दोहराएं।

माँ तारा मंत्र (Maa Tara Mantra) का जाप करने से पहले दीक्षा क्यों लेनी चाहिए?

माँ तारा मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है। दीक्षा आपको मंत्र की सही भावना और शक्ति को समझने में मदद करेगी। यह आपको मंत्र का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में भी मदद कर सकता है।

माँ तारा मंत्र (Maa Tara Mantra) का जाप करने के क्या लाभ हैं?

माँ तारा मंत्र का जाप करने से हमें लाभ प्राप्त होता है भय और चिंता से मुक्ति मिलती है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। धन और समृद्धि की वृद्धि होती है। आध्यात्मिक विकास होता है।

क्या माँ तारा मंत्र (Maa Tara Mantra) का जाप करने के लिए कोई समय है?

नहीं, माँ तारा मंत्र का जाप करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है। आप इसे दिन में किसी भी समय या किसी भी स्थान पर कर सकते हैं।

माँ तारा मंत्र (Maa Tara Mantra) का जाप करने के लिए कोई विशेष सामग्री की आवश्यकता है?

नहीं, माँ तारा मंत्र का जाप करने के लिए कोई विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं है। आप इसे बिना किसी सामग्री के भी कर सकते हैं। यदि आप चाहें तो आप एक माला का उपयोग कर सकते हैं।

माँ तारा मंत्र (Maa Tara Mantra) का जाप करने के लिए कोई विशेष दिशा है?

नहीं, माँ तारा मंत्र का जाप करने के लिए कोई विशेष दिशा नहीं है। आप इसे किसी भी दिशा में बैठ कर जाप कर सकते हैं।

माँ तारा मंत्र (Maa Tara Mantra) का जाप करने के लिए कोई विशेष नियम है?

नहीं, माँ तारा मंत्र का जाप करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। आप इसे किसी भी समय या किसी भी स्थान पर जाप कर सकते हैं।
तारा साधना पूजा विधि

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शिमला जिला - के मन्दिर

  • तारा देवी मंदिर - यह मंदिर शिमला से 5 किलोमीटर दूर तारा देवी में स्थित है। यह अष्टधातु की 18 भुजाओं वाली प्रतिमा है। यह मंदिर माँ तारा देवी को समर्पित है। इसका निर्माण क्योंथल के राजा बलबीर सेन ने करवाया था।

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  • कामना देवी मंदिर - कामना देवी मंदिर शिमला के प्रोस्पेक्ट हिल में स्थित है।
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  • सूर्य मंदिर - यह मंदिर शिमला के 'नीरथ' में स्थित है। यह मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है। इसे 'हिमाचल प्रदेश का सूर्य मंदिर' भी कहा जाता है।

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  • संकट मोचन मंदिर -संकटमोचन मंदिर का निर्माण 1926 ई. में नैनीताल के बाबा नीम करौरी ने करवाया था। यह मंदिर भगवान स्नुमान को समर्पित है। यह तारादेवी के पास स्थित है।

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