गायत्री मंदिर रेणुका में स्थित (Gayatri Temple located in Renuka)

गायत्री मंदिर रेणुका में स्थित (Gayatri Temple located in Renuka)

गायत्री मंदिर: गायत्री माता को वेदों की माता भी कहा जाता है ।यह मंदिर रेणुका में स्थित है।इस का निर्माण महात्मा पराया नंद ब्रह्मचारी ने करवाया था।

गायत्री मंदिर रेणुका में स्थित (Gayatri Temple located in Renuka)
गायत्री मंदिर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है। गायत्री मंदिर एक पवित्र मंदिर है जो मध्यकालीन युग का है।
गायत्री मंदिर मध्यकालीन युग का है। यह हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है । गायत्री मंदिर में 1.60 मीटर ऊंची पंच मुखी मां गायत्री की संगमरमर की मूर्ति है, गणपति , भगवान विष्णु , भगवान शिव , भगवान ब्रह्मा और भगवान इंद्र की संगमरमर की मूर्तियां भी यहां स्थापित की गई हैं। यह मंदिर श्री माँ गायत्री को समर्पित है जो वेदों की जननी , हिंदू ज्ञान का खजाना हैं। गायत्री मंदिर की वास्तुकला यह मंदिर विस्तृत लकड़ी के काम और पंच मुखी मां गायत्री की समकालीन संगमरमर की मूर्ति से बिखरा हुआ है। 

क्या है गायत्री मंत्र का अर्थ

माँ गायत्री वेदमाता भी पुकारी जाती हैं। धार्मिक दृष्टि देखें तो गायत्री मन्त्र (Gayatri Mantra), इस समस्त ब्रह्माण्ड और व्याप्त जीवित जगत के कल्याण का सबसे बड़ा स्रोत है | ये एक ऐसा मंत्र है जिसकी उपासना स्वयं देवता भी करते हैं जिसके गुणों का वर्णन करना वेदों और शास्त्रों में भी संभव नहीं है। माना जाता है की गायत्री मंत्र की उपासना से सभी पापों का नाश, आध्यात्मिक सुखों से लेकर भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है ।

गायत्री साधना में गायत्री मंत्र का बहुत महत्व है। इस मंत्र के चौबीस अक्षर न केवल 24 देवी-देवताओं के स्मरण के बीज हैं, बल्कि ये बीज अक्षर वेद, धर्मशास्त्र में बताए अद्भुत ज्ञान का आधार भी हैं। वेदों में गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) जप से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन व ब्रह्मचर्य के रूप में मिलने वाले सात फल बताए गए हैं। असल में गायत्री मंत्र ईश्वर का चिंतन, ईश्वरीय भाव को अपनाने और बुद्धि की पवित्रता की प्रार्थना है।

अब जानते है इसी अद्भुत मंत्र का अर्थ |

ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो न: प्रचोदयात्।
ऊँ – ईश्वरभू: – प्राणस्वरूप 
भुव: – दु:खनाशक
स्व: – सुख स्वरूप 
तत् – उस 
सवितु: – तेजस्वी 
वरेण्यं – श्रेष्ठ 
भर्ग: – पापनाशक 
देवस्य – दिव्य
धीमहि – धारण करे 
धियो – बुद्धि
यो – जो 
न: – हमारी 
प्रचोदयात् – प्रेरित करे
|
सभी को जोड़ने पर अर्थ है – उस प्राणस्वरूप, दु:ख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। वह ईश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर प्रेरित करे।
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सिरमौर जिला -

  • गायत्री मंदिर - यह मंदिर रेणुका में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महात्मा पराया नन्द ब्रह्मचारी ने करवाया था। गायत्री माता को वेदों की माता भी कहा जाता है।

  1. गायत्री मंदिर रेणुका में स्थित (Gayatri Temple located in Renuka)

  • जगन्नाथ मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1681 ई. में राजा बुद्ध प्रकाश ने करवाया था। यहाँ सावन द्वादशी का मेला लगता है।

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  • त्रिलोकपुर मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले के त्रिलोकपुर स्थान पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1573 ई. में दीप प्रकाश ने करवाया था। यह मंदिर माता बाला सुन्दरी को समर्पित है, जिसे 84 घंटियों वाली देवी भी कहा जाता है।

  1. त्रिलोकपुर मंदिर सिरमौर (Trilokpur Temple Sirmaur)

  • शिर्गुल मंदिर - यह मंदिर चूड़धार पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिर्गुलको समर्पित है।

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  • देई साहिब मंदिर - देई साहिब मंदिर पौंटा का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश की बहन देई साहिबा ने करवाया था।

  1. देई-का-मंदिर, पांवटा साहिब (Dei-ka-Mandir, Paonta Sahib)

  • कटासन मंदिर - कटासन मंदिर कोलर का निर्माण राजा जगत प्रकाश ने करवाया था।

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  • लक्ष्मी नारायण मंदिर - लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन का निर्माण 1708 ई. में राजा भूप प्रकाश ने करवाया था।

  1. लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन (Laxmi Narayan Temple Nahan )

  • शिव मंदिर - शिव मंदिर रानी ताल नाहन का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश ने अपनी रानी कुटलानी की स्मृति में करवाया था।

  1. शिव मंदिर रानी ताल नाहन (Shiv Mandir Rani Tal Nahan)

  • रामकुण्डी मंदिर - रामकुण्डी मंदिर नाहन का निर्माण 1767 ई. में राजा कीर्ति प्रकाश ने करवाया था।

  1. रामकुण्डी मंदिर नाहन(Ramkundi Temple Nahan)

  •  श्री महामाया बालासुंदरी जी मंदिर नाहन
  1. श्री महामाया बालासुंदरी जी मंदिर नाहन Shri Mahamaya Balasundari Ji Temple Nahan

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