लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन (Laxmi Narayan Temple Nahan )
लक्ष्मी नारायण मंदिर - लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन का निर्माण 1708 ई. में राजा भूप प्रकाश ने करवाया था।
लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन (Laxmi Narayan Temple Nahan ) |
हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी नगर से 50 किमी. दूर सरकाघाट तहसील से 25 किमी. की दूरी पर पिंगला नामक स्थान पर भगवान लक्ष्मी नारायण के प्राचीन मंदिर भव्य और अद्वितीय शैली में छटा बिखेरे हुए है। यह गुंबदीय शैली का भव्य मंदिर तथा भगवान नारायण विष्णु एवं माता लक्ष्मी तथा विष्णु वाहन गरुड़ की भव्य प्रतिमाएं निःसंदेह कला का अद्वितीय मूर्ति रूप है। कला पुरुषों को यह समझते हुए देर नहीं लगती कि इन मूर्तियों में शिल्पकार ने मनोयोग से अद्भुत सौंदर्य को स्थापित किया है। हिमाचल के असंख्य अद्भुत वैभवशाली स्मारकों की भांति लक्ष्मी नारायण मंदिर में भी कथानक की पृष्ठभूमि पांडवों से संबंधित है। कहते हैं कि पांडव अपने अज्ञातवास काल में भ्रमण करते हुए पिंगला पहुंचे। यहां विश्राम के समय महाराज युधिष्ठिर ने भगवान विष्णु के स्थल की स्थापना का संकल्प लिया और लक्ष्मी नारायण भगवान का मंदिर बनवाया। बाद में काल के अंतराल में यह मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच गया। मुगल सम्राट अकबर के राज्यकाल में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ।
लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन (Laxmi Narayan Temple Nahan ) |
अकबर के दरबार में जब मंडी के महान पंडित गंगा राम की हत्या हुई, तब उसकी पत्नी गर्भवती थी। उसने एक पुत्र को जन्म दिया। जिसका नाम थल्लु राय था। जब वह बड़ा हुआ, तो उसे अपने पिता की हत्या के बारे में पता चला। वह राजा अकबर से मिला और अकबर ने उसे मुहमांगी संपत्ति दी। उसने लक्ष्मी नारयण मंदिर का जीर्णोद्धार किया। प्रतिवर्ष वैशाख को यहां लौहल का मेला लगता है। इसमें लकड़ी, मिट्टी और रूई द्वारा बनाए गए गुड्डा-गुड्डी जिन्हें लोग शिव पार्वती का रूप मानते हैं का विवाह रचाया जाता है। लौहला एक कन्या का नाम है, जिसने अनमेल वर से विवाह के कारण आत्महत्या कर ली थी।
लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन (Laxmi Narayan Temple Nahan ) |
इसके प्रायश्चित में भाटों के परामर्श पर यह मेला प्रारंभ हुआ। अतः इस मेले को लौहला रा भाटका कहते हैं। इस विवाह में लग्न, वेदी, सुहाग, विदाई इत्यादि सभी वैवाहिक परंपराएं निभाई जाती हैं। दो वैशाख को गुड्डा-गुड्डी का मंदिर जलाशय में विसर्जन किया जाता है। इस विवाहोत्सव पर प्रीतीभोज का आयोजन भी होता है। कोरोना के कारण सब पर्व स्थगित कर दिए गए हैं।
सिरमौर जिला -
- गायत्री मंदिर - यह मंदिर रेणुका में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महात्मा पराया नन्द ब्रह्मचारी ने करवाया था। गायत्री माता को वेदों की माता भी कहा जाता है।
- जगन्नाथ मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1681 ई. में राजा बुद्ध प्रकाश ने करवाया था। यहाँ सावन द्वादशी का मेला लगता है।
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- त्रिलोकपुर मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले के त्रिलोकपुर स्थान पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1573 ई. में दीप प्रकाश ने करवाया था। यह मंदिर माता बाला सुन्दरी को समर्पित है, जिसे 84 घंटियों वाली देवी भी कहा जाता है।
- शिर्गुल मंदिर - यह मंदिर चूड़धार पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिर्गुलको समर्पित है।
- देई साहिब मंदिर - देई साहिब मंदिर पौंटा का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश की बहन देई साहिबा ने करवाया था।
- कटासन मंदिर - कटासन मंदिर कोलर का निर्माण राजा जगत प्रकाश ने करवाया था।
- लक्ष्मी नारायण मंदिर - लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन का निर्माण 1708 ई. में राजा भूप प्रकाश ने करवाया था।
- शिव मंदिर - शिव मंदिर रानी ताल नाहन का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश ने अपनी रानी कुटलानी की स्मृति में करवाया था।
- रामकुण्डी मंदिर - रामकुण्डी मंदिर नाहन का निर्माण 1767 ई. में राजा कीर्ति प्रकाश ने करवाया था।
- श्री महामाया बालासुंदरी जी मंदिर नाहन
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