त्रिलोकपुर मंदिर सिरमौर (Trilokpur Temple Sirmaur)
त्रिलोकपुर मंदिर (Trilokpur temple) भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के सिरमौर ज़िले के त्रिलोकपुर ग्राम में स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह नाहन नगर से लगभग 24 किमी दूर है और 430 मीटर (1,410 फीट) की ऊँचाई पर एक पहाड़ी पर स्थित है। इस क्षेत्र में एक त्रिकोण के तीन कोनों पर स्थित दुर्गा के तीन मन्दिर हैं, जिनमें उन देवी के अलग-अलग स्वरूप विराजमान हैं। त्रिलोकपुर में स्थित मुख्य मन्दिर में भगवती त्रिपुर बाला सुन्दरी का मन्दिर है,
जिसमें दुर्गा का बालावस्था का रूप है। यहाँ से 3 किमी दूर भगवती ललिता देवी का मन्दिर है और 13 किमी पश्चिमोत्तर में तीसरा मन्दिर है। भगवती बाला सुंदरी का यह मंदिर पिछले कुछ दशकों से बहुत अधिक विख्यात हुआ है। हिमाचल प्रदेश के प्रमुख मंदिरों जैसे चिंतपूर्णी, नैना देवी, ज्वाला देवी, कांगड़ा, चामुण्डा और बगलामुखी आदि मंदिरों से भी ज्यादा श्रद्धालु नवरात्र मे यहां दर्शन करने आते हैं। इसी तरह का अन्य प्रसिद्ध मंदिर शाकम्भरी देवी का है जो उत्तर प्रदेश के सहारनपुर मे स्थित है यहाँ भी लाखों की भीड़ नवरात्र मे उमडती है।
त्रिलोकपुर मंदिर सिरमौर (Trilokpur Temple Sirmaur) |
त्रिलोकपुर मंदिर सिरमौर इतिहास
मान्यता है कि सन् 1570 में राम दास नामक एक स्थानीय व्यापारी ने एक नमक की बोरी खरीदी, जिसमें एक पिण्डी पाया गया। यह देवी माँ के बालसुन्दरी जी रूप का प्रतीक एक पवित्र पत्थर था। लाला राम दास बोरी से नमक बेचते रहे, लेकिन बोरी भरी की भरी ही रही। फिर देवी राम दास को एक स्वप्न में प्रकट हुई। उन्होंने राम दास को बताया कि कैसे वे देवबन से अदृश्य हुई थीं और उसे इस पिण्डी स्वरूप को लेकर त्रिलोकपुर में एक मन्दिर बनाकर स्थापित करते का आदेश दिया। यहाँ उन्होंने महामाया बालासुन्दरी को समर्पित पूजा का आदेश दिया, जो माता वैष्णो देवी का बाल स्वरूप हैं।
लाल राम दास के पास मन्दिर बनवाने के लिए पर्याप्त घन नहीं था, इसलिए वे सिरमौर राज्य के राजा के पास पैसा मांगने गए, जो उन्हें दे दिया गया। राम दास ने मन्दिर निर्माण आरम्भ करा और उसी वर्ष जयपुर से संगमरमर का मन्दिर बनवाने के लिए निपुण कारीगर बुलवाए। मन्दिर सन् 1573 में बनकर पूरा हुआ और देवी बाल सुन्दरी को समर्पित कर दिया गया। यहाँ राजघराने ने भी पूजा करनी आरम्भ कर दी। सन् 1823 में महाराज फतेह प्रकाश और फिर 1851 में महाराज रघुबीर प्रकाश ने मन्दिर की मरम्मत करवाई।
हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालय नाहन से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माहामाई त्रिपुर बाला सुन्दरी का लगभग साढ़े 300 वर्ष पुराना मंदिर तीर्थ स्थल एवं पर्यटन की दृष्टि से विशेष स्थान रखता है। यहां पर चैत्र और अश्वनी मास के नवरात्रों में लगने वाले मेले की मुख्य विशेषता है कि किसी प्रकार की शोभा यात्रा या जुलूस नहीं निकाला जाता।
- श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस पावन स्थली पर माता साक्षात रूप में विराजमान हैं और यहां पर की गई मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
- जनश्रुति के अनुसार महामाई बाला सुन्दरी उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर में मुज्जफरनगर के देवबन्द नामक स्थान से नमक की बोरी में त्रिलोकपुर आई थीं।
- कहा जाता है कि लाला रामदास जो सदियों पहले त्रिलोकपुर में नमक का व्यापार करते थे, उनके नमक की बोरी में माता उनके साथ यहां आई थीं।
- लाला की दुकान त्रिलोकपुर में पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ करती थी। उसने देवबन्द से लाया तमाम नमक दुकान में डाल दिया और बेचते गए मगर नमक समाप्त होने में नहीं आया।
- लाला जी उस पीपल के वृक्ष को हर रोज सुबह जल दिया करते थे और पूजा करते थे। उन्होंने नमक बेचकर बहुत पैसा कमाया और चिन्ता में पढ़ गए कि नमक समाप्त क्यों नहीं हो रहा।
- माता बाला सुन्दरी ने प्रसन्न होकर रात्रि को लाला जी के सपने में आकर दर्शन दिए और बोलीं, ‘‘भक्त मैं तुम्हारे भक्तिभाव से अति प्रसन्न हूं। मैं यहां पीपल के वृक्ष के नीचे पिण्डी रूप में स्थापित हो गई हूं और तुम यहां पर मेरा भवन बनाओ।’
- लाला जी को अब भवन निर्माण की चिन्ता सताने लगी। उसने फिर माता की अराधना की और आह्वान किया कि इतने बड़े भवन निर्माण के लिए मेरे पास सुविधाओं व धन का अभाव है। आप सिरमौर के महाराजा को भवन निर्माण का आदेश दें।
- माता ने अपने भक्त की पुकार सुन ली और उस समय के सिरमौर के राजा प्रदीप प्रकाश को सोते समय स्वप्न में दर्शन देकर भवन निर्माण का आदेश दिया। महाराजा ने तुरन्त जयपुर से कारीगरों को बुलाकर भवन निर्माण का कार्य आरंभ करवाया जो सन् 1630 में पूरा हुआ।
सिरमौर जिला -
- गायत्री मंदिर - यह मंदिर रेणुका में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महात्मा पराया नन्द ब्रह्मचारी ने करवाया था। गायत्री माता को वेदों की माता भी कहा जाता है।
- जगन्नाथ मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1681 ई. में राजा बुद्ध प्रकाश ने करवाया था। यहाँ सावन द्वादशी का मेला लगता है।
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- त्रिलोकपुर मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले के त्रिलोकपुर स्थान पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1573 ई. में दीप प्रकाश ने करवाया था। यह मंदिर माता बाला सुन्दरी को समर्पित है, जिसे 84 घंटियों वाली देवी भी कहा जाता है।
- शिर्गुल मंदिर - यह मंदिर चूड़धार पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिर्गुलको समर्पित है।
- देई साहिब मंदिर - देई साहिब मंदिर पौंटा का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश की बहन देई साहिबा ने करवाया था।
- कटासन मंदिर - कटासन मंदिर कोलर का निर्माण राजा जगत प्रकाश ने करवाया था।
- लक्ष्मी नारायण मंदिर - लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन का निर्माण 1708 ई. में राजा भूप प्रकाश ने करवाया था।
- शिव मंदिर - शिव मंदिर रानी ताल नाहन का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश ने अपनी रानी कुटलानी की स्मृति में करवाया था।
- रामकुण्डी मंदिर - रामकुण्डी मंदिर नाहन का निर्माण 1767 ई. में राजा कीर्ति प्रकाश ने करवाया था।
- श्री महामाया बालासुंदरी जी मंदिर नाहन
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