देई साहिब मंदिर - देई साहिब मंदिर पौंटा का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश की बहन देई साहिबा ने करवाया था।
देई-का-मंदिर, पांवटा साहिब (Dei-ka-Mandir, Paonta Sahib) |
देई-का-मंदिर, पांवटा साहिब
यमुना ब्रिज के दाईं ओर स्थित, देई-का-मंदिर पांवटा साहिब में सबसे लोकप्रिय धार्मिक स्थलों में से एक है जो हर दिन बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है। यह शहर की भीड़भाड़ से बहुत दूर नहीं है और कार या बस के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है। सदियों पुराना यह मंदिर राजा सिरमौर की बहन द्वारा भगवान राम के प्रायश्चित के रूप में बनाया गया था और कई वर्षों तक सिमौर और पोंटा साहिब के शासकों के अधीन था। भगवान राम सूर्यवंशी सिरमौर शासकों के पारिवारिक देवता थे और इसलिए, मंदिर को पांवटा साहिब में सबसे आध्यात्मिक स्थलों में से एक माना जाता है।
देई-का-मंदिर, पांवटा साहिब (Dei-ka-Mandir, Paonta Sahib) |
देई-का-मंदिर, पांवटा साहिब इतिहास
ऐसा माना जाता है कि राजा सिरमौरी ताल अपने राज्य के लिए कुछ खास नहीं कर सके, जो अंततः एक नर्तकी के श्राप से नष्ट हो गया। कहानी यह है कि राजा ने अपनी दरबारी नर्तकी को वचन दिया कि यदि वह एक संकीर्ण रस्सी पर यमुना नदी पार कर सके तो वह उसे अपना आधा राज्य दे देगा। नर्तकी रस्सी के सहारे नदी पार करने में सक्षम थी और राजा को अपनी आधी संपत्ति नर्तकी को देनी पड़ी। राजा सिरमौरी ताल ने फिर से वादा किया कि अगर वह उसी तरह वापस आएगी तो वह पूरा राज्य दे देगा, हालांकि, जब नर्तकी बीच रास्ते में थी तो उसने रस्सी काट दी और वह नदी में मर गई। उसके श्राप से शहर में तबाही और बाढ़ आ गई और अंततः शहर नष्ट हो गया।
बाद में यह मंदिर शहर में समृद्धि लाने के लिए बनाया गया था और इसलिए, यह पांवटा साहिब के लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आप साल के किसी भी समय इस खूबसूरत जगह पर जा सकते हैं और भगवान राम का आशीर्वाद ले सकते हैं।
सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा स्थापित ऐतिहासिक व धार्मिक नगरी पांवटा साहिब जहां बीते समय की कई महान घटनाओं को संजोए हुए है तो वहीं सर्वधर्म समभाव की एक मिशाल भी है। इस पवित्र धार्मिक नगरी में जहां विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं तो वहीं अपनी कई ऐतिहासिक यादों को भी संजोए हुए है। इन ऐतिहासिक यादों में से एक है-यमुना नदी के तट पर बना श्री देई जी साहिबा रघुनाथ मंदिर। यह ऐतिहासिक व प्राचीन मंदिर लगभग 125 वर्षों का इतिहास संजोए हुए है।
जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 21 फरवरी 1889 ई0 को सिरमौर रियासत काल में रानी साहिबा कांगडा श्री देई जी साहिबा ने अपने भाई महाराजा शमशेर प्रकाश बहादुर जी0सी0एस0आई0 की मदद से अपने पति व लम्बागांव (कांगडा) के राजा प्रताप चन्द बहादुर की याद में करवाया था। यह रघुनाथ मंदिर महाराजा सिरमौर श्री शमशेर प्रकाश बहादुर द्वारा उनकी बहन के अनुरोध पर बनवाया था। राजकुमारी सिरमौर जिसे प्यार व आदर से देई जी साहिबा पुकारा जाता था की शादी लम्बागांव (कांगडा) के राजा प्रताप चन्द बहादुर से हुई थी, परन्तु दुर्भाग्यवश देई जी साहिबा छोटी आयु में ही विधवा हो गई तथा वापिस सिरमौर आ गई थी। महाराजा सिरमौर ने इस मंदिर के साथ सराय का निर्माण भी करवाया था तथा मंदिर की व्यवस्था चलाने हेतू इसके साथ लगते तीन गांव जिनकी कुल भूमि 2400 बिघा थी मंदिर को दान स्वरुप दे दी थी। रियासत काल में बने इस मंदिर में भगवान श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण जी की मूर्तियां स्थापित है।
रघुनाथ मंदिर के साथ ही बजरंगबली श्री हनुमान जी तथा शिवजी के छोटे मंदिर भी स्थापित किए गए हैं। इस श्री देई जी साहिबा मंदिर की दिवारों पर कांगड़ा पेंटिग भी बनाई गई है, जो अब काफी पुरानी हो चुकी है। यही नहीं इस मंदिर के साथ ही एक यज्ञशाला भी बनवाई गई है जहां समय-समय पर यज्ञ भी किए जाते रहे हैं। साथ ही यमुना नदी के तट पर पुजारीघाट भी है। इस पुजारीघाट में एक प्राकृतिक जल स्त्रोत {चस्मां} भी है, जहां पर मंदिर के पुजारी रियासत काल से ही पूजा अर्चना से पहले स्नान करते रहे हैं।
सन 1989-90 में इस मंदिर का रखरखाव सरकार ने अपने अधीन ले लिया, जिसके अन्र्तगत एक न्यास गठित किया गया है। इस न्यास के आयुक्त, उपायुक्त सिरमौर, सह आयुक्त, एस0डी0एम0 पांवटा व मंदिर अधिकारी तहसीलदार पांवटा साहिब स्थाई नियुक्त किए गए हैं। इस न्यास में कुछ सरकारी व गैर सरकारी सदस्य भी 5-5 साल के लिए नियुक्त किए जाते रहे हैं।
यह मन्दिर हिमाचल व उतराखण्ड को जोड़ने वाले यमुना पुल के साथ ही है। इस मंदिर के प्रांगण से जहां यमुना नदी व आसपास का विहंगम दृष्य देखा जा सकता है तो वहीं यहां आकर शहर की भागदौड़ भरी जिन्दगी से एक शान्ति का अनुभव भी होता है। इस मंदिर में पूजा पाठ के अलावा समय-2 पर धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ व भण्डारे आदि का आयोजन भी होता रहता है। इस तरह गुरु की नगरी पांवटा साहिब में यह मंदिर भी धार्मिक व ऐतिहासिक दृष्टि से अपना विषेश स्थान रखता है।
सिरमौर जिला -
- गायत्री मंदिर - यह मंदिर रेणुका में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महात्मा पराया नन्द ब्रह्मचारी ने करवाया था। गायत्री माता को वेदों की माता भी कहा जाता है।
- जगन्नाथ मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1681 ई. में राजा बुद्ध प्रकाश ने करवाया था। यहाँ सावन द्वादशी का मेला लगता है।
- हिमाचल प्रदेश में जगन्नाथ मंदिर( Jagannath Temple in Himachal Pradesh)
- श्री जगन्नाथ आरती - चतुर्भुज जगन्नाथ ( Shri Jagannath Aarti - Chaturbhuj Jagannath)
- त्रिलोकपुर मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले के त्रिलोकपुर स्थान पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1573 ई. में दीप प्रकाश ने करवाया था। यह मंदिर माता बाला सुन्दरी को समर्पित है, जिसे 84 घंटियों वाली देवी भी कहा जाता है।
- शिर्गुल मंदिर - यह मंदिर चूड़धार पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिर्गुलको समर्पित है।
- देई साहिब मंदिर - देई साहिब मंदिर पौंटा का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश की बहन देई साहिबा ने करवाया था।
- कटासन मंदिर - कटासन मंदिर कोलर का निर्माण राजा जगत प्रकाश ने करवाया था।
- लक्ष्मी नारायण मंदिर - लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन का निर्माण 1708 ई. में राजा भूप प्रकाश ने करवाया था।
- शिव मंदिर - शिव मंदिर रानी ताल नाहन का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश ने अपनी रानी कुटलानी की स्मृति में करवाया था।
- रामकुण्डी मंदिर - रामकुण्डी मंदिर नाहन का निर्माण 1767 ई. में राजा कीर्ति प्रकाश ने करवाया था।
- श्री महामाया बालासुंदरी जी मंदिर नाहन
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें