सूर्य मंदिर शिमला हिमाचल प्रदेश (Sun Temple Shimla Himachal Pradesh)
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सूर्य मंदिर शिमला हिमाचल प्रदेश (Sun Temple Shimla Himachal Pradesh) |
सूर्य मंदिर, नीरथ- रामपुर से 18 किलोमीटर दूर नीरथ गांव में प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। सूर्य पूजा से संबंधित सम्भवत: यह हिमालय का एकमात्र मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में पाषाण सूर्य प्रतिमा 3 फुट ऊँची और 4 फुट चौड़ी हैं सूर्य को सप्त अश्वों पर सवार दिखाया गया है। मंदिर में नृत्य मगन गणेश, शिव-पार्वती और अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं जो प्राचीन हैं और कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। बाहरी दीवार पर बारह अवतार, लक्ष्मी नारायण, आठ भुजाओं वाले गणेश और ब्रम्हा की मूर्तियां स्थापित हैं।
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सूर्य मंदिर शिमला हिमाचल प्रदेश (Sun Temple Shimla Himachal Pradesh) |
मध्य भाग में चारों तरफ सूर्य की प्रतिमाएं और सिंह की प्रतिमाएं सिंह निर्मित है। सूर्य मंदिर का निर्माण काल सातवीं शताब्दी के आसपास का है। इस मंदिर का उलेल्ख 1908 में मार्शल ने किया था। परन्तु 1909 में जब एस.एच.फ्रेंक ने शिलालेखों को खोजने की कोशिश की तो वे सफल नहीं हुए। राहुल सांस्कृत्यान ने अपनी पुस्तक में इसका उलेल्ख किया है। सूर्य मंदिर के इस मंदिर की स्थापना सम्भवत: परशुराम ने की थी। जब महाभारत युद्ध में भारी नरसंहार हुआ तो परशुराम अपने हज़ारों शिष्यों के साथ हिमालय की ओर निकल पड़े थे। उनके ये शिष्य शैव, शक्ति और दत्तात्रेय थे। परशुराम ने उन्हें विभिन्न स्थानों पर स्थापित कर दिया। दत्तनगर का दत्तात्रोय मंदिर उसमें से एक है।
सूर्य मंदिर शिमला पौराणिक कथा
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सूर्य मंदिर शिमला हिमाचल प्रदेश (Sun Temple Shimla Himachal Pradesh) |
जानकारों की मानें तो जब भगवान परशुराम ने अपने पिता के आदेश पर माता रेणुका की हत्या कर दी थी। इसके बाद मातृ दोष से मुक्त होने के लिए उन्हें हिमालय के तराई वाले क्षेत्रों में पांच मंदिरों की स्थापना करने को कहा गया था। इसके बाद उन्होंने नीरथ में सूर्य नारायण मंदिर, करसोग में कामाक्षा देवी मंदिर और मवेल महादेव, दत्तनगर में दत्तात्रे स्वामी और निरमंड में अंबिका माता मंदिर की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक यह उत्तरी भारत का एक मात्र सूर्य नारायण मंदिर अपने गौरवमयी इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।
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सूर्य मंदिर शिमला हिमाचल प्रदेश (Sun Temple Shimla Himachal Pradesh) |
सूर्य मंदिर शिमला कि विशेषताएं
- यह मंदिर शिमला ज़िले के निरथ में स्तिथ है।
- यह मंदिर नागरा शैली में बना है.
- माना जाता है कि यह मंदिर भगवान परशुराम ने बनाया है
- इस मूर्ति में भगवान सूर्य को सप्त अश्वों पर सवार दिखाया गया है
- यह मन्दिर उत्तर भारत का एकलौता सूर्य मन्दिर भी है।
- मंदिर की स्थापना सम्भवत: परशुराम ने की थी।
- इस मंदिर का उलेल्ख 1908 में मार्शल ने किया था।
- मंदिर के गर्भगृह में पाषाण सूर्य प्रतिमा 3 फुट ऊँची और 4 फुट चौड़ी है।
- मन्दिर में कई शिवलिंग भी है।
- मन्दिर का क्षेत्रफ़ल 300 वर्ग गज है।
- इस मंदिर में पत्थरों पर नक्काशी की गई है, जो शायद ही देश के दूसरे मंदिरों में होगी।
- मन्दिर के निर्माण में पत्थर व लकड़ी का मिलाजुला रुप दिखायी देता है।
- मंदिर में नृत्य मग्न गणेश,शिव-पार्वती और अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां है।
- मंदिर के बाहरी दीवार पर बारह अवतार,लक्ष्मी नारायण,आठ भुजाओं वाले गणेश और ब्रम्हा की मूर्तियां स्थापित हैं।
- मध्य भाग में चारों तरफ सूर्य की प्रतिमाएं और सिंह की प्रतिमाएं निर्मित है।
- प्रत्येक वर्ष शरद ऋतु के आरम्भ में यहाँ एक मेले का आयोजन किया जाता है।
- राहुल सांस्कृत्यान ने अपनी पुस्तक में इस मंदिर का उलेल्ख किया है।
अज्ञातवास के दौरान रुके थे पांडव
यह भी कहा जाता है कि पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां पर रुके थे. इस मंदिर का उल्लेख साल 1908 में मार्शल ने किया था, लेकिन साल 1909 में जब एस.एच.फ्रेंक ने शिलालेखों को खोजने की कोशिश की, तो वह सफल नहीं हो सके.
बूढ़ी दिवाली के मेले पर लगती है भीड़
साहित्यकार राहुल सांस्कृत्यान ने अपनी पुस्तक में इसका उल्लेख किया है. हर साल बूढ़ी दिवाली के मौके यहां पर मेला लगता है. इस मेले में आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. दु:ख का विषय है कि इस मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बेहद खस्ताहाल है. रास्ते के नाम पर यहां सिर्फ दो फुट की पगडंडी है. विडंबना है कि इस प्राचीन मंदिर की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. निरथ गांव के इस सूर्य मंदिर में प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित किया जा सकता है. जरूरत है तो सिर्फ इस मंदिर के विकास पर ध्यान देने की.
हिमाचल प्रदेश के किस शहर में सूर्य मंदिर स्थित है?
नीरथ - हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के नीरथ नामक शहर में सूर्य मंदिर स्थित है| सूर्य पूजा से संबंधित संभवत: यह हिमालय का एकमात्र मंदिर है| मंदिर के गर्भगृह में पाषाण सूर्य प्रतिमा 3 फूट ऊँची और 4 फूट चौड़ी हैं, सूर्य को सप्त अश्वों पर सवार दिखाया गया है| मंदिर में नृत्य मगन गणेश, शिव-पार्वती और अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं जो प्राचीन है और कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है| इस मंदिर की बाहरी दीवार पर बारह अवतार, लक्ष्मी नारायण, आठ भुजाओं वाले गणेश और ब्रह्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं| मध्य भाग में चारों तरफ सूर्य की प्रतिमाएं और सिंह की प्रतिमाएं निर्मित है| इस सूर्य मंदिर का निर्माण काल सातवीं शताब्दी के आसपास का है| इस मंदिर का उल्लेख 1908 में मार्शल ने किया था|
शिमला जिला - के मन्दिर
- तारा देवी मंदिर - यह मंदिर शिमला से 5 किलोमीटर दूर तारा देवी में स्थित है। यह अष्टधातु की 18 भुजाओं वाली प्रतिमा है। यह मंदिर माँ तारा देवी को समर्पित है। इसका निर्माण क्योंथल के राजा बलबीर सेन ने करवाया था।
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- भीमाकाली मंदिर - भीमाकाली मंदिर शिमला जिले के सराहन में स्थित है। सराहन को प्राचीन समय में शोणितपुर के नाम से जाना जाता था।
- हाटकोटी मंदिर - यह मंदिर शिमला के रोहडू तहसील के हाटकोटी में स्थित है। यह मंदिर हाटकोटी माता को समर्पित है। यहाँ महिषासुर मर्दिनी की अष्टधातु की अष्टभुजा वाली विशाल प्रतिमा स्थापित है। वीर प्रकाश ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था।
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- जाखू मंदिर - यह मंदिर शिमला के जाखू में स्थित है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। भगवान हनुमान की 108 फुट ऊँची मूर्ति यहाँ बनाई गई है।
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- भगवान हनुमान का जन्मस्थान (Birthplace of Lord Hanuman)
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- कामना देवी मंदिर - कामना देवी मंदिर शिमला के प्रोस्पेक्ट हिल में स्थित है।
- कालीबाड़ी मंदिर - यह मंदिर शिमला में स्थित है। यह मंदिर काली माता (श्यामला देवी) को समर्पित है।
- शिमला का कालीबाड़ी मंदिर (Kalibari Temple of Shimla)
- राजा श्यामला देवी पूजा (Raja Shyamala Devi Pooja)
- दस महाविद्याओं में प्रथम महाशक्ति महाकाली, मन्त्र, ध्यानम्, कालीस्तव, कवचम, (Among the ten Mahavidyas, the first super power is Mahakali, Mantra, Dhyanam, Kali Stava, Kavach,)
- महाकाली स्वरूप भेद,Mahaakaalee Svaroop Bhed
- सूर्य मंदिर - यह मंदिर शिमला के 'नीरथ' में स्थित है। यह मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है। इसे 'हिमाचल प्रदेश का सूर्य मंदिर' भी कहा जाता है।
- संकट मोचन मंदिर -संकटमोचन मंदिर का निर्माण 1926 ई. में नैनीताल के बाबा नीम करौरी ने करवाया था। यह मंदिर भगवान स्नुमान को समर्पित है। यह तारादेवी के पास स्थित है।
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